पुलस्त्य ऋषि कौन थे, जानिए

अनिरुद्ध जोशी
वैदिक काल में हजारों ऋषि मुनि हुआ करते थे। उन्हीं में से एक थे पुलस्त्य ऋषि। कई लोग इन ऋषि के बारे में बहुत कम ही जानते हैं। आओ जानते हैं कि यह ऋषि कौन थे।
 
1. पुलस्त्य पुलस्ति ऋषि को ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक माना जाता है। कर्दम प्रजापति की कन्या हविर्भुवा से इनका विवाह हुआ था। कहते हैं कि ये कनखनल के राजा दक्ष के दामाद और भगवान शंकर के साढू थे। यह भी कहते हैं कि सती दाह के बाद जब दक्ष यज्ञ का विध्वंस किया गया तो ये जलकर मर गए थे।
 
2. वैवस्वत मनु के मन्वंतर में ब्रह्मा के सभी मानस पुत्रों के साथ पुलस्त्य का भी पुनर्जन्म हुआ था। एक बार से मेरु पर्वत पर तपस्या कर रहे थे तो अप्सराएं इन्हें परेशान करती थी तो इन्होंने क्रोधवश श्राप दे दिया कि जो भी महिला इनके सामने आएगी वह गर्भवती हो जाएगी। 
 
3. एक बार वैशाली के राजा की पुत्री इडविला भूलवश इनके सामने आकर गर्भवती हो गई। इसके बाद उसका पुलस्त्य से विवाह हुआ और फिर एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम विश्रवा रखा गया। दशानन रावण इन्हीं विश्रवा का पुत्र और पुलस्त्य का पौत्र था। 
 
4. कहते हैं कि विश्रवा नर्मदा के किनारे रहते थे। हालांकि पुलस्त्य का निवास भी वहीं रहा होगा ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है।
 
5. महाभारत में दुर्योधन कलियुग का अंश था तो उसके 100 भाई पुलस्त्य वंश के राक्षस के अंश से थे। वायु पुराण (70.51.65) में राक्षसों को पुलह, पुलस्त्य, कश्यप एवं अगस्त्य ऋषि की संतान माना गया है।
 
6. पुलस्त्य ऋषि ने महाराजा शिव से निवेदन करके लंका में अपना एक तप स्थान नियुक्त किया था, तब राजा महिदंत चक्रवर्ती राजा थे। ब्रह्माजी की आज्ञा से पुलस्त्य ऋषि ने भीष्म को ज्ञान दिया था। 
 
7. पुलस्त्य ऋषि ने ही गोवर्धन पर्वत को शाप दिया था। गोवर्धन पर्वत को गिरिराज पर्वत भी कहा जाता है। 5,000 साल पहले यह गोवर्धन पर्वत 30,000 मीटर ऊंचा हुआ करता था और अब शायद 30 मीटर ही रह गया है। पुलस्त्य ऋषि के शाप के कारण यह पर्वत एक मुट्ठी रोज कम होता जा रहा है। इसी पर्वत को भगवान कृष्ण ने अपनी चींटी अंगुली पर उठा लिया था। श्री गोवर्धन पर्वत मथुरा से 22 किमी की दूरी पर स्थित है।
 
8. वायु पुराण (70.51.65) में राक्षसों को पुलह, पुलस्त्य, कश्यप एवं अगस्त्य ऋषि की संतान माना गया है। 

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