सूर्य वंश का संक्षिप्त परिचय-2

Webdunia
शनिवार, 25 अगस्त 2012 (14:57 IST)
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कुक्षि के कुल में भरत से आगे चलकर, सगर, भागीरथ, रघु, अम्बरीष, ययाति, नाभाग, दशरथ और भगवान राम हुए। उक्त सभी ने अयोध्या पर राज्य किया। पहले अयोध्या भारतवर्ष की राजधानी हुआ करती थी बाद में हस्तीनापुर हो गई।

इक्ष्वाकु के दूसरे पुत्र निमि मिथिला के राजा थे। इसी इक्ष्वाकु वंश में बहुत आगे चलकर राजा जनक हुए। राजा निमि के गुरु थे- ऋषि वसिष्ठ। निमि जैन धर्म के 21वें तीर्थंकर बनें।

इस तरह से यह वंश परम्परा चलते-चलते हरिश्चन्द्र रोहित, वृष, बाहु और सगर तक पहुंची। राजा सगर के दो स्त्रियां थीं-प्रभा और भानुमति। प्रभा ने और्वाग्नि से साठ हजार पुत्र और भानुमति केवल एक पुत्र की प्राप्ति की जिसका नाम असमंजस था।

असमंज के पुत्र अंशुमान तथा अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए। दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए। भगीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतार था। भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ और ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए। रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया। तब राम के कुल को रघुकुल भी कहा जाता है।

रघु कुल : सूर्य वशं को आगे बढ़ाया रघु कुल ने। रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए। प्रवृद्ध के पुत्र शंखण और शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए। सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था। अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग और शीघ्रग के पुत्र मरु हुए। मरु के पुत्र प्रशुश्रुक और प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए। अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था। नहुष के पुत्र ययाति और ययाति के पुत्र नाभाग हुए। नाभाग के पुत्र का नाम अज था। अज के पुत्र दशरथ हुए और दशरथ के ये चार पुत्र- राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हैं। राम के पुत्र हुए लव और कुश।

राज ा ल व स े राघ व राजपूतो ं क ा जन् म हुआ । जिनमे ं बर्गुज र, जया स औ र सिकरवारो ं क ा वं श चला । इसक ी दूसर ी शाख ा थ ी सिसोदिय ा राजपू त वं श की । जिसमे ं बैछला ( बैसला) औ र गैहलो त (गुहिल) वं श क े राज ा हुए । कु श स े कुशवाह ( कछवाह) राजपूतो ं क ा वं श चला।

एक शोधानुसार लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में राजा शल्य हुए ‍जो महाभारत युद्ध में कोरवों की ओर से लड़े थे। राम के आगे के सूर्य वंश की वंशावली पढ़ेंगे अगले अंक में।- क्रमश:

प्रस्तुति- अनिरुद्ध जोशी

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