क्या यूक्रेन पर कब्जा करना चाहते हैं पुतिन? फिर 'चेचन वॉर' जैसा क्‍यों है उनका प्‍लान?

Webdunia
शुक्रवार, 4 मार्च 2022 (18:12 IST)
जिस तरह से पुतिन यूक्रेन पर हमला किए जा रहे हैं, ऐसा लगता है, वे यूक्रेन पर ही कब्‍जा करना चाहते हैं।दरअसल, इसकी आशंका इसलिए भी जताई जा रही है, क्‍योंकि व्लादिमीर पुतिन ने जो रणनीति बनाई है, वो काफी हद तक चेचन जंग (Chechen Conflict) की तरह नजर आ रही है।

बता दें कि रूस की सेना पिछले सात दिनों में यूक्रेन के 20 फीसदी क्षेत्र को अपने कब्जे में ले चुकी है। यूक्रेन का लगभग 1 लाख वर्ग किलोमीटर से ऊपर का क्षेत्र रूस के नियंत्रण में है। रूस की सेना कीव को चारों ओर से घेर रही है। अब रूसी सेना के बख्तरबंद वाहन व सैनिक कीव से करीब 19 मील की दूरी पर हैं।

रूसी सैनिकों ने अब तक जो यूक्रेन पर परिस्थितियां पैदा की हैं, उससे व्लादिमीर पुतिन की असल रणनीति समझी जा सकती है। कई इंटरनेशनल जानकारों का मानना है कि रूस का असली मकसद यूक्रेन पर कब्जा जमाना है।

आखिर क्या था चेचन युद्ध?
1991 में जब सोवियत संघ टूटा तो चेचन एक अलग देश बन गया। इस छोटे से देश पर रूस की नजर हमेशा रही। चेचन रूस से घिरा हुआ है और इसका कुछ हिस्सा सर्बिया से भी मिलता है।

रूस ने 1994 में चेचन पर हमला कर दिया। हालांकि, यह हमला सफल नहीं हुआ। इसके बाद 1999 में चेचन में रूस के शीर्ष राजदूत गेनादी श्पिगुन की हत्या कर दी गई। यहीं से चेचन के खिलाफ दूसरे युद्ध की शुरुआत हुई। चेचेन को चारों तरफ से घेरते हुए रूस ने 2000 में उस पर पूरी तरह से हमला कर दिया।

क्‍या समानता है दोनों रणनीति में?
पुतिन जिस रणनीति से आगे बढ़ रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि वह यूक्रेन को उन संसाधनों से वंचित कर देना चाहते हैं, जो यूक्रेनी सैनिकों के युद्ध लड़ने के लिए आवश्यक हैं।

शायद यही कारण है कि रूसी सैनिक यूक्रेन के ऐसे शहरों पर हमले तेज कर रहे हैं, जो प्रमुख ऊर्जा उत्पादक हैं। रूसी सेना उत्तरी व दक्षिणी यूक्रेन में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। उसकी रणनीति काला सागर से यूक्रेन के संपर्क को पूरी तरह तोड़ देने की है।

कालासागर के समीप स्थिति खेरसन शहर पर रूसी सैनिक पहले ही कब्जा कर चुके हैं। अब एक और शहर जपोरिजिया परमाणु संयंत्र पर भी हमला कर दिया गया है।

इसके अलावा काला सागर से जुड़े हुए उत्तरी शहर ओडेसा पर भी रूसी सेना तेज हमले कर रही है। ओडेसा के बाद रूसी सेना ने मारियोपोल को भी अपने नियंत्रण में लेना शुरू कर दिया है। यहां के बंदरशाह शहरों पर लड़ाई तेज है। इन दोनों शहरों में यूक्रेन का एक चौथाई बिजली उत्पादन होता है।

इससे पहले खुद रूसी सेना की ओर से पुष्टि की गई थी कि खेरसॉन शहर का सरकारी मुख्यालय अब उसके नियंत्रण में है। रूस ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव को भी लगभग नियंत्रण में ले लिया है। यहां पर रूस ने अपने एयरट्रूपर्स को उतारा था।

इसके बाद से खारकीव में हमले तेज हैं। सूत्रों के मुताबिक रूसी सेना खारकीव को चारों ओर से घेरे हुए है और यह शहर भी उसके नियंत्रण में आ चुका है।

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