हिन्दू धर्म में पंचामृत या चरणामृत के साथ तुलसी का सेवन जरूरी है। हर मंदिर में आपको चरणामृत तो मिलेगा पर पंचामृत कम ही मिलेगा। पंचामृत किसी तीज त्योहार पर बनाया जाता है। हालांकि कुछ मंदिरों में प्रतिदिन ही पंचामृत का प्रसाद बंटता है। आओ जानते हैं कि क्या है चरणामृत सेवन के लाभ।
कैसे बनता चरणामृत : तांबे के बर्तन में चरणामृतरूपी जल रखने से उसमें तांबे के औषधीय गुण आ जाते हैं। चरणामृत में तुलसी पत्ता, तिल और दूसरे औषधीय तत्व मिले होते हैं। मंदिर या घर में हमेशा तांबे के लोटे में तुलसी मिला जल रखा ही रहता है।
चरणामृत लेने के नियम : चरणामृत ग्रहण करने के बाद बहुत से लोग सिर पर हाथ फेरते हैं, लेकिन शास्त्रीय मत है कि ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है। चरणामृत हमेशा दाएं हाथ से लेना चाहिए और श्रद्धाभक्तिपूर्वक मन को शांत रखकर ग्रहण करना चाहिए। इससे चरणामृत अधिक लाभप्रद होता है।
चरणामृत सेवन के 7 चमत्कारिक फायदे :
1. शास्त्रों में कहा गया है- अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्। विष्णो पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते।।
अर्थात : भगवान विष्णु के चरणों का अमृतरूपी जल सभी तरह के पापों का नाश करने वाला है। यह औषधि के समान है। जो चरणामृत का सेवन करता है उसका पुनर्जन्म नहीं होता है।
2. चरणामृत का जल का सेवन करने से कभी भी कैंसर नहीं होगा और न ही किसी भी प्रकार का अन्य रोग।
3. तुलसी का पौधा एक एंटीबायोटिक मेडिसिन होता है। इसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है, बीमारियां दूर भागती हैं और शारीरिक द्रव्यों का संतुलन बना रहता है।
4. आयुर्वेद की दृष्टि से चरणामृत स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार तांबे में अनेक रोगों को नष्ट करने की क्षमता होती है।
5. आयुर्वेद के अनुसार यह पौरूष शक्ति को बढ़ाने में भी गुणकारी माना जाता है।
6. तुलसी के इस रस से कई रोग दूर हो जाते हैं और इसका जल मस्तिष्क को शांति और निश्चिंतता प्रदान करता हैं।
7. स्वास्थ्य लाभ के साथ ही साथ चरणामृत बुद्धि, स्मरण शक्ति को बढ़ाने भी कारगर होता है।