हिंदू धर्म : चंद्रवंशी राजाओं की लिस्ट-2

Webdunia
मंगलवार, 29 अप्रैल 2014 (17:25 IST)
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ब्रह्मा पुत्र अत्रि ने ब्रह्मा पुत्र कर्दम की पुत्री अनुसूया से विवाह किया था। अनुसूया की माता का नाम देवहूति था। अत्रि को अनुसूया से एक पुत्र जन्मा जिसका नाम दत्तात्रेय था। अत्रि-दंपति की तपस्या और त्रिदेवों की प्रसन्नता के फलस्वरूप विष्णु के अंश से महायोगी दत्तात्रेय, ब्रह्मा के अंश से चन्द्रमा तथा शंकर के अंश से महामुनि दुर्वासा, महर्षि अत्रि एवं देवी अनुसूया के पुत्र रूप में आविर्भूत हुए। इनके ब्रह्मावादिनी नाम की कन्या भी थी।

अत्रि पुत्र चन्द्रमा ने बृहस्पति की पत्नी तारा से विवाह किया जिससे उसे बुध नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ, जो बाद में क्षत्रियों के चंद्रवंश का प्रवर्तक हुआ। इस वंश के राजा खुद को चंद्रवंशी कहते थे। चूंकि चंद्र अत्रि ऋषि की संतान थे इसलिए आत्रेय भी चंद्रवंशी ही हुए। ब्राह्मणों में एक उपनाम होता है आत्रेय अर्थात अत्रि से संबंधित या अत्रि की संतान।

चंद्रवंश के प्रथम राजा का नाम भी सोम माना जाता है जिसका प्रयाग पर शासन था। अत्रि से चंद्रमा, चंद्रमा से बुध, बुध से पुरुरवा, पुरुरवा से आयु, आयु से नहुष, नहुष से यति, ययाति, संयाति, आयति, वियाति और कृति नामक छः महाबल-विक्रमशाली पुत्र हुए।

नहुष के बड़े पुत्र यति थे, जो संन्यासी हो गए इसलिए उनके दुसरे पुत्र ययाति राजा हुए। ययाति के पुत्रों से ही समस्त वंश चले। ययाति के 5 पुत्र थे। देवयानी से यदु और तुर्वसु तथा शर्मिष्ठा से द्रुह्मु, अनु एवं पुरु हुए। यदु से यादव, तुर्वसु से यवन, द्रहुयु से भोज, अनु से मलेच्छ और पुरु से पौरव वंश की स्थापना हुई।

* ययाति के 5 पुत्र थे- 1. पुरु, 2. यदु, 3. तुर्वस, 4. अनु और 5. द्रुह्मु। यदु से यादव, तुर्वसु से यवन, दु्रह्मु से भोज तथा अनु से म्लेच्छ जातियों का आर्विभाव होने का उल्लेख महाभारत में मिलता है। यदु के दूसरे पुत्र सहस्रजित से हेहयवंश का आरंभ हुआ।

हैहयवंशी यादव जो दक्षिण के थे तथा काशी एवं अयोध्या के राजघराने बहुत समय तक युद्ध में लगे रहे। कार्तवीर्य अर्जुन, हैहयों वंश का सब से प्रतापी राजा कृतवीर्य का पुत्र था।

शशविंदु के उपरांत मधु यादवों का विख्यात राजा था। शशबिंदु से लेकर भीम सात्वत तक यादवों की मुख्य शाखा के जिन राजाओं के नाम मिलते हैं वे ये हैं- पृथुश्रवस, अंतर, सुयज्वा, उशनस, शिनेयु, मरूत्त, कम्बलवहिंस्, रूक्म-कवच, परावृत, ज्यामध, विदर्भ, कृथ भीम, कुंति, श्रृष्ट, निर्वृति,विदूरथ, दशार्ह, व्योमन, जीमूत, विकृति, भीमरथ, रथवर, दशरथ, एकदशरथ, शकुनि, करम्भ, देवरात, देवक्षेत्र, देवन, मधु पुरूवश, पुरूद्वंत, जंतु या अम्शु, सत्वंत और भीम सात्वत ।- क्रम श:

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