वेरांगटोक, जो महियांगना से 10 किलोमीटर दूर है वहीं पर रावण ने सीता का हरण कर पुष्पक विमान को उतारा था। महियांगना मध्य श्रीलंका स्थित नुवारा एलिया का एक पर्वतीय क्षेत्र है। इसके बाद सीता माता को जहां ले जाया गया था उस स्थान का नाम गुरुलपोटा है जिसे अब 'सीतोकोटुवा' नाम से जाना जाता है। यह स्थान भी महियांगना के पास है।
एलिया पर्वतीय क्षेत्र की एक गुफा में सीता माता को रखा गया था जिसे 'सीता एलिया' नाम से जाना जाता है। यहां सीता माता के नाम पर एक मंदिर भी है। इसके अलावा और भी स्थान श्रीलंका में मौजूद हैं, जिनका ऐतिहासिक महत्व है।
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रावण के विमान और एयरपोर्ट : रावण ने कुबेर को लंका से हटाकर वहां खुद का राज्य कायम किया था। धनपति कुबेर के पास पुष्पक विमान था जिसे रावण ने छीन लिया था। रावण के इस पुष्पक विमान में प्रयोग होने वाले ईंधन से संबंधित जानकारियों पर मद्रास की ललित कला अकादमी के सहयोग से भारत अनुसंधान केंद्र द्वारा बड़े पैमाने पर शोध कार्य किया गया। श्रीलंका की श्री रामायण रिसर्च कमेटी के अनुसार रावण के चार हवाई अड्डे थे।
उसके चार हवाई अड्डे ये हैं- उसानगोड़ा, गुरुलोपोथा, तोतूपोलाकंदा और वारियापोला। सिंघली में वारियापोला का अर्थ है हवाई अड्डा। कुरनांगला जिले में था एक अड्डा, दूसरा अड्डा मातली जिले में था। सबसे अहम था वेरेगनटोटा हवाई अड्डा। एक हवाई अड्डे का मालिक अहिरावण था। अहिरावण का हवाई अड्डा था तोतूपोलाकंदा। हालांकि तोतूपोलाकंदा पर भी रावण का अधिकार था।
उसानगोड़ा हवाई अड्डा : इन चार में से एक उसानगोड़ा हवाई अड्डा नष्ट हो गया था। कमेटी के अनुसार सीता की तलाश में जब हनुमान लंका पहुंचे तो लंका दहन में रावण का उसानगोड़ा हवाई अड्डा नष्ट हो गया था। उसानगोड़ा हवाई अड्डे को स्वयं रावण निजी तौर पर इस्तेमाल करता था। यहां रनवे लाल रंग का है। इसके आसपास की जमीन कहीं काली तो कहीं हरी घास वाली है। यह लड़ाकू जहाजों के लिए इस्तेमाल होता था।
रिसर्च कमेटी के अनुसार पिछले 4 साल की खोज में ये हवाई अड्डे मिले हैं। कमेटी की रिसर्च के मुताबिक रामायण काल से जुड़ी लंका वास्तव में श्रीलंका ही है। कैंथ ने बताया कि श्रीलंका में 50 जगहों पर रिसर्च की गई है।
वेरांगटोक जो महियांगना से 10 किलोमीटर दूर है वहीं पर रावण ने सीता का हरण कर पुष्पक विमान को उतारा था। महियांगना मध्य श्रीलंका स्थित नुवारा एलिया का एक पर्वतीय क्षेत्र है। इसके बाद सीता माता को जहां ले जाया गया था, उस स्थान का नाम गुरुलपोटा है जिसे अब 'सीतोकोटुवा' नाम से जाना जाता है। यह स्थान भी महियांगना के पास है। वेरांगटोक में था रावण का वायुसेना मुख्यालय।
एलिया पर्वतीय क्षेत्र की एक गुफा में सीता माता को रखा गया था जिसे 'सीता एलिया' नाम से जाना जाता है। यहां सीता माता के नाम पर एक मंदिर भी है। इसके अलावा और भी स्थान श्रीलंका में मौजूद हैं, जिनका ऐतिहासिक महत्व है।
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आज भी जहां रखा है रावण का शव, जानिए...
रावण का शव : ईसा पूर्व 5076 साल से पहले से आज तक रावण का शव श्रीलंका की रानागिल (रैगला) की गुफा में सुरक्षित रखा है यानी आज उसे 7 हजार 90 वर्ष हो चुके हैं। अंतरिक्ष एजेंसी नासा के 'प्लेनेटेरियम सॉफ्टवेयर' की गणणा अनुसार ईसा पूर्व 5076 साल पहले राम ने रावण का संहार किया था।
ऐसा माना जाता है कि रैगला के जंगलों के बीच एक विशालकाय पहाड़ी पर रावण की गुफा है, जहां उसने घोर तपस्या की थी। उसी गुफा में आज भी रावण का शव सुरक्षित रखा हुआ है। रैगला के घने जंगलों और गुफाओं में कोई नहीं जाता है, क्योंकि यहां जंगली और खूंखार जानवरों का बसेरा है।
रैगला के इलाके में रावण की यह गुफा 8 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। जहां 17 फुट लंबे ताबूत में रखा है रावण का शव। इस ताबूत के चारों तरफ लगा है एक खास लेप जिसके कारण यह ताबूत हजारों सालों से जस का तस रखा हुआ है।
गौरतलब है कि मिस्र में प्राचीनकाल में ममी बनाने की परंपरा थी, जहां आज भी पिरामिडों में हजारों साल से कई राजाओं के शव रखे हुए हैं। यह भी जानना जरूरी है कि उस समय शैव संप्रदाय में समाधि देने की रस्म थी। रावण शैवपंथी था।
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रामसेतु : रामसेतु जिसे अंग्रेजी में एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है, भारत (तमिलनाडु) के दक्षिण-पूर्वी तट के किनारे रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के मध्य बनी एक श्रृंखला है। भौगोलिक प्रमाणों से पता चलता है कि किसी समय यह सेतु भारत तथा श्रीलंका को भू-मार्ग से आपस में जोड़ता था। यह पुल करीब 18 मील (30 किलोमीटर) लंबा है।
राम सेतु पर संपूर्ण वैज्ञानिक और पौराणिक जानकारी