विद्वान रावण की 10 अजीब इच्छाएं, जानिए

Webdunia
बुधवार, 26 मार्च 2014 (11:29 IST)
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' रावण'... दुनिया में इस नाम का दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है। राम तो बहुत मिल जाएंगे, लेकिन रावण नाम का नहीं। कोई भी माता-पिता अपने बच्चों का नाम रावण नहीं रखते। यदि कोई माता-पिता ऐसा कर रहे हैं तो निश्चित ही वे अपने बच्चे को भी रावण के रास्ते पर धकेलने का कार्य ही करेंगे।

दशानन रावण की दस खास बातें

रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ ब्रह्मज्ञानी तथा बहु-विधाओं का जानकार था। उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था। उसके पास एक ऐसा विमान था, जो अन्य किसी के पास नहीं था। लेकिन शक्ति के इस दंभ के चलते अहंकारी रावण में बहुत सारे दुर्गुण पैदा हो चले थे जिसके चलते सभी उससे भयभीत रहते थे।

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1. ईश्वर विरोधी रावण : रावण खुद को ईश्वर मानता था और वह तीनों लोकों पर शासन करना चाहता था। उसका स्वर्ग तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का निर्माण करने का सपना था। इसके पीछे रावण का उद्देश्य था कि लोग ईश्वर को मानना बंद कर दें और उसे ही भगवान समझकर पूजें। इसी के चलते रावण भगवान शिव, सहस्रबाहु, बाली आदि से युद्ध करके उन्हें हराकर खुद को सर्वशक्तिमान घोषित करना चाहता था।

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2. शक्ति का दंभ : रावण को अपनी शक्ति पर बहुत ज्यादा भरोसा था। वह खुद को सर्वशक्तिमान होने का दंभ पाले बैठा था इसीलिए वह अपनी शक्ति पर भरोसा करके किसी को भी युद्ध के लिए ललकार देता था। इसी के चलते रावण भगवान शिव, सहस्रबाहु, बाली आदि से युद्ध में पराजित हुआ था।

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3. चापलूस पसंद रावण : रावण को अपनी तारीफ सुनने की बहुत बुरी आदत थी। वह उन लोगों को कभी माफ नहीं कर पाता था, जो उसकी निंदा करते थे या जो उसको उसके अवगुणों से परिचित कराते थे। इसी के चलते उसने अपने शुभचिंतकों को अपने से दूर कर दिया था जैसे उसका भाई विभीषण, नाना माल्यवंत आदि।

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4. कामुक रावण : रावण चरित्रहीन था। कई पत्नियों को रखने के बाद भी वह उनसे कभी संतुष्ट नहीं रहता था। महिलाओं को वह भोग की वस्तु समझता था। वह महिलाओं के साथ वस्तु जैसा व्यवहार करता था। उसके इसी स्वभाव के कारण रंभा और सीता द्वारा दिए गए शाप के कारण ही उसका विनाश हुआ।

रावण का वध होने पर मंदोदरी विलाप करते हुए कहती है, 'अनेक यज्ञों का विलोप करने वाले, धर्म व्यवस्थाओं को तोड़ने वाले, देव-असुर और मनुष्यों की कन्याओं का जहां-तहां से हरण करने वाले, आज तू अपने इन पाप कर्मों के कारण ही वध को प्राप्त हुआ है।'

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5. शराबी रावण : कहते हैं कि रावण को शराब प्रिय थी। रावण चाहता था कि शराब से दुर्गंध समाप्त कर दी जाए और फिर राज्य में शराब का प्रचार-प्रसार किया जाए ताकि अधिक से अधिक लोग इसे पीना शुरू कर दें और इसे पीकर लोग विवेकशून्य हो। इससे लोग अधर्म के रास्ते पर चल पड़ेंगे और फिर में सभी को अपना गुलाम बनाकर रखूंगा।

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6. अश्वेत रावण : रावण का रंग बेहद काला था। कई बार उसे अपने रंग की वजह से शर्मिंदा भी होना पड़ा। उसकी गुप्त इच्छा थी कि धरती पर जितने भी लोग हैं उन सभी का रंग काला हो जाए ताकि कभी कोई उसका अपमान न कर सके। वह सफेद रंग के लोगों से नफरत करता था।

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7. सोने पर कब्जा : रावण दुनियाभर के जितने भी सोने की खदानें हैं या फिर स्वर्ण मुद्राएं हैं सभी पर अपना अधिकार स्थापित करना चाहता था, क्योंकि वह सोने के महत्व को जानता था। वह चाहता था कि किसी भी तकनीक से संपूर्ण धरती के सोने में एक विशेष प्रकार की सुगंध डाल दी जाए ताकि यह आसानी से पता चल सके कि सोना कहां छिपा है।

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8. सफेद खून : कहते हैं कि रावण ने अपने राज्य विस्तार और अपनी शक्ति को बढ़ने के लिए युद्ध में लाखों लोगों का खून बहाया। इतना कि नदियां तक लाल रंग की हो गईं और चारों तरफ यह पता चल जाता था कि रावण क्या कर रहा है। रावण कत्लेआम में लगा हुआ था। इसके चलते प्रकृति का संतुलन बिगड़ता देख देवता और अन्य लोग रावण से नाराज हो गए और उन्होंने रावण के कार्यों में अड़ंगा डालना शुरू कर दिया। इसी कारण रावण यह चाहता था कि खून का रंग लाल न होकर सफेद हो जाए ताकि युद्ध में कितने लोग मारे गए या कितने लोगों का खून बहा, किसी को पता ही न चल पाए।

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9. दूसरों का धन और स्त्री हड़पने की इच्छा : रावण ने कई लोगों का धन और उनकी स्त्रियों को हड़पने का कार्य किया था। इसके कई उदाहरण हैं- उसने अपने भाई कुबेर से सोने की लंका हड़पी और राम की पत्नी का हरण किया।

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10. कठोर वचन बोलना : रावण हमेशा अपने प्रियजनों से भी कठोर वचन बोलता रहता था। वह अपने भाइयों, बेटों और पत्नियों से तो कठोर वचन कहता ही रहता था दूसरे लोगों के समक्ष भी वह इसी तरह बोलता रहता था।

इस तरह रावण के और भी कई अवगुण थे जिसके चलते रावण को अच्छा नहीं माना जाता है। ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बाद भी उसने राक्षसों के धर्म को अपनाया था और पिता के धर्म और उनके अनुयायियों पर अत्याचार किए थे इसलिए रावण को पितृद्रोही भी माना जाता है।
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