शास्त्रों में 4 तरह के पुत्र बताए गए हैं- ऋणानुबंध पुत्र, शत्रु पुत्र, उदासीन पुत्र और सेवक पुत्र। आओ जानते हैं कि उक्त 4 तरह के पुत्र कैसे होते हैं। ये 4 तरह का वर्णन पढ़कर आप भी जान सकते हैं कि आपका पुत्र कौन और कैसा है?
1. ऋणानुबंध : ऋणानुबंध का अर्थ होता है जिससे आपका ऋण बंधा या ऋण संबंध है। यदि आपने किसी से अपने पिछले जन्म में किसी भी प्रकार से कोई कर्ज या ऋण लिया है और आप उसे समय पर चुका नहीं पाए हैं, तो आपको इस जन्म में वह चुकाना होगा। जिसका आपने कर्ज नहीं चुकाया है, वह व्यक्ति आपका पुत्र बनकर आएगा और वह तब तक आपका धन बर्बाद करेगा या करेगी, जब तक कि उसका ऋण चुकता नहीं हो जाता।
2. शत्रु पुत्र : प्रचलित मान्यता के अनुसार यदि आपने पूर्व जन्म में किसी को किसी भी प्रकार का दारुण दु:ख पहुंचाया है और वह व्यक्ति आपसे किसी भी तरह से बदला लेना चाहता है लेकिन वह बदला नहीं ले पा रहा है और इसी तड़प में मर जाता है तो निश्चित ही वह व्यक्ति इस जन्म में आपका पुत्र बनकर लौटेगा और फिर वह अपना बदला पूरा करने में कामयाब होगा।
3. उदासीन पुत्र : जैसा कि शब्द से ही विदित होता है कि यह पुत्र आपके प्रति उदासीन ही रहेगा अर्थात इसका होना या न होना एक ही समान होगा और आपकी सारी की सारी अपेक्षाएं धरी की धरी ही रह जाएंगी। इस प्रकार की संतान अपने माता-पिता को न तो दु:ख देती है और न सुख। यह भी देखा गया है कि इनका विवाह हो जाने पर ये अपने माता या पिता से अलग हो जाते हैं।
4. सेवक पुत्र : यह पुत्र सबसे अच्छा माना जाता है। मान्यता है कि यदि आपने पिछले जन्म में बिना किसी लालच या स्वार्थ के सच्चे मन से किसी व्यक्ति आदि की सेवा की है, तो वह व्यक्ति आपके यहां जन्म लेकर आपकी भी सेवा करके अपना कर्ज उतारेगा।
उल्लेखनीय है कि जरूरी नहीं है कि कोई आपका पुत्र बनकर ही वह ऋण चुकाए या बदला ले। कोई आपकी पुत्री बनकर भी ऐसा कर सकती है। यदि आपने किसी स्त्री से कर्ज लिया है, तो पुत्री रूप में ही वह जन्म लेगी। अब सवाल यह उठता है कि उपरोक्त 4 में से आपका पुत्र कौन-सा है?