कौन से वार जाएं मंदिर, जानिए..

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
शिव के मंदिर में सोमवार, विष्णु के मंदिर में रविवार, हनुमान के मंदिर में मंगलवार, शनि के मंदिर में शनिवार और दुर्गा के मंदिर में बुधवार और काली व लक्ष्मी के मंदिर में शुक्रवार को जाने का उल्लेख मिलता है। गुरुवार को गुरुओं का वार माना गया है। इस दिन सभी गुरुओं के समाधि मंदिर में जाने का महत्व है। लेकिन कितने लोग जानते हैं कि धार्मिक रूप से सर्वमान्य दिन कौन-सा है? इसी दिन मंदिर जाने से पूर्ण लाभ मिलता है।


पांच पंथ है- 1.वैष्णव पंथ : रविवार और गुरुवार, 2. शैव पंथ : सोमवार और शुक्रवार। 3. शाक्त पंथ : बुधवार, शुक्रवार और शनिवार। 4. स्मार्त : गुरुवार 5. संत मत :  गुरुवार। लेकिन इस सभी वारों में सर्वश्रेष्ठ वह वार है जिसका कोई वैज्ञानिक महत्व हो। एकमा‍त्र वही ऐसा वार है जबकि मंदिर में जाने से मन में आध्यात्मिक भाव जाग्रत होता है और मन में शांति का स्थाई निवास बनता है। इस वार को घर या मंदिर में अच्छे से पूजा-पाठ या प्रार्धना-ध्यान करने से मनोकामना सफल होती है।

अगले पन्ने पर जानिए हिन्दुओं का एकमात्र वार कौन-सा...


रविवार और गुरुवार धर्म का दिन : विष्णु को देवताओं में सबसे ऊंचा स्थान प्राप्त है और वेद अनुसार सूर्य इस जगत की आत्मा है। शास्त्रों के अनुसार रविवार को सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है। रविवार के दिन ध्यान करना सर्वश्रेष्ठ है। रविवार के बाद देवताओं की ओर से होने के कारण बृहस्पतिवार (देव गुरु बृहस्पति) को प्रार्थना के लिए सबसे अच्छा दिन माना गया है। ऐसा कहते हैं कि शुक्राचार्य के धर्म के कारण शुक्रवार को दैत्यों का दिन माना गया है।

गुरुवार क्यों सर्वश्रेष्ठ दिन? : रविवार की दिशा पूर्व है किंतु गुरुवार की दिशा ईशान है। ईशान में ही देवताओं का स्थान माना गया है। यात्रा में इस वार की दिशा पश्चिम, उत्तर और ईशान ही मानी गई है। इस दिन पूर्व, दक्षिण और नैऋत्य दिशा में यात्रा त्याज्य है।

गुरुवार की प्रकृति क्षिप्र है। इस दिन सभी तरह के धार्मिक और मंगल कार्य से लाभ मिलता है अत: हिन्दू शास्त्रों के अनुसार यह दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है अत: सभी को प्रत्येक गुरुवार को मंदिर जाना चाहिए और पूजा, प्रार्थना या ध्यान करना चाहिए।

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