पहली बारिश और तुम

गायत्री शर्मा
NDND
मौसम की पहली बारिश में
तुम मिले इस तरह
जैसे धरती मिल गई हो
आसमान से
जैसे बूँदों ने पहली बार
किया हो आलिंगन
माटी के सीने से
और उसी माटी की सौंधी
खुशबू की तरह फैल रहा है
हर तरफ तेरा प्यार


जिस तरह वसंत में
कोयल का मधुर राग
बढ़ा देता है विरहणी के मन में
पिया मिलन की आस
उसी प्रेम अगन को
जगा रहा है आज तेरा प्यार
तुम आए हो जीवन में बनके बहार

जैसे उतर आए हो प ंछी
आसमान से धरती पर
जैसे खिला हो प्रेम पुष्प
विरोधों के काँटों बीच
इस मौसम में मयूर की तरह
मेरा बाँवरा मन तुझे बुलाएँ
और तू मौसम की पहली बारिश बन
मेरे अंग-अंग को छू जाएँ।

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