10 हजार शिष्यों वाले गुरुकुल में दुनिया के पहले कुलपति ऋषि शौनक

अनिरुद्ध जोशी
आकाश में 7 तारों का एक मंडल नजर आता है। उन्हें सप्तर्षियों का मंडल कहा जाता है। इसके अतिरिक्त सप्तर्षि से उन 7 तारों का बोध होता है, जो ध्रुव तारे की परिक्रमा करते हैं। उक्त मंडल के तारों के नाम भारत के महान 7 संतों के आधार पर ही रखे गए हैं। वेदों में उक्त मंडल की स्थिति, गति, दूरी और विस्तार की विस्तृत चर्चा मिलती है। ऋषियों की संख्‍या सात ही क्यों?> ।।सप्त ब्रह्मर्षि, देवर्षि, महर्षि, परमर्षय:।> कण्डर्षिश्च, श्रुतर्षिश्च, राजर्षिश्च क्रमावश:।। अर्थात : 1. ब्रह्मर्षि, 2. देवर्षि, 3. महर्षि, 4. परमर्षि, 5. काण्डर्षि, 6. श्रुतर्षि और 7. राजर्षि- ये 7 प्रकार के ऋषि होते हैं इसलिए इन्हें सप्तर्षि कहते हैं। 
 
हिन्दू पुराणों ने काल को मन्वंतरों में विभाजित कर प्रत्येक मन्वंतर में हुए ऋषियों के ज्ञान और उनके योगदान को परिभाषित किया है। प्रत्येक मन्वंतर में प्रमुख रूप से 7 प्रमुख ऋषि हुए हैं। इन्हीं ऋषियों में से एक थे ऋषि शौनक। आओ जानते हैं इनके बारे में संक्षिप्त जानकारी।
 
1. शौनक ऋषि एक वैदिक आचार्य और ऋषि थे जो भृगुवंशी शुनक ऋषि के पुत्र थे। शौनक ऋषि का पूरा नाम इंद्रोतदैवाय शौनक था।
 
2. शौनक ने दस हजार विद्यार्थियों के गुरुकुल को चलाकर कुलपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया और किसी भी ऋषि ने ऐसा सम्मान पहली बार हासिल किया। 
 
3. महाभारत के अनुसार शौन ऋषि ने ही राजा जनमेजय का अश्वमेध और सर्पसत्र नामक यज्ञ कराया था। 
 
4. ऋष्यानुक्रमणी ग्रंथानुसार, ये पहले अंगिरस्गोत्रीय शनुहोत्र ऋषि का पुत्र थे परंतु बाद में भृगु-गोत्रीय शनुक ने इन्हें अपना पुत्र माना तो इन्हें शौनक पैतृक नाम प्राप्त हुआ।
 
5. इन्होंने ऋक्प्रातिशाख्‍य, ऋग्वेद छंदानुक्रमणी, ऋग्वेद ऋष्यानुक्रमणी, ऋग्वेद अनुवाकानुक्रमणी, ऋग्वेद सूक्तानुक्रमणी, ऋग्वेद कथानुक्रमणी, ऋग्वेद पादविधान, बृहदेवता, शौनक स्मृति, चरणव्यूह, ऋग्विधान आदि अनेक ग्रंथ लिखे हैं। इसके अतिरिक्त शौनक गृह्सूत्र, शौनक गृह्यपरिशिष्ट, वास्तुशा्सत्र ग्रंथ की भी चर्चा की जाती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

वास्तु में हर प्रवेश द्वार का है महत्व, जानें किससे क्या फायदा और क्या नुकसान

चैत्र नवरात्रि में अष्टमी पर करें ये एकमात्र पूजा, नवमी की माता भी हो जाएंगी प्रसन्न

वास्तु शास्त्र के अनुसार हमेशा कंगाल रहते हैं इन 4 घरों में रहने वाले लोग

मेष संक्रांति के शुभ उपाय और पूजा विधि

नीचभंग राजयोग क्या होता है, क्या है उसका प्रभाव?

15 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

15 अप्रैल 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Forecast April 2024: 15 से 21 अप्रैल का साप्ताहिक राशिफल, जानें किन राशियों का चमकेगा भाग्य

Saptahik Muhurat 15 To 21 April 2024: अप्रैल 2024 के नए सप्ताह के सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त, यहां जानें

Aaj Ka Rashifal: 14 अप्रैल का राशिफल, जानें आज किन राशियों को मिलेगी कार्य में सफलता

अगला लेख