तुम्हें भूली ही कब थी

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फाल्गुनी

NDND
एक छोटा सा
साँवला बादल
आसमान की परतों से
निकलकर
मेरे अंतर्मन पर
उमड़ता-घुमड़ता
मुझे पढ़ना चाहता है
‍ कि भूल से तुम्हें
याद करने तो नहीं बैठ गई
बहुत भोला लगता है मुझे
वह साँवला बादल
जिसे नहीं पता अब तक कि
तुम्हें भूली ही कब थी
जो भूल से याद करती
चाहती हूँ सलोने बादल की
अबोध जिज्ञासा/उत्सुकता
सदैव बनी रहे

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