अब तुम रोते क्यों नहीं...?

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जनकसिंह झाला

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वह पूछते हैं अब तुम रोते क्यों नहीं...?
एक वह भी पल था जब हर बात में तुम्हे रोना आ जाता था,
तुम्हारी आँखो की नमी तुम्हें कमजोर बना देती थी,
इस प्यार ने तुम्हें बहुत दर्द दिया, तुम उस दर्द में अब खोते क्यों नहीं..।
वो पूछते हैं अब तुम रोते क्यों नहीं..।।

हमने देखा है तुम्हें सब से छुपते छुपाते रोते हुए..
प्यार के इन हसीन पल को खोते हुए, जुदाई के हर गम को जोते हुए..
अब इस गम मैं तुम खोते क्यों नहीं..।
वो पूछते हैं अब तुम रोते क्यों नहीं...।।

शायद तुम ने कुछ आँसू बचाकर रखे हैं, अभी भी उनके लिए..
यह आँसू तब बहेंगे जब वह बन जाएँगे किसी और के लिए..
अब नींद उन्हें आती नहीं और तुम सोते क्यों नहीं...।
वो पूछते हैं कि अब तुम रोते क्यों नहीं...।।

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