सभी श्रेष्ठ समय में उक्त कार्य किए जाते हैं:- 1. गर्भाधान, पुंसवन, जातकर्म-नामकरण, मुंडन, विवाह आदि संस्कार।
2. भवन निर्माण में मकान-दुकान की नींव, द्वार, गृहप्रवेश, चूल्हा भट्टी आदि का शुभारंभ।
3. व्यापार, नौकरी आदि आय प्राप्ति के साधनों का शुभारंभ।
4. पवित्रता हेतु किए जाने वाले स्नान।
5. यात्रा और तीर्थ आदि जाने के लिए भी शुभ मुहूर्त को देखा जाता है।
अगले पन्ने पर पढ़े, कौन से समय में कौन सा कार्य नहीं करना चाहिए....
1.
पंचकों में ये कार्य निषेध माने गए हैं- श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तरा भाद्रप्रद तथा रेवती नक्षत्रों में पड़ने वाले पंचकों में दक्षिण की यात्रा, मकान निर्माण, मकान छत डालना, पलंग खरीदना-बनवाना, लकड़ी और घास का संग्रह करना, रस्सी कसना और अन्य मंगल कार्य नहीं करना चाहिए। किसी का पंचकों में मरण होने से पंचकों की विधिपूर्वक शांति अवश्य करवानी चाहिए।
2. बुधवार और शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र उत्पातकारी भी माने गए है। ऐसे में शुभ कार्यों से बचना चाहिए। जैसे विवाह करना, मकान खरीदना, गृह प्रवेश आदि। रवि तथा गुरु पुष्य योग सर्वार्थ सिद्धिकारक माना गया है।
3. रविवार, मंगलवार, संक्राति का दिन, वृद्धि योग, द्विपुष्कर योग, त्रिपुष्कर योग, हस्त नक्षत्र में लिया गया ऋण कभी नहीं चुकाया जाता। अंत: उक्त दिन में ऋण का लेना-देना भी निषेध माना गया है।
संदर्भ : मुहूर्त ग्रं थ