बृहस्पति : देवताओं के पुरोहित बृहस्पति भगवान विष्णु के भक्त थे। महाभारत के आदिपर्व अनुसार बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। बृहस्पति के पुत्र कच थे जिन्होंने शुक्राचार्य से संजीवनी विद्या सिखी।
देवगुरु बृहस्पति की एक पत्नी का नाम शुभा और दूसरी का तारा है। शुभा से 7 कन्याएं उत्पन्न हुईं- भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, महिष्मती, सिनीवाली और हविष्मती। तारा से 7 पुत्र तथा 1 कन्या उत्पन्न हुई। उनकी तीसरी पत्नी ममता से भारद्वाज और कच नामक 2 पुत्र उत्पन्न हुए। बृहस्पति के अधिदेवता इन्द्र और प्रत्यधिदेवता ब्रह्मा हैं।
महर्षि अंगिरा की पत्नी अपने कर्मदोष से मृतवत्सा हुईं। प्रजापतियों के स्वामी ब्रह्माजी ने उनसे पुंसवन व्रत करने को कहा। सनत्कुमार से व्रत-विधि जानकर मुनि-पत्नी ने व्रत के द्वारा भगवान को संतुष्ट किया। भगवान विष्णु की कृपा से प्रतिभा के अधिष्ठाता बृहस्पतिजी उनको पुत्र रूप से प्राप्त हुए।
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