जलेबी से प्यार का इजहार

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यूँ तो किसी को जलेबी या पान का बीड़ा खिलाना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन यदि गौंड समाज का ठाठिया उत्सव हो तो समझ लीजिए कि पान और जलेबी की आ़ड़ में एक प्रेम कहानी परवान चढ़ रही है। दरअसल, आदिवासियों और उनमें भी खासकर गौंड समाज में यदि कोई नौजवान किसी कन्या को पान का बीड़ा या जलेबी दे तो इसका मतलब है कि वह लड़की को अपना प्रणय प्रस्ताव भेज रहा है और अगर लड़की उसे खा ले तो समझ लेना चाहिए कि लड़की ने उस प्रणय निवेदन को स्वीकार कर लिया है।

प्रेम की भाषा समझने के बाद लड़के को उस लड़की को भगा ले जाना होता है और फिर बज उठती है शहनाई। एक बार भाग जाने के बाद ऐसे प्रेमी युगल को दोनों पक्षों के परिवारजनों की स्वीकृति मिलना लाजिमी होती है और फिर इनके ब्याह की रस्म पूरी कर दी जाती है। इस तरह उलझी-सी जलेबी उनके प्यार की उलझन सुलझाने का जरिया बन जाती है।

गौंड समाज में कुँवारे नौजवानों के ब्याह रचाने की ऐसी ही शैली है जो इन दिनों समाज द्वारा मनाए जा रहे पाँच दिवसीय ठाठिया उत्सव पर लगने वाले खंडवा जिले के हाट में देखने को मिल रही है। आदिवासी रहन-सहन के विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसा ही एक पर्व होली के अवसर पर होता है भगोरिया। जिसमें इस वर्ग के भील-भिलाला समाज के युवक- युवतिया ँ भाग कर शादी करते हैं।

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