कहां है स्वर्ग लोक?

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जैसे नरक का देवता यमराज है वैसे ही स्वर्ग के देवता इंद्र है। इंद्र पद पर कोई भी देवता बैठ सकता है। इंद्र किसी व्यक्ति का नाम नहीं पद का नाम है।

इंद्र का परिचय : इन्द्र सभी देवताओं के राजा माने जाते हैं। वैदिक काल में इंद्र सबसे ऊंचे देव थे। वे विष्णु की सेना के सेनापति हैं। वे देवलोक की राजधानी अमरावती में रहते हैं। सुधर्मा उसकी राजसभा तथा सहस्त्र मन्त्रियों का उसका मन्त्रिमण्डल है। शची अथवा इंद्राणी उनकी पत्नी, ऐरावत हाथी (वाहन) तथा अस्त्र वज्र अथवा अशनि है। इंद्र के कई किस्से- कहानियां प्रचलित हैं।

धरती पर स्वर्ग : जिस तरह धरती पर पाताल और नरक लोक की स्थिति बताई गई है उसी तरह धरती पर स्वर्ग की स्थिति भी बताई गई है। आज के कश्मीर और हिमालय के क्षेत्र को उस काल में स्वर्गलोक कहा जाता था, जहां के आकाश में बादल छाए रहते थे और जहां से पानी सारे भारत में फैलता था।

कश्मीर में देवता रहते थे जहां का राजा इंद्र था। इसके अलावा आरावली की पहाड़ियों और गुजरात के समुद्र तट पर स्वर्ग का निर्माण किया गया था। दक्षिण के समुद्र तट पर भी विष्णुपुरी बसाई गई थी। उक्त तीनों ही जगह को वैकुंठ कहा जाता था। धरती के स्वर्ग पर दानव भी राज करना चाहते थे। देवता जहां धरती पर रहते थे वहीं वह अं‍तरिक्ष में भी रहते थे।

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अं‍तरिक्ष में स्वर्ग : हिन्दू धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार, कृतक त्रैलोक्य- भूः, भुवः और स्वः- ये तीनों लोक मिलकर कृतक त्रैलोक्य कहलाते हैं। सूर्य और ध्रुव के बीच जो चौदह लाख योजन का अन्तर है, उसे स्वर्लोक कहते हैं। वहां अंतरिक्ष में भव्य स्वर्लोक का वर्णन ‍पुराणों में मिलता है जहां पुण्य आत्माएं कुछ काल के लिए रहती है।

पुराणों अनुसार कैलाश के उपर स्वर्ग और नीचे नरक व पाताल लोक है। संस्कृत शब्द स्वर्ग को मेरु पर्वत के ऊपर के लोकों हेतु प्रयुक्त किया है।

कौन जाता है स्वर्ग : स्वर्ग वह जाता है जो पुण्य करने वाला है। वह वहां अपने पुण्य क्षीण होने तक, अगले जन्म लेने से पहले तक रहता है। यहां अनंतकाल तक वहीं रहता है जिसे मोक्ष या मुक्ति मिल गई है।

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पितृलोक के बारे में जानकारी

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