Dharma Sangrah

हिम्मत से बाँधें जीवन की डोर

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दोस्तो! आशा है दृढ़ प्रतिज्ञा और संकल्प को याद रखते हुए आप नए वर्ष में अपनी योजनाओं को लागू करने की पूरी कोशिश करने में लगे होंगे। हमारे जीवन का जो भी मकसद या लक्ष्य होता है यदि हम उसका एक-चौथाई भाग भी हासिल कर पाते हैं तो हमें बेहद खुशी होती है और हमारा हौसला बुलंद होता है।

जीवन को खुशी-खुशी जीने का इससे बेहतर तरीका और कुछ हो भी नहीं सकता है। इसलिए पढ़ाई, करियर, रिश्ते जिस ओर भी आपने जो भी लक्ष्य बना रखा है, उसे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से हासिल करने की चेष्टा करनी चाहिए।

थोड़ी-बहुत बाधा से घबराकर अपने भविष्य एवं खुशी को दाँव पर नहीं लगा देना चाहिए क्योंकि उसके बाद जीवन भर पछताने के सिवाय और कुछ नहीं रह जाता है।

ऐसी ही छोटी-सी बाधा से घबराकर रंजन अपने प्यार को दाँव पर लगाने को मजबूर हैं। रंजन और उनकी दोस्त एक-दूसरे को चार सालों से बेहद प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं। दोनों के परिवार भी तैयार हैं, सिवाय लड़की के पिता के। रंजन के परिवार में इस बात को लेकर ठन गई है कि जब तक लड़की के पिता रिश्ता लेकर खुद नहीं आते शादी नहीं हो सकती। इस अहं की लड़ाई में रंजन को लगता है कि कहीं उसकी दोस्त की शादी किसी और से कर दी गई तो वह जी नहीं पाएँगे।

रंजन जी, सही और उचित काम के लिए पूरी दुनिया की रजामंदी व सहमति लेकर नहीं चला जाता है। झूठे अहं को पालने के लिए न तो आप अपने जीवन और न ही प्यार के साथ न्याय करेंगे। किस बात के डर से आप दोनों शादी नहीं कर रहे हैं। एक तो आप दोनों को उस घर में नहीं रहना है जहाँ पर नाराज पिता हैं। आप २७ और आपकी दोस्त २५ वर्ष की हैं। आप दोनों की उम्र सही है और चार वर्षों से बेहद प्यार और समझदारी से आपने अपना रिश्ता निभाया है। यह बात आप दोनों के परिपक्व व्यक्तित्व की गवाही देती है। इतनी मुहब्बत और गहराई से सींचे गए रिश्ते को किसी के अहं की बलि पर चढ़ा देना कहाँ की अकलमंदी होगी।

एक-एक व्यक्ति को खोजकर आप यदि खुश करने चले तो फिर आप खुशहाल जीवन जीना भूल ही जाएँ। इनकार और नाराजगी की कोई विशेष वजह भी नहीं हैं। आपके भाई ने उन्हें कुछ सुना दिया था यही न। यकीन मानें यह नाराजगी वक्त के साथ समाप्त हो जाएगी। आप लोगों की खुशी के लिए यदि वे अपना गुस्सा नहीं थूक सकते तो आप क्यों अपनी जिंदगी तबाह करते हैं। वे बड़े हैं, आप लोगों की भलाई-बुराई उन्हें सोचनी चाहिए। यह जानते हुए भी कि आप दोनों की खुशी एक दूसरे से जुड़ी हुई है फिर भी उन्होंने अड़ियल रुख अपनाया हुआ है। जब वे बड़प्पन नहीं दिखा रहे हैं तो आप किस आधार पर उनका लिहाज कर रहे हैं।

आप लोगों के जीवनसाथी बनने का फैसला कोई आवेश में किया गया निर्णय नहीं है। चार वर्षों तक प्यार के रिश्ते को इस प्रकार निभाना कि उसका ग्राफ ऊपर ही ऊपर जाए और एक दूजे में परिपूर्णता का अहसास हो आज के समय में सुखद बात है। ऐसे रिश्ते को दूसरों की वजह से ठुकराना अक्लमंदी नहीं है।

हमारे जीवन का जो भी मकसद या लक्ष्य होता है यदि हम उसका एक-चौथाई भाग भी हासिल कर पाते हैं तो हमें बेहद खुशी होती है और हमारा हौसला बुलंद होता है।
प्यार, खुशी और एक-दूसरे को निभाने की ख्वाहिश का मेल बहुत ही मुश्किल से होता है। एक-दूसरे के लिए हर हाल में साथ देने की सच्ची नीयत भी बड़ी मुश्किल से उपजती है। इस भावना को सिर-आंखों पर संभालकर रखनी चाहिए। किसी भी रिश्ते को इतनी संदुरता देने के लिए बेइंतहा मेहनत करनी पड़ती है। एक-दूसरे की भावनाओं का हर पल ख्याल रखने के बाद रिश्ता इतना मजबूत होता जाता है कि जीवन भर साथ निभाने के फैसले पर हम पहुँचते हैं। इस मुकाम पर पहुँचने के बाद यूँ हताश होकर हार मान जाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

एक ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने अपना जीवन अपनी मर्जी से जी लिया है, उसकी खातिर आप अपनी मर्जी न छोड़ें। आप उनके खिलाफ जाकर कोई पाप या गुनाह नहीं कर रहे हैं। उनकी नाराजगी की वजह वाजिब नहीं है। इसलिए बेधड़क, बिना किसी संकोच और ग्लानि के खुशी-खुशी शादी करें। आप दोनों के लिए बेहद प्यार भरा भविष्य इंतजार कर रहा है। नए वर्ष में नई उमंगों के साथ जीवन जीने का सपथ लें। आपके आत्मविश्वास और संजीदा कदम का सभी ओर स्वागत होगा। देर-सबेर आपको सभी अपनों का आशीर्वाद मिलेगा।

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