अपार धन और ऐश्वर्य देते हैं हनुमानजी, जानिए कैसे...

Webdunia
रामचरित मानस से पहले तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा लिखी थी। हनुमान चालीसा की एक चौपाई में लिखा है- 'अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता'।।31।।
इसका अर्थ है- 'आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और 9 निधियां दे सकते हैं। ये 9 निधियां क्या हैं?'
 
8 सिद्धियां इस प्रक्रार हैं- 1. अणिमा, 2. महिमा, 3. गरिमा, 4. लघिमा, 5. प्राप्ति:, 
6. प्राकाम्य:, 7. ईशित्व और 8. वशित्व। ये 8 तरह की सिद्धियां जिसके भी पास होती हैं वह परम शक्तिशाली बन जाता है।
 
इसके अलावा भागवत पुराण में 10 गौण सिद्धियों का वर्णन मिलता है- 1. अनूर्मिमत्वम्, 2. दूरश्रवण, 3. दूरदर्शनम्, 4. मनोजवः, 5. कामरूपम्, 6. परकायाप्रवेशनम्, 7. इच्छामृत्यु, 8. देवानां सह क्रीड़ा अनुदर्शनम्, 9. यथासंकल्पसंसिद्धिः और 10. आज्ञा अप्रतिहता गतिः।
 
जो भी व्यक्ति धनवान बनने की इच्छा रखता है उसको मन, वचन और कर्म से हनुमानजी की भक्ति करना चाहिए। उसका संकल्प होना चाहिए। मन को इधर-उधर भटकने नहीं देना चाहिए। श्रद्धा और सबूरी रखना चाहिए, तो हनुमानजी का चमत्कार देखने को मिलता है।
 
'और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई'॥35॥
अर्थ- 'हे हनुमानजी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते हैं, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।'
 
जिस भक्त की जैसी भक्ति और कर्म होते हैं उसको वैसी निधि मिलती है। हनुमानजी के समक्ष शुद्ध देह और पवित्र कर्म लेकर उपस्थित होना चाहिए। उनके मंदिर में जाने से पहले यह तय कर लें कि आप हर प्रकार से शौच और ‍शुद्धि कर चुके हैं तो ही जाइए। हनुमानजी वैसे तो रुष्ट नहीं होते हैं, लेकिन उनके रुष्ट होने पर आपको बचाने वाला कोई नहीं है...। तो जानिए कि आपको कौन-सी निधि चाहिए...? प्रतिदिन पढ़ें हनुमान चालीसा।
 
अगले पन्ने पर जानिए चमत्कारिक 9 निधियों के बारे में...
 
 

अपार धन-संपत्ति : निधि का अर्थ सामान्यतः धन या ऐश्वर्य होता है। 9 निधियों का संबंध कुछ लोग धन और संपत्ति से मानते हैं अर्थात किस तरह का धन किसको और कितना मिलेगा। ये 9 निधियां हैं- 1. पद्म निधि, 2. महापद्म निधि, 3. नील निधि, 4. मुकुंद निधि, 5. नंद निधि, 6. मकर निधि, 7. कच्छप निधि, 8. शंख निधि और 9. खर्व या मिश्र निधि। माना जाता है कि नव निधियों में केवल खर्व निधि को छोड़कर शेष 8 निधियां पद्मिनी नामक विद्या के सिद्ध होने पर प्राप्त हो जाती हैं, परंतु इन्हें प्राप्त करना इतना भी सरल नहीं है।
 
चमत्कारिक 9 रत्न : कुछ लोग इन निधियों का संबंध किसी चमत्कारिक वस्तु से मानते हैं, जैसे- पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छ्प, मुकुंद, कुंद, नीलम और खर्व। यह जिसके पास है उसके पास अपार धन और संपत्ति रहेगी। कहते हैं कि ये चमत्कारिक वस्तुएं कुबेर की निगरानी में सुरक्षित रखी जाती हैं। तांत्रिक लोग इन वस्तुओं से कई तरह की शक्तियां प्राप्त कर लेते हैं और फिर उसका दुरुपयोग भी हो सकता है, क्योंकि इन सब वस्तुओं में अपार शक्ति निहित है। कहते हैं कि धरती और समुद्र में समाई इन चमत्कारिक वस्तुओं के पास होने से सभी तरह के संकट भी मिट जाते हैं।
 
* प्रमुख वस्तुएं जो अति दुर्लभ होती हैं, निधियां कहलाती हैं। इनका उल्लेख ब्रह्मांड पुराण एवं वायु पुराण में मिलता है। इनमें से 9 प्रमुख निधियों को चुनें तो वे होंगी रत्न किरीट अर्थात रत्न का मुकुट, केयूर- यानी बाहों में पहनने वाला सोने का आभूषण, नुपूर, चक्र, रथ, मणि, भार्या यानी पत्नी, गज, पद्म अथवा महापद्म।
 
अगले पन्ने पर पहली निधि...
 

1. पद्म निधि : पद्म निधि के लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक गुणयुक्त होता है, तो उसकी कमाई गई संपदा भी सात्विक होती है। सात्विक तरीके से कमाई गई संपदा पीढ़ियों को तार देती है। इसका उपयोग साधक के परिवार में पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रहता है। सात्विक गुणों से संपन्न व्यक्ति स्वर्ण-चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है। यह सात्विक प्रकार की निधि होती है जिसका अस्तित्व साधक के परिवार में पीढ़ी-दर-पीढ़ी बना रहता है।
 
अगले पन्ने पर दूसरी निधि...

2. महापद्म निधि : यह निधि भी पद्म निधि की तरह सात्विक ही है। हालांकि इसका प्रभाव 7 पीढ़ियों के बाद नहीं रहता। इस निधि से संपन्न व्यक्ति भी दानी होता है।
 
अगले पन्ने पर तीसरी निधि...
 

3. नील निधि : इस निधि में सत्व और रज गुण दोनों ही मिश्रित होते हैं। ऐसी निधि व्यापार द्वारा ही प्राप्त होती है इसलिए इस निधि से संपन्न व्यक्ति में दोनों ही गुणों की प्रधानता रहती है। हालांकि इसे मधुर स्वभाव वाली निधि कहा गया है। ऐसा व्यक्ति जनहित के काम करता है और इस तरह इस निधि का प्रभाव 3 पीढ़ियों तक रहता है।
 
अगले पन्ने पर चौथी निधि...
 

4. मुकुंद निधि : इस निधि में पूर्णत: रजोगुण की प्रधानता रहती है इसलिए इसे राजसी स्वभाव वाली निधि कहा गया है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति या साधक का मन भोगादि में ही लगा रहता है। यह निधि एक पीढ़ी बाद नष्ट हो जाती है।
 
अगले पन्ने पर पांचवीं निधि...

5. नंद निधि : इसी निधि में रज और तम गुणों का मिश्रण होता है। माना जाता है कि यह निधि साधक को लंबी आयु व निरंतर तरक्की प्रदान करती है। यह व्यक्ति कुटुम्ब की नींव होता है। तारीफ से खुश होता है। यह निधि साधक को लंबी आयु व निरंतर तरक्की प्रदान करती है।
 
अगले पन्ने पर छठी निधि...

6. मकर निधि : इस निधि को तामसी निधि कहा गया है। इस निधि से संपन्न साधक अस्त्र और शस्त्र को संग्रह करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति का राजा और शासन में दखल होता है। वह शत्रुओं पर भारी पड़ता है और युद्ध के लिए तैयार रहता है, लेकिन उसकी मौत भी इसी कारण होती है।
 
अगले पन्ने पर सातवीं निधि...
 

7. कच्छप निधि : इसका साधक अपनी संपत्ति को छुपाकर रखता है। न तो स्वयं उसका उपयोग करता है, न करने देता है। वह सांप की तरह उसकी रक्षा करता है।
 
अगले पन्ने पर आठवीं निधि...
 

8. शंख निधि : इस निधि को प्राप्त व्यक्ति स्वयं की ही चिंता और स्वयं के ही भोग की इच्छा करता है। वह कमाता तो बहुत है, लेकिन उसके परिवार वाले गरीबी में ही जीते हैं। ऐसा व्यक्ति धन का उपयोग स्वयं के सुख-भोग के लिए करता है जिससे उसका परिवार दरिद्रता में जीवन गुजारता है।
 
अगले पन्ने पर नौवीं निधि...
 

9. खर्व निधि : इसे मिश्रत निधि भी कहते हैं। नाम के अनुरूप ही यह निधि अन्य 8 निधियों का सम्मिश्रण होती है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति को मिश्रित स्वभाव का कहा गया है। उसके कार्यों और स्वभाव के बारे में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती।
 
उसका जीवन व व्यवहार उतार-चढ़ावभरा होता है। इस निधि से प्रभावित व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जा सकता है और अनिश्चयी स्वभाव का होता है। माना जाता है कि इस निधि को प्राप्त व्यक्ति विकलांग व घमंडी होता हैं, जो समय आने पर लूटकर चल देता है।
Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

19 मई 2024 : आपका जन्मदिन

19 मई 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

Narasimha jayanti 2024: भगवान नरसिंह जयन्ती पर जानें पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Vaishakha Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा के दिन करें ये 5 अचूक उपाय, धन की होगी वर्षा