सत्यमेव जयते : दमदार रही दूसरी पारी

स्मृति आदित्य

Webdunia
' सत्यमेव जयते' की दूसरी पारी के साथ आमिर अत्यंत ज्वलंत और संवेदनशील मुद्दे के साथ रूबरू हुए। बलात्कार, एक जघन्य, निर्मम और निहायत ही विकृत अपराध।

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आप सुन नहीं सकते वह रूदन, वह चित्कार, वह आर्तनाद जो एक कोमल स्त्रीत्व के छले जाने के बाद उसके अपनों के दिल से उठता है। कार्यक्रम में आमिर पूरी समर्थता के साथ विषय पर पकड़ बनाए रहे और हर उस अव्यक्त दर्द को दर्शकों तक पहुंचाने में सफल रहे जो कभी-कभी मात्र एक सनसनीखेज समाचार भर बन कर रह जाता है।

आमिर अपना पहला मार्मिक केस लेकर आए जिसमें एक लड़की को गुंडे जबरन उठा कर ले गए। उसे सामूहिक बलात्कार के बाद जंगल में फेंक दिया गया। जब परिवार वालों ने शिकायत का बीड़ा उठाया तो पुलिस ने साथ नहीं दिया। गुंडों की हिम्मत बढ़ गई। दुबारा उठाकर ले गए और दोबारा बलात्कार के बाद मरने के लिए रेलवे पटरी पर छोड़ दिया अस्त-व्यस्त अवस्था में। यहां फिर उसे किसी ने बचा लिया। परिवार वाले गुंडों के डर से घर छोड़कर चले गए मगर यहां भी उसे गुंडों ने खोज निकाला और एक दिन जब लड़की घर में अकेली थी उसे फिर से बलात्कार के बाद जिंदा जला कर मार दिया।

आखिर क्या दोष था उस लड़की का? लड़की होना, इस कमजोर समाज में जन्म लेना या स्वयं समर्थ न होना?

प्रश्नों की इसी भीड़ में आमिर ने जिम्मेदार क्षेत्रों पर सवाल उठाए। पुलिस, चिकित्सा, कानू न, समाज, परिवार।

यह बात अंदर तक हिला देने वाली सामने आई कि अमेरिकन नियमों पर आधारित चिकित्सा की ट्रेनिंग बुक में यह दर्ज है कि जब भी कोई महिला बलात्कार का केस लेकर आए तो उसे शक की नजर से देखो। यहां तक कि आप पुरुष हैं तो उससे सतर्क रहो ऐसी महिला आप पर भी आरोप लगा सकती है। ऐसे में चिकित्सा व्यवस्था से आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं उस गहन-गंभीर संवेदनशीलता की जिसकी उस पी‍ड़‍ित महिला को जरूरत है।

चिकित्सा व्यवस्था के बाद कानूनी पेचिदगियां भी बलात्कार की शिकार महिला से बार-बार बलात्कार करती है। बलात्कार शरीर पर गुजरना भयानक मानसिक संत्रास को जन्म देता है लेकिन बार-बार उस पर वही बलात्कार शब्दों से और प्रश्नों से दोहराया जाता है।

बयान के बहाने उसे निरंतर याद रखना होता है कि उसके साथ बलात्कार कब, कैसे और किन हालातों में हुआ। हमारा समाज, हमारी व्यवस्था उसे भूलने ही नहीं देती है। जबकि जरूरत इस बात की है कि वह जितनी जल्दी हो सके सामान्य जिंदगी में लौटे और जो कुछ हुआ उसे भूल जाए मगर.....

बार-बार बहरे समाज की सतह पर तैरते चीखते और खौलते हुए सवाल। जवाब की तलाश में जख्मी होकर भटक रहे हैं लेकिन किसी मरहम में यह ताकत नहीं है कि उसके बहते नासूर को राहत दे सके।

बहरहाल, आमिर को सलाम दर्शकों को रूह कंपकपा देने के लिए। शायद इसी बहाने....

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