भावुकता न बने कमजोरी

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यह सच है कि इंसान अकेला जीवन नहीं जी सकता। उसे हमेशा किसी न किसी सहारे की जरूरत पड़ती है। और ज्यादातर पुरुष भावात्मक सहारे के लिए किसी स्त्री पर पूरी तरह निर्भर हो जाते हैं। ऐसा भी देखा जाता है कि लड़कियाँ पुरूषों की इस निर्भरता को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने लगती हैं।

भावनात्मक सुरक्षा कभी-कभी पुरुषों के लिए रुकावटें भी पैदा करने लगती हैं। जहाँ तक हो सके ऐसी निर्भरता से पुरुषों को बचना चाहिए। कभी भी अपने परिवार से ज्यादा अपनी प्रेमिका को महत्व नहीं देना चाहिए। लड़कियाँ भी ऐसे पुरुष को कतई पसंद नहीं करतीं जो अपने परिवार के प्रति लापरवाही बरतें।

अपने साथी की बातों को ध्यान में तो रखना चाहिए लेकिन उनके अनुसार व्यवहार करने की गलती कभी नहीं करनी चाहिए। अपने परिवार को स्वयं की नजरों से समझने का प्रयास करना चाहिए। अपने साथी की नजरों से उन्हें देखने की कोशिश आपसी रिश्ते में खटास पैदा कर सकती है।

जब भी माँ-बाप और प्रेमिका के बीच का कोई ऐसा मामला आए जिसमें कि विवाद पैदा होने की सम्भावनाएँ ज्यादा हो तो पुरुष को हमेशा संतुलन भरा व्यवहार अपनाने की कोशिश करनी चाहिए।
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