जीवन को सुख में बदलने के 13 तरीके

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
जीवन घटनाओं का चक्र है। यदि बुरी घटनाओं के चक्र में आप फंसे हैं तो उससे निकलना बहुत मुश्किल होता है। यदि आपकी तोंद निकल गई है तो उसे अंदर करना उतना ही मुश्‍किल है जितना कि किसी संकट से बाहर निकलना।
यदि आपको किसी भी प्रकार का रोग है, शोक है, धन का अभाव है या किसी भी प्रकार के संकट से आप घिरे हुए हैं तो हम आपको बताएंगे ऐसे 13 तरीके जिन पर अमल करके आप सुखमय जीवन बना सकते हैं।  हमने यह आलेख हिन्दू संतों की पुस्तकों से प्रेरित होकर लिखा है।
 
अगले पन्ने पर पहला तरीका...
 

अच्छे वाक्यों की संख्या बढ़ाओ : आपके दिमाग में चाहे बुरे विचार आते हों, उसकी फिक्र करने की जरूरत नहीं। आप बस एक काम करें वह यह कि सुबह उठते ही आप एक अच्छा विचार सोचें या एक अच्छा वाक्य खुद से बोलने के लिए तैयार रखें। जैसे कि आज मैं बहुत खुश हूं, आज मेरी मनोकामना पूर्ण होगी या मैं बहुत अच्‍छे विचारों वाला व्यक्ति हूं। आप कोई-सा भी सुविचार सोच सकते हैं।
 
प्रतिदिन यदि आप सुबह उठते ही खुद से कोई अच्‍छा कमिटमेंट करते हैं, तो यह अभ्यास आपके जीवन को बदलने के लिए कुछ दिनों बाद सक्रिय होने लगेगा। आपका मस्तिष्क ही आपका भविष्य निर्माण करता है।
 
खुद को अच्छे वाक्यों से प्रेरित करते रहें। नकारात्मक सोच एवं विचारों से बचने के लिए जरूरी है कि स्वयं को मोटिवेट करते रहें। स्वयं को मोटिवेट करने के लिए महापुरुषों के कथनों को पढ़ें, सक्सेसफुल लोगों की जीवनी, प्रेरणादायक कहानियां, पर्सनल डेवलपमेंट आर्टिकल पढ़ें।
 
अगले पन्ने पर दूसरा तरीका...
 
 

अंतिम विचार पर ध्यान दें : रात में आप जब सोने जाते हैं तो जो भी विचार या भाव लेकर सोते हैं, वही विचार या भाव उठते समय का पहला विचार या भाव बन जाता है और इस तरह दिनभर वही दिमाग में रहता है।
 
अंतिम विचार के बारे में सोचें। अब से आप जब भी बिस्तर पर सोने जाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हुए सो रहे हैं। यदि नकारात्मक विचार हैं तो उसकी जगह अपने और अपने परिवार के लिए कुछ अच्छा सोचकर सोएं या अपने ईष्टदेव के नाम का जप करते हुए सो जाएं।
 
आपका अंतिम विचार ही पूरी रात आपके दिमाग में चलता रहता है जिसका आपको पता नहीं चलता है यह विचार ही आपके जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इस विचार का सबसे अच्छा होना जरूरी है अत: सोते समय अच्छे उद्धरण को दोहराते हुए सोना चाहिए। मन में किसी भी प्रकार का भय और शंका लेकर नहीं सोना चाहिए।
 
अगले पन्ने पर तीसरा तरीका...
 

नई आदतें बनाएं : अच्छी आदतों से अच्छा होता है और बुरी आदतों से बुरा। यदि आप में किसी भी प्रकार का नशा करने, गाली बकने, क्रोध करने, ईर्ष्या करने, अनावश्यक भोजन करने, किसी का अपमान करने या व्यंग्य करने या अन्य किसी भी प्रकार की गंदी आदतें हैं तो फिर आपका वर्तमान और भविष्य भी वैसा ही होगा। बुरी आदतें डालना नहीं पड़तीं, वे संगत से स्वत: ही ‍निर्मित हो जाती हैं।
 
आप अपनी बुरी आदतों को छोड़ने की चिंता करने के बजाय अच्छी आदतें डालना शुरू करें। जीवन में उन सभी आदतों को शामिल करें जिनसे अच्‍छा होता हो। जैसे सुबह जल्दी उठना, किसी असहाय की सहायता करना, प्रतिदिन नहीं जा सकते तो प्रति गुरुवार को मंदिर जाना, माता-पिता के प्रतिदिन पैर छूना, अच्छे प्रवचन सुनना, लोगों से विनम्रता से बात करना आदि। 
 
अभ्यास से जन्मीं आदतों में बहुत शक्ति होती है। हमें अपनी शक्ति को अच्छे काम में रूपांतरित करना चाहिए। हम में अनं‍त ऊर्जा है, बस उसे सही जगह इस्तेमाल करने की जरूरत है।
 
अगले पन्ने पर चौथा तरीका...
 

स्व:अनुशासन और नियम जरूरी : जीवन में स्व:अनुशासन जरूरी है। यदि आप अनियमित जीवन जी रहे हैं तो सब कुछ बिखरा-बिखरा और अनियमित ही होगा। सुबह उठने का कोई नियम नहीं, रात को सोने का नियम नहीं, भोजन करने का कोई नियम नहीं और न ही अन्य कोई कार्य करने का नियम।
इसके अलावा आप सड़क पर वाहन चलाते हैं, तो यातायात नियमों का भी पालन नहीं करते। आप सड़क पर कचरा फेंककर चल देते हैं। न आपकी परिवार के प्रति कोई जिम्मेदारी है, न समाज और देश के प्रति। ऐसी छोटी-छोटी बहुत-सी बातें हैं जिनका पालन नहीं करने से परिवार, समाज और आपके मन में असंतोष की भावना पनपती है। व्यवस्था गड़बड़ा जाती है जिसके चलते आत्मविश्‍वास भी जाता रहता है।
 
ठीक है कि आप बहुत सारे नियमों का पालन नहीं करते, लेकिन स्व:अनुशासन में तो रह सकते हैं। खुद के जीवन को तो अनुशासनबद्ध कर ही सकते हैं। समय पर उठना, समय पर ऑफिस पहुंचना, घर का ही भोजन करना और समय पर सो जाना- ये भी तो अनुशासन का ही हिस्सा हैं। अनुशासन होगा तो बहुत से संकटों से आप दूर रहेंगे।
 
अगले पन्ने पर पांचवां तरीका...
 

अपनी पहचान बनाएं : दोस्तों की संख्‍या ज्यादा से ज्यादा होना चाहिए लेकिन सभी ऐसे दोस्त हों, जो अच्छे हों, उनका मार्ग अच्छा हो। हालांकि सोच-समझकर ही दोस्त बनाएं। पहले उसे अच्छे से जांच-परख लें।
दोस्तों, परिचितों, रिश्तेदारों और सहयोगियों के बीच अपनी पहचान स्थापित करें। सभी से संवाद स्थापित करें और उनका हरसंभव सहयोग करने का प्रयास करें। अपने परिवार को प्राथमिकता दें। परिवार के सदस्यों के प्रति पूर्ण समर्पण, प्यार और सहयोग से ही बदलेगा आपका जीवन।
 
अगले पन्ने पर छठा तरीका...
 

शुद्ध और उत्तम आहार जरूरी : शारीरिक और मानसिक स्वास्‍थ्य के लिए बहुत जरूरी है आपके शरीर के हिसाब से उत्तम और रु‍चिकर आहार। हमेशा अलग-अलग तरह का आहार ग्रहण करते रहें, क्योंकि कोई भी आहार संपूर्ण नहीं होता।
आहार शुद्धि जरूरी है। यह देखें कि आप जो खा रहे हैं, उसका आपके शरीर पर क्या असर होगा? सिर्फ स्वाद या मजे के लिए न खाएं और न पीएं। अन्न से शरीर ही नहीं, मन और मस्तिष्क का भी निर्माण होता है।
 
अगले पन्ने पर सातवां तरीका...
 

जोखिम लेने से पीछे न हटें : जीवन में कई ऐसे अवसर आते हैं जबकि हमें जोखिम उठाना पड़ती है तभी हम आगे बढ़ सकते हैं। रोजमर्रा के जीवन की बोरियत से बचने और अधिक धन या सफलता प्राप्त करने के लिए जोखिम तो उठाना ही होगा।
याद कीजिए वो अंतिम समय जब आपने कुछ कठिन करने का निर्णय लिया था। आज आप जहां हैं वह इसलिए है, क्योंकि आपने उस वक्त जोखिम उठाया था। अब इससे आगे जाना है तो आगे बढ़ने के बारे में सोचें।
 
जोखिम उठाने का मतलब हो सकता है कि आप अपने इस जॉब से संतुष्ट नहीं हों और नए जॉब में जाना चाहते हों। आप अपने काम से कितना खुश हैं, ये आपके लिए बहुत मायने रखता है। अगर आप अपने जॉब या काम से खुश नहीं हैं तो दूसरा काम करें। आपको पैसों की समस्या हो सकती है, लेकिन यह एक अस्थायी समस्या है। इससे आप निकल सकते हैं।
 
अगले पन्ने पर आठवां तरीका...
 

घर और वस्त्र बदलें : आपके घर को देखकर ही आपकी पर्सनॉलिटी का पता लगाया जा सकता है। आपका घर सुंदर और अच्छे वातावरण से परिपूर्ण है तो उसका आपके मेहमानों पर गहरा असर होगा। वे आपसे सभ्य तरीके से ही बात करेंगे। आपने देखा होगा कि एक बहुत ही पॉश ऑफिस में घुसते ही आप गंभीर और सभ्य बन जाते हैं। वहां के लोगों से भी आप अलग ही तरीके से बात करते हैं।
अत: अपने घर के साथ आप अपने पहनावे पर भी ध्यान दें। रात में सोते समय क्या पहनकर सोना है और ऑफिस, स्कूल, कॉलेज या अन्य जगह पर जाते समय क्या पहनना है, यह तय होना चाहिए। सब कुछ सुंदर और अच्छा होना चाहिए तभी सामने वाला आपसे कैसे बात करें, ये आप तय कर सकते हैं। लोग आपको जैसा देखते हैं, आपके बारे में वैसा ही सोचते हैं।
 
अपने घर में साफ-सफाई रखें। अपने घर को साफ करने की आदत बना लीजिए खुशी और आनंदपूर्वक, क्योंकि आपके घर की सफाई आपके शरीर का प्रतिबिम्ब है। अगर आपके चारों ओर का वातावरण अच्छा है तो आपके अंदर पॉजीटिविटी का संचार होगा और आप मन से स्वच्छ महसूस करेंगे।
 
आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आप कैसे माहौल में रहते हैं। अगर आपके चारों ओर आपको मोटिवेट करने वाला कोई हमेशा हो तो आप कुछ अच्छा कर सकते हैं, लेकिन नहीं हो तो घर और वस्त्र को बदलकर भी आप ऐसा कर सकते हैं। खुद को बदलने का मतलब पहले फिजिकल तौर पर बदलाव लाना।
 
अगले पन्ने पर नौवां तरीका...
 

नया सीखने का जज्बा : हरदम कुछ नया सीखने का जज्बा होना चाहिए। नया सीखने के लिए मन में उत्साह होने की जरूरत है। मन को चुनौती दें कि मैं सीख सकता हूं- एक नई भाषा, तकनीक की नई जानकारी और मैं जो कार्य कर रहा हूं उसे और अच्छे तरीके से करने के नए तरीके।
आपके मन में हजारों सवाल उठते हैं तथा उनमें से बहुत के हमें जवाब नहीं मिल पाते हैं अगर आप एक नई भाषा सीख लेते हैं। आप करोड़ों लोगों के अनुभव और सीख सकते हैं और नई भाषा सीखना कोई कठिन काम नहीं। अगर आपको यह कह दिया जाए कि ‘आपको 1 करोड़ रुपए देंगे, यदि 10 दिन में अंग्रेजी या तमिल भाषा सीख लेंगे तो।’
 
हर कार्य में सफलता पाने की कोशिश करते रहना चाहिए और सीखना कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
 
अगले पन्ने पर दसवां तरीका...
 

लिखने की आदत डालें : आप एक डायरी, एक ब्लॉग या एक पुस्तक लिखने के बारे में सोच सकते हैं। डायरी लिखें तो अपने विचारों, लक्ष्यों, कार्यों को लिखने की आदत डालें। डायरी बनाने से आपके लक्ष्य को सही दिशा मिलती है। ये आपके सहायक की तरह काम करती है। इसके लिए आपको कुछ नहीं, बस एक पेन और नोट-बुक चाहिए।
दूसरी बात बहुत से ऐसे सकारात्मक विचार या जानकारियां आपके पास होती हैं जिसे आप दूसरों के साथ शेयर करना चाहेंगे तो इसके लिए आप कभी-कभी ब्लॉग भी लिखें। आप ब्लॉग किसी भी सब्जेक्ट पर लिख सकते हैं। यह बहुत जरूरी है कि आपके उस लेखन से किसी की भावनाएं आहत न हों।
 
क्या आप सोचते हैं कि आप में टैलेंट नहीं है? तो आप गलत सोचते हैं। इसको साबित करने के लिए आप आप बुक या ई-बुक लिखना शुरू कर दें। हर मनुष्य में कोई न कोई टैलेंट तो होता ही है, जरूरत है बस उसको पहचानने की। आप में अनंत संभावना है। आप किसी भी टॉपिक को चुन सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि आपके लिखे हुए से सभी का हित हो, अहित नहीं। लिखते वक्त आपको यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि जिसके बारे में आप लिख रहे हैं या जिस विषय पर आप लिख रहे हैं उसका आपको पूर्ण ज्ञान है कि नहीं, क्योंकि अधूरे ज्ञान के कारण आप जो भी लिखेंगे वह गलत ही होगा।
 
अगले पन्ने पर ग्यारहवां तरीका...
 

बोलने की कला जरूरी : बोलना सिर्फ मनुष्यों का गुण है और तार्किक और तथ्यपूर्ण बातें करना एक सभ्य मनुष्य के गुण हैं, लेकिन एक वक्ता होने के लिए बहुत कुछ पढ़ना और सीखना पड़ता है।
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जो लोग अधिक बोलते हैं या जो लोग बिलकुल ही कम बोलते हैं उनकी बात नहीं सुनी जाती या उनको लोग तवज्जो नहीं देते हैं। बोलने और भाषण देने की कला सीखना चाहिए। शुद्ध उच्चारण से भी खुद के मन और दूसरों पर प्रभाव पड़ता है।
 
आज जो भी सफल मनुष्य है, वो एक अच्छा वक्ता है अर्थात अच्छा बोल सकता है। आपको चाहे कुछ भी नहीं आ रहा हो, लेकिन अच्छा बोलना आता है तो आप एक अनुभवी आदमी से भी ज्यादा कर सकते हैं, क्योंकि लोग सर्वप्रथम किसी व्यक्ति के बोलने से ही प्रभावित होते हैं।
 
साक्षात्कार में अच्छा बोलने वाले ही नौकरी ले उड़ते हैं और किसी महफिल में बेझिझक बोलने वाले ही अपनी पहचान कायम कर पाते हैं। किसी मंच पर अच्छे से अपने विचार व्यक्त करने वालों के लिए ही ताली बजती है। बहुत से ऐसे महान राजनेता हुए हैं जिनमें कोई ज्ञान नहीं था, लेकिन वे लोगों से संवाद करना, भाषण देना और बोलना अच्छी तरह जानते थे। सत्ता में आने के बाद तो कई ज्ञानी लोग आपके आस-पास आपकी मदद के लिए तैयार हो जाएंगे।
 
अगले पन्ने पर बारहवां तरीका...
 

गलतियां स्वीकार करें : खुद की और अपने मित्रों की गलतियां स्वीकार करें। 'खुद की' का मतलब यह कि यदि आपसे घर, कॉलेज, ऑफिस या अन्य कहीं पर गलती हुई है तो उसे स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है। गलतियों पर पर्दा डालने का प्रयास करेंगे तो आप लोगों की नजर में गिरते जाएंगे।
काम करने वाले इंसान से गलतियां होती ही हैं। यह कोई बहुत बड़ा अपराध नहीं लेकिन इसे स्वीकार नहीं करना अपराध होता है। अपने आपको दंड देने की कोई जरूरत नहीं है बल्कि अपनी गलती मानकर हम सब कुछ भुलाकर एक अच्छी शुरुआत कर सकते हैं, क्योंकि गलती सफलता की ही एक सीढ़ी है जिसे पार किए बिना आप सफलता तक नहीं पहुंच सकते।
 
इसी तरह यदि आपके किसी मित्र, सहयोगी, परिवार के सदस्य या रिश्‍तेदार से कोई गलती हो जाती है तो उसे भी स्वीकार करके उसको माफ करना जरूरी है। किसी के कारण अगर आपके दिल को ठेस पहुंची है, तो इसे स्वीकार करें और खुद एवं दूसरे को इससे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएं बल्कि इस परिस्थिति से समझौता करें। लोगों से गलतियां होती हैं तथा अपना समझकर उसे स्वीकार करें। इससे आपसी विश्‍वास और प्रेम बढ़ेगा।
 
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खुद से पूछें ये कुछ सवाल...
* आप खुद के बारे में सोच बदल सकते हैं?
*खुद के बारे में नकारात्मक विचार त्याग सकते हैं? 
*आप हर तरह का काम कर सकते हैं?
*सफल होने के लिए आपको किसी भी प्रकार की सुविधाओं की जरूरत नहीं, बस आत्मविश्‍वास और उत्साह चाहिए?
*अवसर तो आते-जाते रहते हैं, ऐसा नहीं कि आपको फिर कभी अवसर नहीं मिलेगा? सफलता के लिए अवसर नहीं, दृढ़ निश्चय होना चाहिए?
*आप नया करने की ताकत और सोच रखते हैं?
*आप हर दिन एक नई शुरुआत कर सकते हैं?
*आप भय और सेक्स से परिपूर्ण विचारों से दूर रहना जानते हैं?
*आप हर कार्य के लिए ईश्वर का धन्यवाद करते हैं?
*आप व्यर्थ की बातों और टीवी सीरियलों में समय बर्बाद नहीं करते हैं?
*आप हर माह खुद को एक नया चैलेंज या टारगेट देते हैं?
*आप सही और गलत की पहचान करना जानते हैं?
*आप हां और ना कहना अच्‍छी तरह जानते हैं?
*आप दिन में 20 बार हंसने का प्रयास करते हैं?
*आप सांप्रदायिक या नास्तिक नहीं, धार्मिक व्यक्ति हैं?
*अंत में इसी तरह के ढेरों सवाल खुद से पूछने की ताकत रखते हैं? और अगर उनके उत्तर ज्यादातर 'हां' में हैं तो ठीक और अगर 'नहीं' में हैं तो उन्हें 'हां' में बदलने की ताकत रखते हैं?

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