पुराणों में भारत में आज तक होने वाले सभी शासकों की वंशावली का उल्लेख मिलता है। पुराणकार पुराणों की भविष्यवाणियों का अलग-अलग अर्थ निकालते हैं। यहां प्रस्तुत हैं भागवत पुराण में दर्ज भविष्यवाणी के अंश।
'' ज्यों-ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा त्यों-त्यों सौराष्ट्र, अवंति, अधीर, शूर, अर्बुद और मालव देश के ब्राह्मणगण संस्कारशून्य हो जाएंगे तथा राजा लोग भी शूद्रतुल्य हो जाएंगे।''
यहां शूद्र का मतलब उस आचरण से है, जो वेद विरुद्ध है। मांस, मदिरा और संभोगादि प्रवृत्ति में ही सदा रत रहने वाले राक्षसधर्मी को शूद्र कहा गया है। जो ब्रह्म को मानने वाले हैं वही ब्राह्मण है। आज की जनता ब्रह्म को छोड़कर सभी को पूजने लगी है। जब सभी वेदों को छोड़कर संस्कारशून्य हो जाएंगे तब...
'' सिंधुतट, चंद्रभाग का तटवर्ती प्रदेश, कौन्तीपुरी और कश्मीर मंडल पर प्राय: शूद्रों का संस्कार ब्रह्मतेज से हीन नाममात्र के द्विजों का और म्लेच्छों का राज होगा। सबके सब राजा (राजनेता) आचार-विचार में म्लेच्छप्राय होंगे। वे सब एक ही समय में भिन्न-भिन्न प्रांतों में राज करेंगे।''
अगले पन्ने पर पढ़ें, आखिर क्यों यह सब नष्ट हो जाएंगे?