Hanuman Chalisa

ऐसे हुई 'नाथ' संप्रदाय की उत्पत्ति

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
हिन्दुओं के मुख्‍यत: चार संप्रदाय है:- वैदिक, वैष्णव, शैव और स्मार्त। शैव संप्रदाय के अंतर्गत ही शाक्त, नाथ और संत संप्रदाय आते हैं। उन्हीं में दसनामी और 12 गोरखपंथी संप्रदाय शामिल है। जिस तरह शैव के कई उप संप्रदाय है उसी तरह वैष्णव और अन्य के भी। आओ जानते हैं कि किस तरह नाथ संप्रदाय की उत्पत्ति हुई। 
 
1. 'नाथ' शब्द का प्रचलन हिन्दू, बौद्ध और जैन संतों के बीच विद्यमान है। 'नाथ' शब्द का अर्थ होता है स्वामी। वैष्णवों में स्वामी और शैवों में 'नाथ' शब्द का महत्व है। आपने अमरनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ आदि कई तीर्थस्थलों के नाम सुने होंगे।
 
2. आदि का अर्थ प्रारंभ। भगवान शंकर को 'भोलेनाथ' और 'आदिनाथ' भी कहा जाता है। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम आदिश भी है। इस आदिश शब्द से ही आदेश शब्द बना है। 'नाथ' साधु जब एक-दूसरे से मिलते हैं तो कहते हैं- आदेश।
 
3. भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया।
 
4. भगवान शंकर के बाद इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम भगवान दत्तात्रेय का आता है। उन्होंने वैष्णव और शैव परंपरा में समन्वय स्थापित करने का कार्य किया। दत्तात्रेय को महाराष्ट्र में नाथ परंपरा का विकास करने का श्रेय जाता है। दत्तात्रेय को आदिगुरु माना जाता है।

देखें वीडियो
5. भगवान दत्तात्रेय के बाद सिद्ध संत गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने 'नाथ' परंपरा को फिर से संगठित करके पुन: उसकी धारा अबाध गति से प्रवाहित करने का कार्य किया। चौरासी नाथों की परंपरा में सबसे प्रमुख हैं। उन्हें बंगाल, नेपाल, असम, तिब्बत और बर्मा में खासकर पूजा जाता है।
 
6. गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के बाद उनके शिष्य गुरु गोरखनाथ ने शैव धर्म की सभी प्रचलित धारणाओं और धाराओं को एकजुट करने 'नाथ' परंपरा को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया। उनके लाखों शिष्यों में हजारों उनके जैसे ही सिद्ध होते थे।
 
7. इसके अलावा 'नाथ' साधुओं में प्रमुख नाम है- भर्तृहरि नाथ, नागनाथ, चर्पटनाथ, रेवणनाथ, कनीफनाथ, जालंधरनाथ, कृष्णपाद, बालक गहिनीनाथ योगी, गोगादेव, रामदेव, सांईंनाथ आदि।
 
8. गोरखनाथ के संप्रदाय की मुख्य 12 शाखाएं- 1. भुज के कंठरनाथ, 2. पागलनाथ, 3. रावल, 4. पंख या पंक, 5. वन, 6. गोपाल या राम, 7. चांदनाथ कपिलानी, 8. हेठनाथ, 9. आई पंथ, 10. वेराग पंथ, 11. जैपुर के पावनाथ और 12. घजनाथ।
 
9. महार्णव तंत्र में कहा गया है कि नवनाथ ही 'नाथ' संप्रदाय के मूल प्रवर्तक हैं। नवनाथों की सूची अलग-अलग ग्रंथों में अलग-अलग मिलती है। यथाक्रम- मत्स्येन्द्रनाथ, गोरक्षनाथ, गहनिनाथ, जालंधरनाथ, कृष्णपाद, भर्तृहरिनाथ, रेवणनाथ, नागनाथ, चर्पटनाथ।
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Karwa chauth 2025: करवा चौथ पर अपनी राशि के अनुसार पहनें परिधान

Pushya nakshatra 2025: दिवाली से पहले खरीदारी के लिए पुष्‍य नक्षत्र का योग, जानिए 5 खास बातें

Kartik maas 2025: कार्तिक मास के व्रत एवं त्योहारों की लिस्ट

Karwa chauth 2025 date: करवा चौथ की सरगी और करवा क्या होता है?

Diwali 2025 date: दिवाली पर बन रहे हैं अति दुर्लभ योग मुहूर्त, लक्ष्मी पूजा का मिलेगा दोगुना फल

सभी देखें

धर्म संसार

Karva Chauth 2025: करवा चौथ पर राहु का साया, राहुकाल में बिल्कुल भी ना करें ये काम

Tula sankranti 2025: तुला संक्रांति कब है क्या है इसका महत्व?

Karwa Chauth Upay 2025: करवा चौथ पर बन रहे शुभ संयोग में करें ये 8 ज्योतिषीय उपाय, पूरी होगी हर मनोकामना

History of Karva chauth: करवा चौथ का इतिहास क्या है?

Karwa chauth 4 Katha: करवा चौथ की 4 पौराणिक कथाएं

अगला लेख