ब्रह्मा के पहले पुत्र मरीचि का कुल

Webdunia
FILE
मरीचि : महर्षि मरीचि ब्रह्मा के अन्यतम मानसपुत्र और एक प्रधान प्रजापति हैं। इन्हें द्वितीय ब्रह्मा ही कहा गया है। ऋषि मरीचि पहले मन्वंतर के पहले सप्तऋषियों की सूची के पहले ऋषि है। यह दक्ष के दामाद और शंकर के साढू थे।

इनकी पत्नि दक्ष- कन्या संभूति थी। इनकी दो और पत्निनयां थी- कला और उर्णा। संभवत: उर्णा को ही धर्मव्रता भी कहा जाता है जो एक ब्राह्मण कन्या थी। दक्ष के यज्ञ में मरीचि ने भी शंकर का अपमान किया था। इस पर शंकर ने इन्हें भस्म कर डाला था।

इन्होंने ही भृगु को दण्डनीति की शिक्षा दी है। ये सुमेरु के एक शिखर पर निवास करते हैं और महाभारत में इन्हें चित्रशिखण्डी कहा गया है। ब्रह्मा ने पुष्करक्षेत्र में जो यज्ञ किया था उसमें ये अच्छावाक् पद पर नियुक्त हुए थे। दस हजार श्लोकों से युक्त ब्रह्मपुराण का दान पहले-पहल ब्रह्मा ने इन्हीं को किया था। वेद और पुराणों में इनके चरित्र का चर्चा मिलती है।

मरीचि ने कला नाम की स्त्री से विवाह किया और उनसे उन्हें कश्यप नामक एक पुत्र मिला। कश्यप की माता 'कला' कर्दम ऋषि की पुत्री और ऋषि कपिल देव की बहन थी। ब्रह्मा के पोते और मरीचि के पुत्र कश्यप ने ब्रह्मा के दूसरे पुत्र दक्ष की 13 पुत्रियों से विवाह किया। मुख्यत इन्हीं कन्याओं से सृष्टि का विकास हुआ और कश्यप सृष्टिकर्ता कहलाए।

कश्यय पत्नी- अदिति, दिति, दनु, काष्ठा, अरिष्ठा, सुरसा, इला, मुनि, क्रोधवशा, ताम्रा, सुरभि, सरमा और तिमि। महर्षि कश्यप को विवाहित 13 कन्याओं से ही जगत के समस्त प्राणी उत्पन्न हुए। वे लोकमाताएं कही जाती हैं। इन माताओं को ही जगत जननी कहा जाता है।

यहां यह बताना जरूरी है कि बहुत से विद्वान मानते हैं कि कश्यप ने दक्ष की 17 कन्याओं से विवाह किया था लेकिन ऐसा नहीं है। वो तार्क्ष्य कश्यप थे जिन्होंने विनीता कद्रू, पतंगी और यामिनी से विवाह किया था। इस तरह ये 17 कन्याएं होती है, लेकिन कुछ विद्वान सभी को कश्यप की पत्नी मान कर लिखते हैं। कश्यप ऋषि ने दक्ष की सिर्फ 13 कन्याओं से ही विवाह किया था।

कश्यप की पत्नी अदिति से आदित्य (देवता), दिति से दैत्य, दनु से दानव, काष्ठा से अश्व आदि, अरिष्ठा से गंधर्व, सुरसा से राक्षस, इला से वृक्ष, मुनि से अप्सरागण, क्रोधवशा से सर्प, ताम्रा से श्येन-गृध्र आदि, सुरभि से गौ और महिष, सरमा से श्वापद (हिंस्त्र पशु) और तिमि से यादोगण (जलजंतु) की उत्पत्ति हुई।

कश्यप के आदिति से 12 आदित्य पुत्रों का जन्म हुए जिनमें विवस्वान और विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए। वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था। वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था। राजा इक्ष्वाकु के कुल में जैन और हिन्दू धर्म के महान तीर्थंकर, भगवान, राजा, साधु महात्मा और सृजनकारों का जन्म हुआ है।

वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे- 1.इल, 2.इक्ष्वाकु, 3.कुशनाम, 4.अरिष्ट, 5.धृष्ट, 6.नरिष्यन्त, 7.करुष, 8.महाबली, 9.शर्याति और 10.पृषध।

इक्ष्वाकु के पुत्र और उनका वंश : मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु के तीन पुत्र हुए:- 1.कुक्षि, 2.निमि और 3.दण्डक पुत्र उत्पन्न हुए। भगवान राम इक्षवाकु कुल में ही जन्में। इक्ष्वाकु कुल के बारे में नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें ।

भगवान राम की वंश परंपरा

महान है इक्ष्वाकु का कुल

संदर्भ : पुराण

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

सितंबर माह के पहले सप्ताह में किसके चमकेंगे सितारे, जानें साप्ताहिक राशिफल 01 से 07 September तक

Anant chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी के दिन बाजू पर धागा क्यों बांधते हैं?

Chandra grahan sutak kaal 2025: 7 सितंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण सूतक काल

घर से निकलने से पहले हनुमान चालीसा की इस 1 चौपाई का करें पाठ, बजरंगबली की कृपा से संकट रहेंगे दूर

गणपति की पूजा में कौन-कौन सी वस्तुएं ज़रूरी होती हैं और क्यों?

सभी देखें

धर्म संसार

02 सितंबर 2025 : आपका जन्मदिन

02 सितंबर 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

Shradh paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में किन रूपों में घर आते हैं पितृ, जानिए क्यों आते हैं पुरखे

गणेश उत्सव पर दोहे

Ganesh Visarjan Niyam: गणपति बप्पा के विसर्जन के समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान, वरना…