* क्या हिन्दू देवी और देवता एलियंस थे? यह बात बिलकुल विश्वास करने योग्य नहीं है। यदि हिस्ट्री टीवी चैनल की एलियंस पर बनाई गई एक सीरीज पर विश्वास करें तो प्राचीन सभ्यताओं के देवता दरअसल एलियंस ही थे। चैनल के शोधकर्ता मानते हैं कि 10,000 ईसा पूर्व धरती पर एलियंस उतरे और उन्होंने पहले इंसानी कबीले के सरदारों को ज्ञान दिया और फिर बाद में उन्होंने राजाओं को अपना संदेशवाहक बनाया।
* इंसानों ने उन्हें अपना देवता, फरिश्ता माना और कुछ उन्हें आकाशदेव कहते थे, क्योंकि वे आकाश से उतरे थे लेकिन सच्चाई सिर्फ यही नहीं है। कुछ इंसान ऐसे भी थे, जो उन्हें धरती को बिगाड़ने का दोषी मानते थे। इजिप्ट, मेसोपोटामिया, सुमेरियन, इंका, बेबीलोनिया, सिन्धु घाटी, माया, मोहनजोदड़ो और दुनिया की तमाम सभ्यताओं के टेक्स्ट में लिखा है कि जल्दी ही लौट आएंगे हमारे 'आकाशदेव' और फिर से वे धरती के मुखिया होंगे।
* हिस्ट्री चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक प्राचीन सभ्यताओं के स्मारकों पर शोध करने वाले मशहूर लेखक एरिक वोन डेनीकेन की किताब 'चैरियोट्स ऑफ गॉड्स' ने दुनिया की सोच को बदलकर रख दिया। उनके अनुसार प्राचीन मिस्र के निवासियों के पास गीजा के पिरामिडों को बनाने की कोई तकनीक नहीं थी। मिस्र के निवासियों के पास गीजा में पिरामिड बनाने के लिए न तो औजार थे, न ही इन्हें बनाने का ज्ञान था। इस तरह इन्हें अवश्य ही एलियंस ने बनाया होगा। यदि भारत के संदर्भ में बात करें तो ऐसे कई मंदिर हैं जिन्हें आज की आधुनिक मानव तकनीक से भी नहीं बनाया जा सकता।
* प्रोफेसर एरिक वोन डेनीकेन ने 1971 में कोलकाता के संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दिलीप कंजीलाल के प्राचीन वैदिक भाषा का आधुनिकरण किया है। उन्होंने इन ग्रंथों के शोध के आधार पर कहा कि हिन्दू देवता एक फ्लाइंग मशीन में बैठकर स्वर्ग से धरती पर आते थे। इन ग्रंथों में बहुत बारीकी से इसका ब्योरा मिलता है कि उनके ये विमान कैसे दिखते और कैसे वे एक जगह से दूसरी जगह जाते थे। दक्षिण भारत के मंदिर उन विमानों की तरह ही बनाए गए हैं।
* प्राचीन एस्ट्रॉनॉमी के अनुसार भगवान विष्णु एक एलियंस थे। उन्होंने अपने दोनों पार्षदों जय और विजय को वैकुंठ से निकाल दिया था, क्योंकि उन्होंने सदा अंतरिक्ष में विचरण करने वाले चार कुमारों सनक, सनंदन, सनातन और सनत्कुमार को वैकुंठ में आने से रोक दिया था तो उन्हें चारों कुमारों का श्राप झेलना पड़ा और फिर उन्होंने धरती पर हिण्याक्ष और हिरण्यकशिपु के रूप में जन्म लिया। कहीं ऐसा तो नहीं कि शोधकर्ता हिन्दू देवी, देवता और भगवानों को एलियन साबित कर पश्चिमी धर्म को ही असल में धर्म घोषित करने की कोई साजिश रच रहे हो?
* भारतीय पौराणिक शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि कई देवताओं को नियमों का उल्लंघन करने या किसी शाप के चलते स्वर्ग से निकाल दिया गया था फिर उन्हें धरती पर दिन गुजारने होते थे। ये देवता भी कई प्रकार के होते थे। कोई वानर रूप में, कोई सर्प रूप में तो कोई राक्षस रूप में।
* पौराणिक ग्रंथों में देव और दानवों की जो कथाएं मिलती हैं, वे स्वर्ग और धरती से जुड़ी हुई हैं। नारद नाम के एक देव दोनों लोकों के संदेशवाहक थे। और भी कई संदेशवाहक थे, लेकिन वे सबसे प्रसिद्ध थे। महाभारत, रामायण और वेद में ऐसे कई लोगों का जिक्र है, जो हमारे ग्रह के नहीं थे।
* प्राचीन एस्ट्रोनॉमी के शोधकर्ता मानते हैं कि भारत के पौराणिक ग्रंथों में जिस यति का उल्लेख मिलता है वह 'एलियंस' ही रहा होगा। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने पाया कि भारत में 'विजयनगरम् साम्राज्य' सर्पदेव से संबंध रखने वाले लोगों ने बसाया था। भारत में जिस नागदेव की पूजा की जाती है, वह आधा मानव और आधा सर्प है। निश्चय ही वह 'एलियंस' रहा होगा या ओरायन से आए एलियंसों ने अपने जीन से इस तरह के कई जीव-जंतु बनाए होंगे।
* मानवों का रंग काला, गौरा और गेहूंआ होता है लेकिन नीले रंग के मानव नहीं होते। भगवान विष्णु और शिव को नीले रंग में क्यों चित्रित किया गया है? क्या एलियंस नीले रंग के होते थे? दरअसल, पश्चिमी लोगों द्वारा हिन्दू धर्म का गहराई से अध्ययन नहीं करने के कारण ही ऐसा माना जा रहे हैं कि वे किसी दूसरे ग्रह से आए लोग थे। आगे चलकर वे भगवान बुद्ध को भी एलियन घोषित करने से नहीं चुकेंगे।
* पौराणिक मान्यता अनुसार गुरु और शुक्र ग्रह पर पहले लोग रहते थे। गुरु ग्रह के लोगों ने मंगल को अपनी सैन्य छावनी बनाया था तो शुक्र ग्रह के लोगों ने चन्द्र को। चन्द्र और मंगल ग्रह पर उनके अंतरिक्ष यानों की देखरेख और युद्ध की ट्रेनिंग होती थी। गुरु ग्रह के शासक ऋषि बृहस्पति थे और शुक्र ग्रह के शुक्राचार्य। आज देखा जाए तो कुछ धर्म ऐसे हैं, जो शुक्र और चन्द्र को अपने धर्म में महत्वपूर्ण स्थान देते हैं और कुछ में गुरु और मंगल का महत्वूर्ण स्थान है...। (c)