याद आते रहे, दिल दुखाते रहे

Webdunia
रोहित जैन

ND
ND
याद आते रहे, दिल दुखाते रहे
वो रह रह के हमको सताते रहे

शक्ल अपनी ही लगने लगी अजनबी
आईने उलझनों को बढ़ाते रहे

वो नज़रें झुकाने की उनकी अदा
हम फ़रेबेमोहब्बत खाते रहे

जिस से गुज़रे थे हम सैकड़ों मर्तबा
हमारी मंज़िल वहीं वो बताते रहे

ऐसा छाया अंधेरों का हम पर सुरूर
शम्मेदिल रात दिन हम जलाते रहे

साहिलेज़ीस्त पर ग़म की लहरों के बीच
नाम उसका हम लिखते मिटाते रहे

तीरगी ऐसी फैली है हदेनिगाह
रंग ख़्वाबों से भी अपने जाते रहे

कैसी दुनिया बनाई है तूने ख़ुदा
कैद कैसी है जिसको निभाते रहे

दुश्मनों से मोहब्बत सी होने लगी
दोस्त ऐसे हमें आज़माते रहे

हमको आया ना 'रोहित' नुमाइशेज़ख़्म
खुद ही रोते रहे समझाते रहे।

शम्मेदिल - दिल का मोमबत्ती की तरह जलना
तीरगी - अँधेरा
हदेनिगाह - जितनी दूर तक निगाह जा सके
नुमाइशेज़ख़्म - जख्मों का दिखावा
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

चिंता करने का भी तय करें टाइम, एंजाइटी होगी मिनटों में दूर

आपकी रोज की ये 5 हैबिट्स कम कर सकती हैं हार्ट अटैक का रिस्क, जानिए इनके बारे में

कमजोर आंखों के लिए आज से शुरू कर दें इन योगासनों का अभ्यास

पीसफुल लाइफ जीना चाहते हैं तो दिमाग को शांत रखने से करें शुरुआत, रोज अपनाएं ये 6 सबसे इजी आदतें

हवाई जहाज के इंजन में क्यों डाला जाता है जिंदा मुर्गा? जानिए क्या होता है चिकन गन टेस्ट

सभी देखें

नवीनतम

गोलाकार ही क्यों होती हैं Airplane की खिड़कियां? दिलचस्प है इसका साइंस

इन 7 लोगों को नहीं खाना चाहिए अचार, जानिए कारण

हिन्दी कविता : योग, जीवन का संगीत

योग को लोक से जोड़ने का श्रेय गुरु गोरखनाथ को

क्या सच में छींकते समय रुक जाती है दिल की धड़कन?