सप्तर्षियों में राजर्षि कौन...

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।।सप्त ब्रह्मर्षि देवर्षि, महर्षि, परमर्षय:।
कण्डर्षिश्च श्रुतर्षिश्च राजर्षिश्च क्रमावश:।।

अर्थात : 1. ब्रह्मर्षि, 2. देवर्षि, 3. महर्षि, 4. परमर्षि, 5. काण्डर्षि, 6. श्रुतर्षि और 7. राजर्षि। वैदिक काल में ये 7 प्रकार के ऋषिगण होते थे।

उक्त ऋषियों का कार्य अपने क्षेत्र में खोज करना तथा प्राप्त परिणामों से दूसरों को अवगत कराना, धर्म की स्थापना और रक्षा करना और शिक्षा देना था।

राजर्षि उसे कहते थे, जो राजा को राजधर्म और समाज के नियमों के बारे में सलाह देता था। राजा उन राजर्षियों से पूछे बगैर कोई निर्णय स्वतंत्र रूप से नहीं ले सकता था।

महाभारत में राजधर्म और धर्म के प्राचीन आचार्यों के नाम इस प्रकार हैं- 1. बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेंद्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज और गौरशिरस मुनि।

कौटिल्य के अर्थशास्त्र में इनकी सूची इस प्रकार है- मनु, बृहस्पति, उशनस (शुक्र), भरद्वाज, विशालाक्ष (शिव), पराशर, पिशुन, कौणपदन्त, वातव्याधि और बहुदन्ती पुत्र।

संदर्भ : महाभारत
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