क्या सच में मंत्र जपने से होता है चमत्कारिक फायदा

अनिरुद्ध जोशी
बुधवार, 29 जनवरी 2020 (11:03 IST)
शास्त्र अनुसार 'ज' का अर्थ जन्म का रुक जाना और 'प' का अर्थ पाप का नष्ट हो जाना। किसी शब्द या मंत्र को बार-बार उच्चारित करना या मन ही मन दोहराना जपयोग कहलाता है। इसे मंत्रयोग भी कहते हैं। जपयोग सबसे प्राचीनतम योग है। यह एक चमत्कारिक योग है। इसका असर व्यक्ति के मन और मस्तिष्क पर जबरदस्त पड़ता है। जपयोग हर तरह के रोग और शोक को मिटाने की क्षमता रखता है।
 
 
मंत्र का अर्थ : मंत्र का अर्थ होता है मन को एक तंत्र में बाiधना। जब मन एक तंत्र में बंध जाता है तो व्यक्ति मानसिक रूप से शक्तिशाली बन जाता है।
 
 
जपयोग के तीन प्रकार हैं:- वाचिक, उपांशु और मानस। वाचिक का अर्थ मुंह से स्पष्ट उच्चारण के साथ किया जाने वाला जप। उपांशु का अर्थ मंद स्वर से मुंह के अंदर ही किया जाने वाला जप और मानस अर्थात मन ही मन किए जाने वाला जप।
 
 
मुख्यत: 3 प्रकार के मंत्र होते हैं- 1.वैदिक मंत्र, 2.तांत्रिक मंत्र और 3.शाबर मंत्र। 
 
 
मंत्र नियम : मंत्र-साधना में विशेष ध्यान देने वाली बात है- मंत्र का सही उच्चारण। दूसरी बात जिस मंत्र का जप अथवा अनुष्ठान करना है, उसका अर्घ्य पहले से लेना चाहिए। मंत्र सिद्धि के लिए आवश्यक है कि मंत्र को गुप्त रखा जाए। प्रतिदिन के जप से ही सिद्धि होती है। किसी विशिष्ट सिद्धि के लिए सूर्य अथवा चंद्रग्रहण के समय किसी भी नदी में खड़े होकर जप करना चाहिए। इसमें किया गया जप शीघ्र लाभदायक होता है। जप का दशांश हवन करना चाहिए और ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन कराना चाहिए।
 
 
ईश्वर और ईथर से जोड़ता जप : अपने ईष्ट या किसी शक्तिशाली मंत्र का निरंतर जप करने से व्यक्ति ईधर माध्यम की सकारात्मक ऊर्जा और शक्तियों से जुड़ जाता है। जपयोग व्यक्ति के अवचेतन को जाग्रत कर उसे दिव्य दृष्टि प्रदान करता है। ऐसा व्यक्ति स्वयं को किसी भी रूप में स्थापित करने में सक्षम हो जाता है। इससे व्यक्ति टेलीपैथिक और परा मनोविज्ञान में पारंगत हो सकता है।
 
 
सूक्ष्म शरीर का सक्रिय करता है जपयोग : निरंतर मंत्र जप करने से ध्वनि तरंग उत्पन्न होती है, उससे शरीर के स्थूल व सूक्ष्म अंग तक कंपित होते हैं। इसके कारण व्यक्ति का सूक्ष्म शरीर सक्रिय होकर शक्तिशाली परिणाम देना प्रारंभ कर देता है।
 
 
मंत्र शक्ति का चमत्कार : जपयोग के चमत्कार के संबंध में शास्त्रों में ढेर सारे उल्ले‍ख मिलते हैं। वेदों में विभिन्न प्रकार के मंत्रों का प्रयोग किया गया है। वेदों में उल्लेख है कि विशेष प्रकार के मंत्रों से विशेष तरह की शक्ति उत्पन्न होती है।
 
 
अनेक परिक्षणों से यह सिद्ध हो गया है कि मंत्रों में प्रयोग होने वाले शब्दों में भी शक्ति होती है। मंत्रों में प्रयोग होने वाले कुछ ऐसे शब्द हैं, जिन्हे 'अल्फा वेव्स' कहते हैं। मंत्र का यह शब्द 8 से 13 साइकल प्रति सैंकेंड में होता है और यह ध्वनि तरंग व्यक्ति की एकाग्रता में भी उत्पन्न होती है। इन शब्दों से जो बनता है, उसे मंत्र कहते हें। मंत्रों के जप करने से व्यक्ति के भीतर जो ध्वनि तरंग वाली शक्ति उत्पन्न होती है, उसे ही जपयोग या मंत्र योग कहते हैं।

 
कैसे मिटते हैं शोक : जब व्यक्ति बहुत व्यग्र या चिंतित रहता है तो तरह-तरह के नकारात्मक विचारों से घिर जाता है और पहले की अपेक्षा परिस्थितियों को और संकटपूर्ण बना लेता है। ढेर सारे विचारों से बचने के लिए किसी भी मंत्र का जप करते रहने से मन में विश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है। इससे शोक और संताप मिट जाता है। यह व्यक्ति को मानसिक रूप से शांत कर देता है।
 
 
मानसिक शक्ति बढ़ाता है : अच्छे विचार, मंत्र और भगवान का बार-बार जप करने या ध्यान करते रहने से व्यक्ति की मानसिक शक्ति बढ़ती जाती है। मानसिक शक्ति के बल पर ही व्यक्ति सफल, स्वस्थ और शक्तिशाली महसूस कर सकता है। मंत्र के द्वारा हम खुद के मन या मस्तिष्क को बुरे विचारों से दूर रखकर उसे नए और अच्छे विचारों में बदल सकते हैं। लगातार अच्छी भावना और विचारों में रत रहने से जीवन में हो रही बुरी घटनाएं रुक जाती है और अच्छी घटनाएं होने लगती है। यदि आप सात्विक रूप से निश्चित समय और निश्चित स्थान पर बैठक मंत्र प्रतिदिन मंत्र का जप करते हैं तो आपके मन में आत्मविश्वास बढ़ता है साथ ही आपमें आशावादी दृष्टिकोण भी विकसित होता है जो कि जीवन के लिए जरूरी है।
 
 
मंत्र से क्या होता है : मं‍त्र से किसी देवी या देवता को साधा जाता है, मंत्र से किसी भूत या पिशाच को भी साधा जाता है और मं‍त्र से किसी यक्षिणी और यक्ष को भी साधा जाता है।  'मंत्र साधना' भौतिक बाधाओं का आध्यात्मिक उपचार है। यदि आपके जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या या बाधा है तो उस समस्या को मंत्र जप के माध्यम से हल कर सकते हैं।
 

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