श्रीकृष्‍ण की नगरी मथुरा शहर का प्राचीन इतिहास

अनिरुद्ध जोशी
मथुरा उत्तर प्रदेश जिले में यमुना नदी के तट पर बसा एक सुंदर शहर है। यमुना नदी के पश्चिमी तट पर बसा विश्व के प्राचीन शहरों में से एक मथुरा प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है। इस शहर का इतिहास बहुत ही पुराना है। यह शहर रामायण काल से पूर्व भी अस्तित्व में था। मध्यकाल में इस शहर को कई बार उजाड़ा, लुटा और विध्वंस किया गया परंतु यह शहर फिर से कई बार खड़ा हो गया।
 
 
भारत की सात प्राचीन नगरी अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अवंतिका और द्वारका में से एक है मथुरा। 500 ईसा पूर्व के प्राचीन अवशेष मिले हैं, जिससे इसकी प्राचीनता सिद्ध होती है। पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया गया है जैसे- शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा आदि। हरिवंश और विष्णु पुराण में मथुरा के विलास-वैभव का वर्णन मिलता है।
 
 
प्राचीन काल में यह शूरसेन देश की राजधानी थी। वाल्मीकि रामायण में मथुरा को मधुपुर या मधुदानव का नगर कहा गया है। लवणासुर मथुरा से लगभग साढ़े तीन मील दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित रामायण में वर्णित मधुपुरी का राजा था जिसे मधुवन ग्राम कहते हैं। यहां लवणासुर की गुफा है। लवणासुर का वध करके शत्रुघ्न ने मधुपुरी के स्थान पर नई मथुरा नगरी बसाई थी।
 
 
लवणासुर से पहले लवणासुर ने राम के पूर्वज मांधाता यौवनाश्व चक्रवर्ती सूर्यवंशी सम्राट से उनका राज्य छीन लिया था क्योंकि उसके पास भगवान शिव का अमोघ त्रिशूल था। रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व (अर्थात आज से 5123 वर्ष पूर्व) को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। उस काल में मथुरा पर कंस का राज था। कंस के बाद मथुरा पर राजा उग्रसेन ने शासन किया। मथुरा के आसपास वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, बरसाना आदि कई ऐसे गांव, कस्बे और शहर बसे हैं जो कि श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े हुए हैं।
 
 
तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मेगस्थनीज ने मथुरा को मेथोरा नाम नाम से संबोधित करके इसका उल्लेख किया है। 180 ईसा पूर्व और 100 ईसा पूर्व के बीच कुछ समय के लिए मथुरा पर ग्रीक के शासकों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में नियंत्रण बनाया रखा। यवनराज्य शिलालेख के अनुसार 70 ईसा पूर्व तक यह निरयंत्रण बना रहा। फिर इस पर सिथियन लोगों ने शासन किया। फिर राजा विक्रमादित्य के बाद यह क्षेत्र कुशाण और हूणों के शासन में रहा। राजा हर्षवर्धन के शासन तक यह शहर सुरक्षित रहा। इसे ज्यादा नुकमसान नहीं पहुंचा। जय श्रीकृष्णा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

दुनिया में कितने मुस्लिम इस्लाम धर्म छोड़ रहे हैं?

ज्येष्ठ माह के 4 खास उपाय और उनके फायदे

नास्त्रेदमस ने हिंदू धर्म के बारे में क्या भविष्यवाणी की थी?

भारत ने 7 जून तक नहीं किया पाकिस्तान का पूरा इलाज तो बढ़ सकती है मुश्‍किलें

क्या जून में भारत पर हमला करेगा पाकिस्तान, क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 01 जून 2025, माह का पहला दिन क्या लाया है 12 राशियों के लिए, पढ़ें अपना राशिफल

01 जून 2025 : आपका जन्मदिन

01 जून 2025, रविवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope June 2025: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा 02 से 08 जून का समय, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल

गंगा दशहरा पर्व का क्या है महत्व?

अगला लेख