हम अक्सर ' तुम' और 'मैं' में विभाजित हो जाते हैं बड़ी आसानी से। पर आज तुम्हें एक चुनौती देना चाहती हूँ, मुझे आसमान को विभाजित करके दिखाओ, हवाओं को बाँटकर दिखाओ, पानी के टुकड़े कर के दो, कर सकते हो इन्हें अलग? नहीं न, फिर ' हम' शब्द की सघनता को समझे बगैर क्यों हम अक्सर विभाजित हो जाते हैं ' तुम' और 'मैं' में अनजाने में बड़ी आसानी से।