क्या है नीति-नियम या व्यवस्था?

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
किसी भी धर्म, समाज या राष्ट्र में नीति-नियम और व्यवस्था नहीं है तो सब कुछ अव्यवस्थित और मनमाना होगा। उसमें भ्रम और भटकाव की गुंजाइश ज्यादा होगी इसलिए व्यवस्थाकारों ने व्यवस्था दी। हिंदू धर्म ने जो व्यवस्था दी उसका पालन आज भले ही न होता हो लेकिन वह आज भी प्रासंगिक है। लोगों के लिए व्यवस्था ऐसी हो जिसमें लोग जी सकें, न कि व्यवस्था उनके लिए बोझ हो या कि वे व्यवस्‍था के गुलाम हों।
 
हिंदू धर्म जीवन को सही तरीके से जीने और उसका लुत्फ उठाने तथा मोक्ष के लिए एक संपूर्ण जीवन शैली का मार्ग बताता है। कोई उस मार्ग पर चलना चाहे तो यह उसकी स्वतंत्रता है। मूलत: हिंदू धर्म स्वतंत्रता का पक्षधर है। आपकी स्वतंत्रता से किसी और की स्वतं‍त्रता में कोई दखल नहीं होना चाहिए इसलिए हिंदू धर्म एक ऐसी साफ-सुथरी व्यवस्था देता है, जिसमें आप साँस लेते हुए स्वयं का आत्म विकास कर सकें।
 
तब हिंदू धर्म आश्रमों की व्यवस्था के अंतर्गत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की शिक्षा देता है। इसी में समाहित है धार्मिक नियम और व्यवस्था के सूत्र जैसे कैसा हो हिंदू घर, हिंदू परिवार, हिंदू समाज, हिंदू कानून, हिंदू आश्रम, हिदू मंदिर, हिंदू संघ, हिंदू कर्त्तव्य और हिंदू सि‍द्धांत आदि।
 
वेद, स्मृति, गीता, पुराण और सूत्रों में नीति, नियम और व्यवस्था की अनेक बातों का उल्लेख मिलता है। उक्त में से किसी भी ग्रंथ में मतभेद या विरोधाभास नहीं है। जहाँ ऐसा प्रतीत होता है तो ऐसा कहा जाता है कि जो बातें वेदों का खंडन करती हैं, वे अमान्य हैं।
 
मनुस्मृति में कहा गया है कि वेद ही सर्वोच्च है। वही कानून श्रुति अर्थात वेद है। महर्षि वेद व्यास ने भी कहा है कि जहाँ कहीं भी वेदों और दूसरे ग्रंथों में विरोध दिखता हो, वहाँ वेद की बात मान्य होगी। वेद और पुराण के मतभेदों को समझते हुए हम हिंदू व्यवस्था के उस संपूर्ण पक्ष को लेंगे जिसमें उन सभी विचारधाराओं का सम्मान हो, जिनसे वेद प्रकाशित होते हैं।
 
व्यवस्था हमारे स्व-अनुशासन और समा‍ज के संगठन-अनुशासन के लिए आवश्यक है। व्यवस्था से ही मानव समाज को नैतिक बल मिलता है। जब तक व्यवस्था न थी तो मानव समाज पशुवत जीवन यापन करता था। वह ज्यादा हिंसक और व्यभिचारी था।
 
मानव कबीलों में जीता था ‍तब हर कबीले के अपने अलग नियम और धरम होते थे, जहाँ पर कबीला प्रमुख की मनमानी चलती थी। स्त्रियों की जिंदगी बेहाल थी। यही सब देखते हुए पूर्व में मनुओं ने फिर वैदिक ऋषियों ने मानव को नैतिक रूप से एकजुट करने के लिए ही नीति और नियमों का निर्माण किया, जिसे जानना हर हिंदू का कर्त्तव्य होना चाहिए।
Show comments

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Saat phere: हिंदू धर्म में सात फेरों का क्या है महत्व, 8 या 9 फेरे क्यों नहीं?

Shiv Chaturdashi: शिव चतुर्दशी व्रत आज, जानें महत्व, पूजा विधि और मंत्र

Aaj Ka Rashifal: आज किसे मिलेगा करियर, संपत्ति, व्यापार में लाभ, जानें 06 मई का राशिफल

06 मई 2024 : आपका जन्मदिन

06 मई 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Forecast May 2024 : नए सप्ताह का राशिफल, जानें किन राशियों की चमकेगी किस्मत (06 से 12 मई तक)

अगला लेख