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पाइथागोरस से पूर्व बौधायन ने की पाई के मूल्य की गणना

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अनिरुद्ध जोशी

बौधायन भारत के प्राचीन गणितज्ञ और शुल्व सूत्र तथा श्रौत सूत्र के रचयिता हैं। पाइथागोरस के सिद्धांत से पूर्व ही बौधायन ने ज्यामिति के सूत्र रचे थे लेकिन आज विश्व में यूनानी ज्या‍मितिशास्त्री पाइथागोरस और यूक्लिड के सिद्धांत ही पढ़ाए जाते हैं।
 
 
दरअसल, 2800 वर्ष (800 ईसापूर्व) बौधायन ने रेखागणित, ज्यामिति के महत्वपूर्ण नियमों की खोज की थी। उस समय भारत में रेखागणित, ज्यामिति या त्रिकोणमिति को शुल्व शास्त्र कहा जाता था।
 
 
शुल्व शास्त्र के आधार पर विविध आकार-प्रकार की यज्ञवेदियां बनाई जाती थीं। दो समकोण समभुज चौकोन के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आएगी उतने क्षेत्रफल का 'समकोण' समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में परिवर्तन करना, इस प्रकार के अनेक कठिन प्रश्नों को बौधायन ने सुलझाया।
 
 
आर्यभट्ट ने जर्मनी के खगोलविद् कॉपरनिकस से करीब 1,000 वर्ष पहले पृथ्वी के गोल आकार और इसके धुरी पर चक्कर लगाने की पुष्टि की। आइजक न्यूटन से पहले ब्रह्मगुप्त ने गुरुत्वाकर्षण के नियम की पुष्टि की थी। प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक बौधायन ने पाइथागोरस से काफी पहले पाइथागोरस के सिद्धांत की खोज की। मशहूर रूसी इतिहासकार के मुताबिक ईसा मसीह से पहले ही भारत ने प्लास्टिक सर्जरी का हुनर हासिल कर लिया था और अस्पताल बनाने वाला यह पहला देश था। इसी तरह के कई उदाहरण और प्रमाण दिए जा सकते हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि भारत में महान गणितज्ञ हुए हैं जिन्होंने पश्‍चिमी जगत की खोज के पूर्व ही ही सबकुछ खोज लिया था।

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