Dharma Sangrah

हिंदू सनातन धर्म: क्या है चार युग?

Webdunia
शनिवार, 23 अक्टूबर 2010 (15:42 IST)
FILE
एक तिथि वह समय होता है, जिसमें सूर्य और चंद्र के बीच का देशांतरीय कोण बारह अंश बढ़ जाता है। तिथियाँ दिन में किसी भी समय आरम्भ हो सकती हैं और इनकी अवधि उन्नीस से छब्बीस घंटे तक हो सकती है।

पंद्रह तिथियों का एक पक्ष या पखवाड़ा माना गया है। शुक्ल और कृष्ण पक्ष मिलाकर दो पक्ष का एक मास। फिर दो मास की एक ऋतु और इस तरह तीन ऋतुएँ मिलकर एक अयन बनता है और दो अयन यानी उत्तरायन और दक्षिणायन। इस तरह दो अयनों का एक वर्ष पूरा होता है।

15 मानव दिवस एक पितृ दिवस कहलाता है यही एक पक्ष है। 30 पितृ दिवस का एक पितृ मास कहलाता है। 12 पितृ मास का एक पितृ वर्ष। यानी पितरों का जीवनकाल 100 का माना गया है तो इस मान से 1500 मानव वर्ष हुए।

और इसी तरह पितरों के एक मास से कुछ दिन कम यानी मानव के एक वर्ष का देवताओं का एक दिव्य दिवस होता है, जिसमें दो अयन होते हैं पहला उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन। तीस दिव्य दिवसों का एक दिव्य मास। बारह दिव्य मासों का एक दिव्य वर्ष कहलाता है।

(1) 4,800 दिव्य वर्ष अर्थात एक कृत युग (सतयुग)। मानव वर्ष के मान से 1728000 वर्ष।
(2) 3,600 दिव्य वर्ष अर्थात एक त्रेता युग। मानव वर्ष के मान से 1296000 वर्ष।
(3) 2,400 दिव्य वर्ष अर्थात एक द्वापर युग। मानव वर्ष के मान से 864000 वर्ष।
(4) 1,200 दिव्य वर्ष अर्थात एक कलि युग। मानव वर्ष के मान से 432000 वर्ष।

12000 दिव्य वर्ष अर्थात 4 युग अर्थात एक महायुग जिसे दिव्य युग भी कहते हैं।

सत्य युग : वर्तमान वराह कल्प में हुए कृत या सत्य को 4800 दिव्य वर्ष का माना गया है। ब्रह्मा का एक दिवस 10000 भागों में बँटा होता है, जिसे चरण कहते हैं।

त्रेतायुग : त्रेतायुग को 3600 दिव्य वर्ष का माना गया है। त्रेता युग मानवकाल के द्वितीय युग को कहते हैं। यह काल राम के देहान्त से समाप्त होता है।

द्वापर : द्वापर मानवकाल के तृतीय युग को कहते हैं। यह काल कृष्ण के देहान्त से समाप्त होता है।

कलियुग : 1200 दिव्य वर्ष का एक कलियुग माना गया है। कलियुग चौथा युग है। आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ई.पू. में हुआ था। कृष्ण का इस युद्ध के 35 वर्ष पश्चात देहान्त हुआ, तभी से कलियुग का आरम्भ माना जाता है।

वर्तमान में जो युग चल रहें है ऐसे चार युग पहले भी बहुत से हो चुके हैं। अनुमानत: चार युगों का यह 22वाँ या 23वाँ चक्र चल रहा है। उपरोक्त आँकड़ों में दोष हो सकता हैं, क्योंकि पुराणों में युगों की काल अवधि को लेकर अलग-अलग धारणा मिलती है।

- वेबदुनिया डेस्क

हिंदू 'पंचांग' की अवधारणा

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Mangal gochar: मंगल का धनु में गोचर, 5 राशियों के लिए शुरू होगा शानदार समय

Dhanu sankranti 2025: धनु संक्रांति कब है, क्या है इसका महत्व, पूजा विधि और कथा?

Guru gochar 2025: बृस्पपति का मिथुन में प्रवेश, 12 राशियों का दो लाइन में भविष्यफल

Weekly Numerology Horoscope: साप्ताहिक अंक राशिफल: 08 से 14 दिसंबर 2025 तक, क्या कहते हैं आपके मूलांक के सितारे?

2026 Horoscope: 100 साल बाद मकर राशि में महासंयोग: 2026 में 5 राशियां होंगी मालामाल

सभी देखें

धर्म संसार

12 December Birthday: आपको 12 दिसंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 12 दिसंबर, 2025: शुक्रवार का पंचांग और शुभ समय

धनु संक्रांति के दिन करें ये 5 कार्य, मिलेगा संकटों से मुक्ति का आशीर्वाद

Saphala Ekadashi Katha: सफला एकादशी व्रत, समस्त पापों से मुक्ति दिलाने वाली कथा

Surya Gochar: सूर्य का धनु राशि में प्रवेश, जानिए 12 राशियों का राशिफल, क्या होगा भविष्यफल