जानिए हिंदू धर्म को-3

वैष्णव और शैव धर्म को जानें

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
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भगवान विष्णु और उनके अवतारों को मानने वाले वैष्णव और भगवान शिव तथा उनके अवतारों को मानने वालों को शैव कहते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही आर्य सभ्यता के साथ ही ब्राह्मा, विष्णु और शिव से संबंधित संप्रदायों का प्रचलन रहा है। मुख्यत: तब जबकि 600 ईस्वी पूर्व यज्ञ और अन्य कर्मकांड के विरुद्ध जैन और बौद्ध संप्रदाय फल-फूल रहे थे।

पहले जानें शैव को....
*शैव संप्रदाय के उप संप्रदाय : शैव में शाक्त, नाथ, दसनामी, नाग आदि उप संप्रदाय है। महाभारत में माहेश्वरों (शैव) के चार सम्प्रदाय बतलाए गए हैं- शैव, पाशुपत, कालदमन और कापालिक। शैवमत का मूलरूप ॠग्वेद में रुद्र की आराधना में हैं। बारह रुद्रों में प्रमुख रुद्र ही आगे चलकर शिव, शंकर, भोलेनाथ और महादेव कहलाए। इनकी पत्नी का नाम है पार्वती जिन्हें दुर्गा भी कहा जाता है। शिव का निवास कैलाश परर्वत पर माना गया है।

*शिव के अवतार : शिव पुराण में शिव के भी दशावतारों के अलावा अन्य का वर्णन मिलता है जो निम्नलिखित हैं- 1.महाकाल, 2.तारा, 3.भुवनेश, 4. षोडश, 5.भैरव, 6.छिन्नमस्तक गिरिजा, 7.धूम्रवान, 8.बगलामुखी, 9.मातंग और 10. कमल नामक अवतार हैं। ये दसों अवतार तंत्रशास्त्र से संबंधित हैं।

शिव के अन्य ग्यारह अवतार : 1.कपाली, 2.पिंगल, 3.भीम, 4.विरुपाक्ष, 4. विलोहित, 6.शास्ता, 7.अजपाद, 8.आपिर्बुध्य, 9.शम्भु, 10.चण्ड तथा 11.भव का उल्लेख मिलता है।

इन अवतारों के अलावा शिव के दुर्वासा, हनुमान, महेश, वृषभ, पिप्पलाद, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, अवधूतेश्वर, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, ब्रह्मचारी, सुनटनतर्क, द्विज, अश्वत्थामा, किरात और नतेश्वर आदि अवतारों का उल्लेख भी 'शिव पुराण' में हुआ है, जिन्हें अंशावतार माना जाता है।

*शैव ग्रंथ : वेद का श्‍वेताश्वतरा उपनिषद ( Svetashvatara Upanishad), शिव पुराण ( Shiva Purana), आगम ग्रंथ ( The Agamas), और तिरुमुराई ( Tiru-murai- poems)।

*शैव तीर्थ : बारह ज्योतिर्लिंगों में खास काशी ( kashi), बनारस ( Benares), केदारनाथ ( Kedarnath), सोमनाथ ( Somnath), रामेश्वरम ( Rameshvaram), चिदम्बरम ( Chidambaram), अमरनाथ ( Amarnath) और कैलाश मानसरोवर ( kailash mansarova r।

*शैव संस्कार : 1.शैव संप्रदाय के लोग एकेश्वरवादी होते हैं। 2. इसके संन्यासी जटा रखते हैं। 3. इसमें सिर तो मुंडाते हैं, लेकिन चोटी नहीं रखते। 4. इनके अनुष्ठान रात्रि में होते हैं। 5. इनके अपने तांत्रिक मंत्र होते हैं। 6.यह निर्वस्त्र भी रहते हैं, भगवा वस्त्र भी पहनते हैं और हाथ में कमंडल, चिमटा रखकर धूनी भी रमाते हैं। 7. शैव चंद्र पर आधारित व्रत उपवास करते हैं। 8.शैव संप्रदाय में समाधि देने की परंपरा है। 9.शैव मंदिर को शिवालय कहते हैं जहाँ सिर्फ शिवलिंग होता है। 10.यह भमूति तीलक आड़ा लगाते हैं।

शैव साधु-संत : शैव साधुओं को नाथ, अघोरी, अवधूत, बाबा, ओघड़, योगी, सिद्ध आदि कहा जाता है।

अगले पन्ने पर जाने वैष्णवजन को...


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*वैष्णव संप्रदाय के उप संप्रदाय : वैष्णव के बहुत से उप संप्रदाय है- जैसे बैरागी, दास, रामानंद, वल्लभ, निम्बार्क, माध्व, राधावल्लभ, सखी, गौड़ीय आदि। वैष्णव का मूलरूप आदित्य या सूर्य देव की आराधना में मिलता है। भगवान विष्णु का वर्णन भी वेदों में मिलता है। पुराणों में विष्णु पुराण प्रमुख से प्रसिद्ध है। विष्णु का निवास समुद्र के भीतर माना गया है।

*विष्णु के अवतार : शास्त्रों में विष्णु के 24 अवतार बताए हैं, लेकिन प्रमुख दस अवतार माने जाते हैं- मतस्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बु‍द्ध और कल्कि। 24 अवतारों का क्रम निम्न है-1.आदि परषु, 2.चार सनतकुमार, 3.वराह, 4.नारद, 5.नर-नारायण, 6. कपिल, 7दत्तात्रेय, 8.याज्ञ, 9.ऋषभ, 10.पृथु, 11.मतस्य, 12.कच्छप, 13.धनवंतरी, 14.मोहिनी, 15.नृसिंह, 16.हयग्रीव, 17.वामन, 18.परशुराम, 19.व्यास, 20.राम, 21.बलराम, 22.कृष्ण, 23.बुद्ध और 24.कल्कि।

*वैष्णव ग्रंथ : ऋग्वेद में वैष्णव विचारधारा का उल्लेख मिलता है। ईश्वर संहिता, पाद्मतन्त, विष्णुसंहिता, शतपथ ब्राह्मण, ऐतरेय ब्राह्मण, महाभारत, रामायण, विष्णु पुराण आदि।

*वैष्णव तीर्थ : बद्रीधाम ( badrinath), मथुरा ( mathura), अयोध्या ( ayodhya), तिरुपति बालाजी, श्रीनाथ, द्वारकाधीश।

*वैष्णव संस्कार : 1.वैष्णव मंदिर में विष्णु, राम और कृष्ण की मूर्तियाँ होती हैं। एकेश्‍वरवाद के प्रति कट्टर नहीं है।, 2.इसके संन्यासी सिर मुंडाकर चोटी रखते हैं।, 3.इसके अनुयायी दशाकर्म के दौरान सिर मुंडाते वक्त चोटी रखते हैं।, 4.ये सभी अनुष्ठान दिन में करते हैं।, 5.यह सात्विक मंत्रों को महत्व देते हैं।, 6.जनेऊ धारण कर पितांबरी वस्त्र पहनते हैं और हाथ में कमंडल तथा दंडी रखते हैं।, 7.वैष्णव सूर्य पर आधारित व्रत उपवास करते हैं।, 8.वैष्णव दाह संस्कार की रीति हैं।, 10.यह चंदन का तीलक खड़ा लगाते हैं।

वैष्णव साधु-संत : वैष्णव साधुओं को आचार्य, संत, स्वामी आदि कहा जाता है।

नोट : मान्यता हैं कि हिन्दू धर्म में आमजनों को अग्निदाह और साधुओं को समाधि दी जाती है। उक्त जानकारी आमजनों को समझने हेतु सक्षिप्त रूप में प्रस्तुत की गई है। इसे पूर्ण ना समझा जाए।
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