भगवान कृष्ण ने किसे पुनर्जीवित कर दिया था, जानिए

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भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। अर्जुन इन्द्र के पुत्र थे लेकिन कहलाते थे पांडु पुत्र। उनकी माता का नाम कुंती था। कुंती पांडु की ज्येष्ठ पत्नी वासुदेव कृष्ण की बुआ थी।

अर्जुन कुंती के तीसरे पुत्र थे, जो देवताओं के राजा इन्द्र से हुए। प्रत्येक काल में अलग-अलग इन्द्र हुए हैं। अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य और कृष्ण के प्रिय मित्र थे। स्वयंवर में द्रौपदी को जीतने वाले लक्ष्यभेदी के रूप में तो अर्जुन की ख्याति है ही, द्रौपदी भी अर्जुन की पत्नी थी।

अर्जुन के पुत्र : कुरु जनपद के राजा अर्जुन की 4 पत्नियां थीं- द्रौपदी, सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा। द्रौपदी से श्रुतकर्मा और सुभद्रा से अभिमन्यु, उलूपी से इरावत, चित्रांगदा से वभ्रुवाहन नामक पुत्रों की प्राप्ति हुई।

अभिमन्यु का विवाह महाराज विराट की पुत्री उत्तरा से हुआ। महाभारत युद्ध में अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए। जब महाभारत का युद्ध चल रहा था, तब उत्तरा गर्भवती थी। उसके पेट में अभिमन्यु का पुत्र पल रहा था। द्रोण पुत्र अश्वत्थामा ने यह संकल्प लेकर ब्रह्मास्त्र छोड़ा था कि पांडवों का वंश नष्ट हो जाए।

द्रोण पुत्र अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र प्रहार से उत्तरा ने मृत शिशु को जन्म दिया था किंतु भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु/उत्तरा पुत्र को ब्रह्मास्त्र के प्रयोग के बाद भी फिर से जीवित कर दिया। यही बालक आगे चलकर राजा परीक्षित नाम से प्रसिद्ध हुआ। परीक्षित के प्रतापी पुत्र हुए जन्मेजय।

ऐसे कई उदाहरण हैं जबकि भगवान कृष्ण ने लोगों को फिर से जीवित कर दिया। भीम पुत्र घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक की गर्दन कटी होने के बावजूद श्रीकृष्ण ने उसे महाभारत युद्ध की समाप्ति तक जीवित रखा।

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