ये 11 प्रकार के बुरे लोग, जानिए काम की बात

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धर्म में वैसे तो हजारों बातें लिखी हैं किंतु कोई उसका अनुसरण करता है और कोई नहीं। जीवन बहुत ही मूल्यवान है या कहें कि इसका आकलन किसी भी प्रकार के मूल्य से नहीं कर सकते। आप कितना भी मूल्य चुका दें, लेकिन आपको दोबारा बचपन नहीं मिलेगा, जवानी खो जाएगी तो जवानी नहीं मिलेगी और बुढ़ापे में रोने और पछताने के ‍अलावा आपके पास कुछ नहीं होगा।

यदि रोने और पछताने में ही बुढ़ापा गुजार दिया तो फिर बुढ़ापे का मजा भी गया समझो। इसलिए बचकर रहना चाहिए इन 11 प्रकार के बुरे लोगों या बुराइयों से, जो आपसे आपका सबकुछ छीन सकते हैं।
 
हम आपके लिए पुराणों में से निकालकर लाए हैं ऐसी 11 बातें, जो आपके जीवन में लाभदायक सिद्ध हो सकती हैं। आप इन्हें पढ़कर सतर्क हो सकते हैं। जरूरी हैं ‍ज्ञान की ये 11 बातें जानना...
 
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1. कुसंगत : पुराणों के अनुसार जैसी संगति वैसी मति और जैसी मति वैसी गति। इसलिए जितनी जल्दी हो सके, कुसंगत छोड़ दें। यदि नहीं छोड़ पा रहे हैं तो हनुमान चालीसा की वह चौपाई याद करें... कुमति निवार सुमति के संगी।
कुसंग अर्थात बुरे लोगों के साथ रहना। बुरे लोग अर्थात जो अपराधी किस्म के हैं। नशा करते हैं या किसी भी प्रकार के बुरे कार्यों में लिप्त हैं। ये लोग आपके आसपास हो सकते हैं। स्कूल, कॉलेज या दफ्तर में भी हो सकते हैं। आप ऐसे लोगों से दूर ही रहें अन्यथा ये आपके जीवन को भी संकट में डाल देंगे।
 
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2. माता-पिता से झगड़ना : आज के दौर में ऐसे भी बहुत से लोग मिल जाएंगे जिन्होंने शायद ही कभी माता-पिता की सेवा की हो, लेकिन अब वे अपनी संतानों से सेवा की उम्मीद रखते हैं। माता-पिता से झगड़ा करने वाले बहुत से जवान बेटे मिल जाएंगे। उनकी बुढ़ापे में बहुत बुरी दुर्गति होती है। यह गरूड़ पुराण में लिखा है।
पुराण कहते हैं कि जब माता-पिता या परिवार के लोग आपसे रुष्ट हो जाएं या परिवार के सदस्य आपको अप्रिय लगने लगे, तब समझो कि विनाश काल शुरू हो गया।
 
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3. झूठ बोलना : झूठ और अहितकारी वचन न बोलना ही सत्य है। बहुत से लोग अपने स्वार्थ के लिए या निष्प्रयोजन झूठ बोलते रहते हैं। वे हर वक्त झूठी कसम खाते रहते हैं। उनमें भी वे लोग अपराधी हैं, जो कसम खाकर, झूठ बोलकर और धोखा देकर अपना माल बेचते या व्यापार करते हैं।
 
अपने परिजनों से झूठ बोलना तो और भी खतरनाक है। इसके क्या-क्या नुकसान हैं, यह सभी जानते हैं। झूठ बोलने से परिवार और समाज में आपकी प्रतिष्ठा नहीं रहती। झूठ कैसा भी हो, वह सभी को नजर आता है। बहुत ही अच्छे तरीके से बोला गया झूठ भी अंतत: पता चल ही जाता है। झूठ बोलने वाले व्यक्ति की आवाज देवता सुनते हैं और उसकी प्रार्थनाएं अनसुनी कर देते हैं।
 
कई लोग अपनी बुरी आदतों को छुपाने के लिए भी झूठ बोलते हैं। अपनी बुरी आदतों को ढंकने या उनको सही ठहराने वाले लोग भी बहुत मिल जाएंगे। यदि वे शराब पी रहे हैं तो शराब के अच्छे होने का तर्क देंगे। यदि वे अन्य कोई धर्मविरुद्ध कार्य कर रहे हैं तो उस कार्य को ढंकने के लिए कुतर्क का सहारा लेंगे।
 
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4. सेवा का भाव न रखना : यदि आप दूसरों की मदद करेंगे तो दूसरे भी आपकी मदद करेंगे। लेकिन कई लोग ऐसे हैं, जो मदद करने के बाद हर जगह उसका ढिंढोरा पीटते रहते हैं या जिसकी मदद की है उसको बार-बार जताते रहते हैं। ऐसे लोग दूसरों की मदद करने के बाद भी बुरे लोगों की गिनती में शामिल हो जाते हैं। 
 
इसके अलावा ऐसे भी लोग हैं, जो लोगों के दुखों में शामिल नहीं होते और खुद यह अपेक्षा रखते हैं कि कोई हमारे दुख-दर्द सुन ले और हमारी मदद करें। इसके लिए वे उन लोगों के पास भी चले जाते हैं जिनके दुखों में वे कभी खुद नहीं गए या वह जिनसे कम ही जान-पहचान रखते हैं। ऐसे लोग कभी आगे बढ़कर अपनों की मदद नहीं करते।
 
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5. काल करे सो आज कर : यह सफलता का सूत्र है कि जो काम आप कल करने की सोच रहे हैं उसे आज ही करने का प्लान करें। ज्यादातर लोग यह समझते हैं कि आज नहीं, कल यह कार्य कर लेंगे यानी किसी काम को ये सोचकर अधूरा छोड़ना कि फिर किसी दिन पूरा कर लिया जाएगा, यह लापरवाही जीवन में असफलता का कारण बन जाती है।
 
संत कबीर ने कहा है, 'काल करे सो आज कर, आज करे सो अब/ पल में प्रलय होयगी, बहुरि करेगा कब।' कई महान लोगों ने कबीरदासजी के इस दोहे को आत्मसात किया है। आजकल तो अधिकतर लोग आज का काम कल पर ही टालते रहते हैं, ऐसे में उनके हाथ से सबकुछ छूटता जाता है और अंतत: वे उस कार्य के बारे में सोचना छोड़कर निराशा के गर्त में चले जाते हैं।
 
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6. व्रत और योग करें : ज्यादातर लोग इस खयाल में रहते हैं कि आज नहीं कल सेहत सुधार लेंगे। धर्म कहता है कि समस्या और बीमारी को मामूली समझकर शुरू में इलाज न करना घातक सिद्ध होता है। 
 
अत: जैसे ही पता चले कि कुछ समस्या या बीमारी है तो सब कार्य छोड़कर पहले उसका समाधान और इलाज करना चाहिए अन्यथा रोग बढ़ते देर नहीं लगती। तुरंत ही ऐसे व्रत और योग का पालन करना शुरू कर दें। 
 
बहुत से युवा बाजार में, मॉल में अनाप-शनाप खाते रहते हैं। ज्यादातर लोग इसी ख्याल में रहते हैं कि जवानी और तंदुरुस्ती हमेशा रहेगी या वे कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दे पाते हैं कि एक न एक दिन यह जवानी ढल जाएगी। आज जवानी पर इतराने वाले बहुत सारे युवक और युवतियां मिल जाएंगे।
 
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7. अच्छा बर्ताव करें : अपने घर, स्कूल, कॉलेज या दफ्तर में ऐसे लोग देखें होंगे, जो सभी से लगभग खराब ही बर्ताव करते हैं या कि बुरे व्यवहार करते हैं। वे चिढ़चिढ़े भी हो सकते हैं या कपटी भी। वे क्रोधी भी हो सकते हैं या ईर्ष्या रखने वाले भी। ऐसे लोगों से दूर रहना ही बेहतर है वर्ना वे आपके मन और मस्तिष्क को खराब कर देंगे।
 
क्रोध, ईर्ष्या आदि तरह की बुरी भावनाओं से मानसिक तनाव बना रहता है और इससे शरीर का क्षरण भी होता है। व्यक्ति वक्त के पहले बूढ़ा होने लगता है। हमारे शरीर तथा मन और मस्तिष्क पर इसका गहरा असर पड़ता है। 
 
हालांकि बहुत से ऐसे लोग हैं, जो खुद तो दूसरों के साथ खराब बर्ताव करते हैं और अपेक्षा यह रखते हैं कि सभी उनसे अच्छा व्यवहार करें। ऐसे लोग नकारात्मक विचारों के होते हैं और हमेशा वे दूसरों की बातों को काटते रहते हैं और अपना ही बखान करते रहते हैं।
 
अगले पन्ने पर आठवीं बात...
 

8. बहुत बातूनी लोग : बातूनी लोग कई प्रकार के होते हैं। लाखों लोग हैं, ऐसे जो अपनी जुबान बंद नहीं रख सकते। वे दूसरों को कभी बोलने का अवसर नहीं देते। हर बात में वे अपनी राय रखना चाहते हैं भले ही वे उस विषय का ज्ञान नहीं रखते हों। हर बात में वे दखल देना चाहते हैं।
 
कोई अच्छी राय दे तो उस पर ध्यान न देना भी इन लोगों की आदत है। ऐसे लोग न चाहने पर भी दूसरों को राय बांटते रहते हैं। ऐसे लोग कभी किसी की बात ध्यान से नहीं सुनते लेकिन अपेक्षा रखते हैं कि कोई हमारी बातें ध्यान से सुने। ऐसे में यदि कोई उनकी बातें ध्यान से नहीं सुनता है तो उन्हें गुस्सा आता है।
 
ऐसे लोग जरूरत से ज्यादा बातचीत करते हैं। वे बगैर सोचे-समझे बातें करते हैं। इनमें से अधिकतर ऐसे हैं, जो हमेशा नकारात्मक बातें ही करते रहते हैं। हमेशा उनके मुंह से कटु वचन ही निकले रहते हैं। ऐसे लोगों से आप कभी भी संवाद स्थापित नहीं कर सकते।
 
बहुत से लोगों में आदत होती है किसी भी मामले में दखलअंदाजी करना। उनमें भी वे लोग सबसे खराब हैं, जो बिना कारण के किसी के घरेलू मामले में दखल देते हैं और मामले को और बिगाड़ देते हैं।
 
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9. समाज को असमान करने वाले लोग : कई अमीर लोग हैं, जो गरीबों के साथ इसलिए बुरा बर्ताव करते हैं क्योंकि वे गरीब हैं। खुद अपने खानदान के किसी गरीब परिवार के सदस्यों को हीन दृष्टि से देखते हैं।
 
इसके अलावा ऐसे भी लोग हैं, जो खुद को दूसरों से बेहतर समझते हैं। ऐसे अहंकारी लोगों की भरमार है। ऐसे लोग अपनी अक्ल को सबसे बढ़कर समझते हैं। परमेश्वर ने सभी को दो हाथ, कान, नाक, दिमाग बनाकर दिया है। ज्यादा पढ़ने और सोचने या धन अर्जित करने से कोई दूसरों से बेहतर नहीं बन जाता। बड़े से बड़े ज्ञानियों के भी सुख-दुख गरीबों और अज्ञानियों के समान ही हैं। एक दिन सभी जलकर राख बन जाएंगे। मरने के बाद देवता उनके साथ होंगे जिन्होंने सभी को समान समझा।
 
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10. परस्त्रीगमन : पराई स्त्री से संबंध रखने वाले भी बहुत मिल जाएंगे। ऐसी स्‍त्रियां भी मिल जाएंगी, जो अपने पति को धोखा देकर दूसरे मर्द के साथ हैं। यह हमारे पारिवारिक समाज की नैतिकता के विरुद्ध है। इस तरह के लोगों को देखकर कुछ तो उनका विरोध करते हैं और कुछ उनके जैसा जीवन जीने की सोचते हैं। सभी तरह के अनैतिक संबंधों को सही ठहराने वाले धर्म की नजर में अपराधी हैं।
 
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11. फिजूलखर्ची : आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपय्या यानी आमदनी से अधिक खर्च करने वाले उधार लेकर भी जिंदगी बसर करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते और एक दिन वे बुरे दौर में फंस जाते हैं। वे सोचते रहते हैं कि आज तो कर लो खर्चा, कल से बचत करेंगे या ज्यादा खर्चा नहीं करेंगे। ऐसे लोगों को बुरा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि इनकी वजह से दूसरों का जीवन भी संकट में आ जाता है।
 
ऐसे लोग सिनेमा, नशा, पान आदि पर अनाप-शनाप खर्च कर देते हैं, लेकिन अपने द्वार या दुकान पर आए फकीरों और गरीबों को धक्का देकर भगा देते हैं।
 
अंत में कुछ खास बातें...
 

*बहुत से लोग ऐसे हैं, जो हर एक के सामने अपना दुख-दर्द सुनाते रहते हैं और अपने घर का भेद दूसरों पर जाहिर करते हैं। इससे घर और परिवार में बिखराव होता है। ऐसे लोग कमजोर माने जाते हैं। ऐसे लोगों का बहुत से दूसरे लोग शोषण भी करते हैं।
 
*पड़ोसियों से अच्छा व्यवहार करना हर धर्म सिखाता है लेकिन कितने हैं, जो ऐसा करते हैं। पड़ोसियों से अच्‍छा व्यवहार न करने का मतलब है कि आप खुद की और दूसरों की शांति भंग कर रहे हैं। आप जहां भी जाएंगे शांति भंग ही करते रहेंगे। ऐसे लोग हमेशा यदि सोचते रहते हैं कि शांति भंग करने वाला मैं नहीं पड़ोसी ही है, यह जाएगा तभी जीवन में शांति आएगी। ऐसे लोग एक दिन खुद बेघर हो जाते हैं।
 
*बहुत से लोग बहुत जल्द ही किसी के बारे में अपनी राय कायम कर उसकी तारीफ या निंदा करने लग जाते हैं, जो कि एक सामाजिक बुराई है। कुछ लोग तो एक-दो मुलाकात में ही किसी के बारे में अपनी राय कायम कर भाषण देने लग जाते हैं।
 
*आजकल धर्म की बुराई करने का फैशन है खासकर हिन्दू धर्म की। लोग हिन्दू धर्म की बुराई आसानी से कर सकते हैं, ‍क्योंकि यह धर्म लोगों की स्वतंत्रता को महत्व देता है। किसी देवी-देवता और ऋषि-मुनि की बुराई करने वाले लोग यह नहीं जानते हैं कि यह बात वे सभी देवी-देवता सुन रहे हैं जिनकी आप बुराई कर रहे हैं, मजाक उड़ा रहे हैं या जिन पर आप चुटकुले बना रहे हैं। जिन्होंने गहरा ध्यान किया है ऐसे लोग जानते हैं कि देवता होते हैं और वे सुनते हैं। ऐसे लोगों को सजा भी मिलती है। देवताओं का साथ छोड़ देना ही सजा है।
 
*लाखों लोग ऐसे हैं, जो दूसरों का धन हड़पने की इच्छा रखते हैं या हड़प ही लेते हैं। लाखों लोग ऐसे भी हैं, जो दूसरों का हक मारते रहते हैं। यहां तक तो ठीक है लेकिन अब उन लोगों की संख्‍या भी बढ़ती जा रही है, जो दूसरों के विचार चुराकर उसे खुद का बताकर प्रस्तुत करते हैं। दूसरों का आइडिया चुराकर उसे खुद का आइडिया कहकर प्रस्तुत करते हैं। इस तरह का प्रयास भी धर्म में निषिद्ध कर्म कहा गया है।
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