रामायण के बाद हनुमानजी यहां चले गए थे और अब वे इन जगहों पर मिलते हैं...

अनिरुद्ध जोशी
चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥

चारों युग में हनुमानजी के ही परताप से जगत में उजियारा है। हनुमान को छोड़कर और किसी देवी-देवता में चित्त धरने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आज भी हनुमानजी हमारे बीच इस धरती पर सशरीर मौजूद हैं।
हनुमान इस कलियुग में सबसे ज्यादा जाग्रत और साक्षात हैं। कलियुग में हनुमान की भक्ति ही लोगों को दुख और संकट से बचाने में सक्षम हैं। बहुत से लोग किसी बाबा, देवी-देवता, ज्योतिष और तांत्रिकों के चक्कर में भटकते रहते हैं, क्योंकि वे हनुमान की भक्ति-शक्ति को नहीं पहचानते। ऐसे भटके हुए लोगों का राम ही भला करे। आजो जानते हैं कि हनुमानजी कहां कहां उपस्थित है।
 
1. जहां रामकथा वहां हनुमानजी
''यत्र-यत्र रघुनाथ कीर्तन तत्र कृत मस्तकान्जलि। वाष्प वारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तक॥''
अर्थात : कलियुग में जहां-जहां भगवान श्रीराम की कथा-कीर्तन इत्यादि होते हैं, वहां हनुमानजी गुप्त रूप से विराजमान रहते हैं।
 
सीताजी के वचनों के अनुसार- अजर-अमर गुन निधि सुत होऊ।। करहु बहुत रघुनायक छोऊ॥
यदि मनुष्य पूर्ण श्रद्घा और विश्वास से इनका आश्रय ग्रहण कर लें तो फिर तुलसीदासजी की भांति उसे भी हनुमान और राम-दर्शन होने में देर नहीं लगती।
 
2.चित्रकुट के घाट पर हनुमानजी
6वीं सदी के महान संत कवि तुलसीदासजी को हनुमानजी की कृपा से ही रामजी के दर्शन प्राप्त हुए। कथा है कि हनुमानजी ने तुलसीदासजी से कहा था कि राम और लक्ष्मण चित्रकूट नियमित आते रहते हैं। मैं वृक्ष पर तोता बनकर बैठा रहूंगा, जब राम और लक्ष्मण आएंगे मैं आपको संकेत दे दूंगा।
 
हनुमानजी की आज्ञा के अनुसार तुलसीदासजी चित्रकूट घाट पर बैठ गए और सभी आने- जाने वालों को चंदन लगाने लगे। राम और लक्ष्मण जब आए तो हनुमानजी गाने लगे 'चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।' हनुमान के यह वचन सुनते ही तुलसीदास प्रभु राम और लक्ष्मण को निहारने लगे।' इस प्रकार तुलसीदासजी को रामजी के दर्शन हुए।
 
3.गंधमादन पर्वत पर हनुमानजी 
हनुमानजी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं, ऐसा श्रीमद भागवत में वर्णन आता है। उल्लेखनीय है कि अपने अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पांडव गंधमादन के पास पहुंचे थे। एक बार भीम सहस्रदल कमल लेने के लिए गंधमादन पर्वत के वन में पहुंच गए थे, जहां उन्होंने हनुमान को लेटे देखा और फिर हनुमान ने भीम का घमंड चूर कर दिया था।
 
गंधमादन में ऋषि, सिद्ध, चारण, विद्याधर, देवता, गंधर्व, अप्सराएं और किन्नर निवास करते हैं। वे सब यहां निर्भीक विचरण करते हैं। हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में (दक्षिण में केदार पर्वत है) स्थित गंधमादन पर्वत की। यह पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था। सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में स्थित गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के इलाके में है। पुराणों के अनुसार जम्बूद्वीप के इलावृत्त खंड और भद्राश्व खंड के बीच में गंधमादन पर्वत कहा गया है, जो अपने सुगंधित वनों के लिए प्रसिद्ध था।


4.श्रीलंका में हनुमान
सेतु एशिया नामक एक वेबसाइट ने दावा किया है कि श्रीलंका के जंगलों में एक आदिवासी समूह से हनुमानजी प्रत्येक 41 साल बाद मिलने आते हैं। सेतु के शोधानुसार श्रीलंका के जंगलों में एक ऐसा कबीलाई समूह रहता है जोकि पूर्णत: बाहरी समाज से कटा हुआ है। इसका संबंध मातंग समाज से है जो आज भी अपने मूल रूप में है। उनका रहन-सहन और पहनावा भी अलग है। उनकी भाषा भी प्रचलित भाषा से अलग है। यह समूह पिदुरुथालागाला पर्वत की तलहटी में स्थित एक छोटे से गांव नुवारा में है। हालांकि इस वेबसाइट के दावे में सचाई नजर नहीं आती। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

07 सितंबर 2025 को होगा खग्रास चंद्रग्रहण, देश-दुनिया पर होगा प्रभावी

Ganesh Visarjan 2025 : गणेश उत्सव के अंतिम दिन कर लें ये काम, पूरे साल कोई विघ्न नहीं करेगा परेशान

Ganesh Visarjan 2025: गणेश विसर्जन के बाद पूजन सामग्री का क्या करें? जानिए सही तरीका

Lunar eclipse 2025: चंद्र ग्रहण: वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण और उपाय

Lunar Eclipse 2025: क्या इस बार का चंद्रग्रहण भी लेकर आने वाला है डर और तबाही की नई लहर?

सभी देखें

धर्म संसार

05 September Birthday: आपको 5 सितंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 5 सितंबर, 2025: शुक्रवार का पंचांग और शुभ समय

Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी की तिथि, महत्व और 5 मुख्य कार्य जो आपको करना चाहिए

क्या चंद्रग्रहण सिर्फ एक खगोलीय घटना है, या इसके पीछे छिपा है भय और विध्वंस का खौफनाक सच?

Ganesh chaturthi 2025: इस मुस्लिम देश के रक्षक हैं श्रीगणेश, 700 सालों से ज्वालामुखी की आग से कर रहे लोगों की हिफाजत

अगला लेख