लाखों वर्ष पूर्व तुम क्या थे और मनुष्य कैसे बन गए, जानिए

अनिरुद्ध जोशी
आधुनिक विज्ञान के अनुसार अमीबा से लेकर मानव तक की यात्रा में लगभग 1 करोड़ 04 लाख योनियां मानी गई हैं। ब्रिटिश वैज्ञानिक राबर्ट एम.मे. के अनुसार दुनिया में 87 लाख प्रजातियां हैं। उनका अनुमान है कि कीट-पतंगे, पशु-पक्षी, पौधा-पादप, जलचर-थलचर सब मिलाकर जीव की 87 लाख प्रजातियां हैं। हिन्दू मान्यता अनुसार 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मानव शरीर मिलता है। परंतु क्या यह सही है या कल्पित है?
 
 
'सृष्टि के आदिकाल में न सत् था न असत्, न वायु थी न आकाश, न मृत्यु थी न अमरता, न रात थी न दिन, उस समय केवल वही था जो वायुरहित स्थिति में भी अपनी शक्ति से साँस ले रहा था। उसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं था।'- ऋग्वेद
 
वैदिक ज्ञान के अनुसार यह जगत, आत्मा वा ब्रह्म का ही दूसरा रूप है। इसका विकासक्रम आत्मा से प्रारंभ होकर ही आत्मा पर ही समाप्त होता है। मतलब आत्मा पहले सुप्त होकर पूर्व जागृत की ओर कदम बढ़ाती है। आत्मा जब खुद को आत्मस्वरूप में जान लेती है तब वह ब्रह्म में लीन हो जाती है।
 
वैदिक ज्ञान के अनुसार यह संपूर्ण ब्रह्मांड पंच कोषों और पंच तत्वों वाला है।
 
ब्रह्म की जगह हम समझने के लिए अत्मा को रख देते हैं। आप पांच तत्वों को तो जानते ही हैं- आकाश, वायु, अग्नि, जल और ग्रह (धरती या सूर्य)। सब सोचते हैं कि सबसे पहले ग्रहों की रचना हुई फिर उसमें जल, अग्नि और वायु की, लेकिन यह सच नहीं है।
 
ग्रह या कहें की जड़ जगत की रचना सबसे अंतिम रचना है। तब सबसे पहले क्या उत्पन्न हुआ? जैसे आप सबसे पहले हैं फिर आपका शरीर सबसे अंत में। आपके और शरीर के बीच जो है आप उसे जानें। अग्नि जल, प्राण और मन। प्राण तो वायु है और मन तो आकाश है। शरीर तो जड़ जगत का हिस्सा है। अर्थात धरती का। जो भी दिखाई दे रहा है वह सब जड़ जगत है।
 
नीचे गिरने का अर्थ है जड़ हो जाना और ऊपर उठने का अर्थ है ब्रह्माकाश हो जाना। अब इन पांच तत्वों से बड़कर भी कुछ है क्योंकि सृष्टि रचना में उन्हीं का सबसे बड़ा योगदान रहा है।
 
पंच कोष : जड़, प्राण, मन, बुद्धि और आनंद/ अवस्था: जाग्रत, स्वप्न, सु‍षुप्ति और तुरीय।
 
'एक आत्मा है जो अन्नरसमय है (जड़), एक अन्य आंतर आत्मा है, प्राणमय (वायु) जो कि उसे पूर्ण करता है- एक अन्य आंतर आत्मा है, मनोमय (मन)- एक अन्य आंतर आत्मा है, विज्ञानमय (सत्यज्ञानमय)- एक अन्य आंतर आत्मा है, आनंदमय (ब्रह्माकाश)। '-तैत्तिरीयोपनिषद 
 
भावार्थ : जड़ में प्राण; प्राण में मन; मन में विज्ञान और विज्ञान में आनंद। यह चेतना या आत्मा के रहने के पांच स्तर हैं। आत्मा इनमें एक साथ रहती है। यह अलग बात है कि किसे किस स्तर का अनुभव होता है। ऐसा कह सकते हैं कि यह पांच स्तर आत्मा का आवरण है। कोई भी आत्मा अपने कर्म प्रयास से इन पांचों स्तरों में से किसी भी एक स्तर का अनुभव कर उसी के प्रति आसक्त रहती है। सर्वोच्च स्तर आनंदमय है और निम्न स्तर जड़।
 
अंतत: जड़ या अन्नरसमय कोष दृष्टिगोचर होता है। प्राण और मन का अनुभव होता है किंतु जाग्रत मनुष्य को ही विज्ञानमय कोष समझ में आता है। जो विज्ञानमय कोष को समझ लेता है वही उसके स्तर को भी समझता है।
 
अभ्यास और जाग्रति द्वारा ही उच्च स्तर में गति होती है। अकर्मण्यता से नीचे के स्तर में चेतना गिरती जाती है। इस प्रकृति में ही उक्त पंच कोषों में आत्मा विचरण करती है किंतु जो आत्मा इन पाँचों कोष से मुक्त हो जाती है ऐसी मुक्तात्मा को ही ब्रह्मलीन कहा जाता है। यही मोक्ष की अवस्था है।
 
इस तरह वेदों में जीवात्मा के पांच शरीर बताए गए हैं- जड़, प्राण, मन, विज्ञान और आनंद। इस पांच शरीर या कोष के अलग-अलग ग्रंथों में अलग-अलग नाम हैं जिसे वेद ब्रह्म कहते हैं उस ईश्वर की अनुभूति सिर्फ वही आत्मा कर सकती है जो आनंदमय शरीर में स्थित है। देवता, दानव, पितर और मानव इस हेतु सक्षम नहीं।
 
आज जो मनुष्य रूप में कोई आत्मा है वह अरबों वर्ष पूर्व...जड़ होने से पहले अंधकार में सुप्तावस्था में मौजूद थी। जड़ से ही क्रमश: आगे बढ़ते हुए वह पत्थर, पौधे, जीव और अन्य प्राणियों में खुद को अभिव्यक्त करते हुए मनुष्य रूप में प्रकट हुई। अरबों वर्ष का सफर तब मिट्टी में मिल जाता है जब कोई मनुष्य पाप कर्मों से अपनी चेतना का स्तर गिराकर नीचे की योनियों में जन्म ले लेता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Weekly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 नवंबर)

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Shani Margi: शनि का कुंभ राशि में मार्गी भ्रमण, 3 राशियां हो जाएं सतर्क

विवाह पंचमी कब है? क्या है इस दिन का महत्व और कथा

उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

सभी देखें

धर्म संसार

Prayagraj Mahakumbh : 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइटों से संवारा जा रहा महाकुंभ क्षेत्र

Kanya Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: कन्या राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

विवाह में आ रही अड़चन, तो आज ही धारण करें ये शुभ रत्न, चट मंगनी पट ब्याह के बनेंगे योग

Singh Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: सिंह राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

अगला लेख