आजकल हर कार्यालय में युवक-युवतियाँ साथ-साथ काम करते हैं जिसमें वहाँ का वातावरण कुछ अलग ही प्रकार का हो जाता है। आज के फैशन के इस युग में अच्छे दिखने-दिखाने की चाह ने घर-बाहर और ऑफिसों के वातावरण में भी बदलाव कर दिए हैं। आज युवतियाँ अपने घर से निकलते ही एक प्रकार का खुलापन का अनुभव करती हैं और उसको ज्यादा आबोहवा दी है मोबाइल ने जिसका हर कोई दीवाना है।
हर कोई अपने हाथ में मोबाइल लिए अपने काम से ज्यादा मोबाइल में ही मस्त रहते हैं और इसी कारण ऑफिस में साथ काम करने वाले पुरुष-महिला और टीनएज सहकर्मियों में आकर्षण का भाव आ जाता है। और इससे उपजती है नई परेशानियाँ जिसका खामियाजा उनके साथ-साथ कंपनी को भी भुगतना पड़ सकता है। और इसका संस्था की छवि पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
जी हाँ, यह बिलकुल सही है। वर्तमान में ऑफिस में उपजने वाले महिला-पुरुष या युवक-युवतियों में इस प्रकार की खुसफुसाहट बड़ी ही आसानी से देखी जा सकती है। साथ-साथ खाना खाना, घूमना-फिरना और न जाने क्या क्या...
ऑफिस में रोमांस करने वाले वे लोग संभल जाएँ ताकि आपका घर टूटने से बच जाएँ और ऑफिसों में होने वाली खुसफुसाहट से, जो आपकी खराब छवि ऑफिस में निर्मित करती है उनसे आप बचे रहें।
और इस रोमांस के परिणामों से निपटना प्रबंधकों के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है। क्योंकि इन प्रेम-प्रसंगों से बढ़ने वाली परेशानियों से जहाँ एक-तरफ ऑफिस का कामकाज प्रभावित होता है वहीं सहकर्मियों के दिल टूटने से ऑफिस के माहौल में बेचैनी पैदा होने लगती है। इससे वहाँ के कर्मियों में एक प्रकार का अलग सा माहौल दिखाई देने लगता है।
ऑफिसों में बढ़ती रोमांस की यह आबोहवा बाकी सहकर्मियों को अवसाद की स्थिति में भी धकेल सकती है, जिसमें ऑफिस प्रबंधन पर कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं। इस मामले में इसमें सबसे बुरी स्थिति उस समय पैदा होती है जब ऑफिस के बॉस और उसके जूनियर कर्मचारी के बीच पनपा रोमांटिक रिश्ता टूट जाता है। जिसका परिणाम काफी गंभीर वातावरण निर्मित करता है ।
... इसलिए ऑफिस में रोमांस करने वाले वे लोग संभल जाएँ ताकि आपका घर टूटने से बच जाएँ और ऑफिसों में होने वाली खुसफुसाहट से, जो आपकी खराब छवि ऑफिस में निर्मित करती है उनसे आप बचे रहें ताकि आगे आने वाले समय के लिए आपके द्वारा बरती गई सावधानी से आपकी ऑफिस लाइफ और बाहरी दुनिया में हँसी के पात्र बनने से बच जाएँ।