यदि ऐसा नहीं होता तो कर्ण के एक ही बाण से अर्जुन का रथ हवा में उड़ जाता

अनिरुद्ध जोशी
यह तो सभी जानते हैं कि महाभारत के युद्ध में सबसे शक्तिशाली योद्धा कोई थे तो वह कर्ण और अश्वत्थामा थे। लेकिन कवज और कुंडल उतर जाने के बाद भी कर्ण इतने शक्तिशाली थे कि वे अर्जुन के रथ को एक ही बाण में हवा में उड़ा देते। लेकिन ऐसा हो नहीं सका। दरअसल, युद्ध में एक दिन कर्ण और अर्जुन आमने सामने थे। दोनों के बीच घमासान चल रहा था।
 
ऐसे में जब अर्जुन का तीर लगने पर कर्ण का रथ 25 से 30 हाथ पीछे खिसक जाता और कर्ण का तीर से अर्जुन का रथ सिर्फ 2 से 3 हाथ ही खिसकता था लेकिन फिर भी भगवान कृष्ण कर्ण की प्रशंसा करते नहीं थकते थे। ऐसे में अर्जुन से रहा नहीं गया और उसे पूछ ही लिया कि 'हे पार्थ आप मेरी शक्तिशाली प्रहारों की बजाय उसके कमजोर प्रहारों की प्रशांसा कर रहे हैं, ऐसा क्या कौशल है उसमें?'
 
तब भगवान कृष्ण मुस्कुराकर बोले, अजुर्न! तुम्हारे रथ की रक्षा के लिए ध्वज पर स्वयं हनुमानजी, पहियों पर शेषनाग और सारथी के रूप में मैं स्यवं नारायण विराजमान हूं। इस सब के बावजूद कर्ण के प्रहार से अगर ये रथ एक हाथ भी खिसकता है तो मानना ही पड़ेगा की कर्ण में अद्भुत पराक्रम है। ऐसे में उसकी प्रशंसा तो बनती ही है। 
 
कहते हैं युद्ध समाप्त होने के बाद जैसे ही भगवान कृष्ण रथ से उतरे, रथ स्वतः ही भस्म हो गया। वो तो कर्ण के प्रहार से कबका भस्म हो चूका था, पर नारायण बिराजे थे इसलिए चलता रहा। ये देख अर्जुन का सारा घमंड चूर-चूर हो गया।
 
हनुमानजी के बगैर युद्ध जीतना असंभव था :
हनुमानजी के बारे में तो सभी जानते हैं कि उनके बगैर तो यह युद्ध जीतना असंभव था। हनुमानजी से पांडवों की मुलाकात वनवास के दौरान गंधमादन पर्वत पर हुई थी। मान्यता अनुसार भीम और हनुमान दोनों भाई हैं क्योंकि भीम और हनुमान दोनी ही पवन देव के पुत्र हैं। श्रीकृष्ण की युक्ति के अनुसार हनुमानजी से पांडवों ने जीत का आश्‍वासन ले लिया था। इसी के चलते वे युद्ध में अर्जुन के रथ के उपर ध्वज में विराजमान हो गए थे।  
 
दिन अर्जुन अकेले वन में विहार करने गए। घूमते-घूमते वे रामेश्वरम चले गए। जहां उन्हें श्रीरामजी का बनाया हुआ सेतु देखा। यह देख कर अर्जुन ने कहा कि उन्हें सेतु बनाने के लिए वानरों की क्या जरूरत थी। जबकि वे खुद ही सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे। उनकी जगह मैं होता तो यह सेतु बाणों से बना देता। यह सुन कर हनुमान ने कहा कि बाणों से बना सेतु एक भी व्यक्ति का भार झेल नहीं सकता। तब अर्जुन ने कहा कि यदि मेरा बनाया सेतु आपके चलने से टूट जाएगा तो मैं अग्नि में प्रवेश कर जाऊंगा। हनुमानजी ने कहा मुझे स्वीकार है। मेरे दो चरण ही इसने झेल लिए तो मैं हार स्वीकार कर लूंगा।
 
तब अर्जुन ने अपने प्रचंड बाणों से सेतु तैयार कर दिया। लेकिन जैसे ही सेतु तैयार हुआ हनुमान ने विराट रूप धारण कर लिया। हनुमान राम का स्मरण करते हुए उस बाणों के सेतु पर चढ़ गए। पहला पग रखते ही सेतु सारा का सारा डगमगाने लगा, दूसरा पैर रखते ही सेतु चरमरा गया। यह देख कर अर्जुन खुद को खत्म करने के लिए अग्नि जलाने लगे तभी भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हो गए और अर्जुन से कहा कि वह फिर से सेतु बनाए लेकिन इस बार वे श्रीराम का नाम लेके सेतु बनाए जिससे वह नहीं टूटेगा। दूसरी बार सेतु के तैयार होने के बाद हनुमान फिर से उस पर चले लेकिन इस बार सेतु नहीं टुटा। इससे खुश हो कर हनुमान ने अर्जुन से कहा कि वे युद्ध के अंत तक उनकी रक्षा करेंगे। इसीलिए कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन के रथ के ध्वज में हनुमान विराजमान हुए और अंत तक उनकी रक्षा की। 
 
कुरुक्षेत्र के युद्ध के अंतिम दिन कृष्ण ने अर्जुन से पहले रथ से उतरने को कहा, उसके बाद कृष्ण रथ से उतरे। कृष्ण ने हनुमानजी का धन्यवाद किया कि उन्होंने उनकी रक्षा की। लेकिन जैसे ही हनुमान अर्जुन के रथ से उतर कर गए, वैसे ही रथ में आग लग गयी। यह देख कर अर्जुन हैरान रह गए। कृष्ण ने उन्हें बाताया कि कैसे हनुमान उनकी दिव्य अस्त्रों से रक्षा कर रहे थे।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

क्या है बंगाल में महानवमी पर होने वाले धुनुची नृत्य का धार्मिक और पौराणिक महत्व

Sharadiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के 10 चमत्कारिक उपाय: जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के लिए

Dussehra 2025: दशहरा विजयादशमी कब है, शमी, अपराजिता देवी और शस्त्र पूजा का मुहूर्त क्या रहेगा?

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि में महाष्टमी की 10 खास बातें

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि की अष्टमी के दिन करें 5 अचूक उपाय, पूरे वर्ष रहेगी खुशहाली

सभी देखें

धर्म संसार

28 September Birthday: आपको 28 सितंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 28 सितंबर, 2025: रविवार का पंचांग और शुभ समय

Ashtami puja 2025: शारदीय नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी के दिन घर पर हवन करने की संपूर्ण विधि और सामग्री

Weekly Horoscope 29- 05 October: साप्ताहिक राशिफल: जानें करियर, प्यार, व्यापार और सेहत का हाल

श्री कनक दुर्गा नंद लहरी: Sri Kanakadurga Anandalahari

अगला लेख