क्या है चमत्कारिक परा और अपरा विद्याएं?

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
शनिवार, 8 नवंबर 2014 (09:53 IST)
हिन्दू धर्मग्रंथों में दो तरह की विद्याओं का उल्लेख किया गया है- परा और अपरा। वेदों से लेकर पुराणों तक इन विद्याओं के बारे में बहुत विस्तार से बताया गया है। खासकर उपनिषदों और योग ग्रंथों में इन विद्याओं के संबंध में विस्तार से जानकारी मिलेगी। धर्म में उल्लेखित यह परा और अपरा ही लौकिक और पारलौकिक कहलाती है।
 
दुनिया में ऐसे कई लोग हैं, जो इन विद्याओं को किसी न किसी रूप में जानते हैं। वे इन विद्याओं के बल पर ही भूत, भविष्य का वर्णन कर देते हैं और इसके बल पर ही वे जादू और टोना करने की शक्ति भी प्राप्त कर लेते हैं। यह परा और अपरा शक्ति 4 तरह से प्राप्त होती है- देवताओं द्वारा, योग साधना द्वारा, तंत्र-मंत्र द्वारा और किसी चमत्कारिक औषधि या वस्तुओं द्वारा। परा विद्या के पूर्व अपरा विद्या का ज्ञान होना जरूरी है। परा विद्या एक चमत्कारिक विद्या है तो दूसरी ओर यह ब्रह्मा को जानने का मार्ग।
 
जगत 3 स्तरों वाला है। एक, स्थूल जगत जिसकी अनुभूति जाग्रत अवस्था में होती है। दूसरा, सूक्ष्म जगत जिसका स्वप्न में अनुभव करते हैं तथा तीसरा, कारण जगत जिसकी अनुभूति सुषुप्ति में होती है। इन तीनों स्तरों में जो व्यक्ति जाग्रत हो जाता है, साक्षीभाव में ठहर जाता है वह परा और अपरा दोनों ही प्रकार की विद्याओं में पारंगत हो जाता है।
 
परा-अपरा का परिचय : मुंडकोपनिषद अनुसार परा यौगिक साधना है और अपरा अध्यात्मिक ज्ञान है। जिस विद्या से 'अक्षरब्रह्म' का ज्ञान होता है, वह 'परा' विद्या है और जिससे ऋग, यजु, साम, अथर्व, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद और ज्योतिष का ज्ञान होता है, वह 'अपरा' विद्या है। परा विद्या वह है जिसके द्वारा परलोक यानी स्वर्गादि लोकों के सुख-साधनों के बारे में जाना जा सकता है, इन्हीं विद्याओं के जरिए इन्हें पाने के मार्ग भी पता किए जाते हैं। 
 
अगले पन्ने पर क्या है अपरा विद्याएं...
 
 
 

अपरा : जिसमें जानने वाला और जाना जाने वाला अलग-अलग होता है। इसमें सभी ज्ञान चाहे वह संसार के विषय में हो, वह ब्रह्म के विषय में आ जाता है। अपरा विद्या वह विद्या है, जो स्वप्न की बुद्धि से उत्पन्न होती है तथा निराकार तक का ज्ञान देती है। 
 
10 अपरा विद्याएं हैं : शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद, नक्षत्र, वास्तु, आयुर्वेद, वेद, कर्मकांड। अन्य जगहों पर इनके भाग अलग-अलग हैं, जैसे 4 वेद और 6 वेदांग।
 
गीता में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि एवं अहंकार को अपरा शक्ति कहा गया है, क्योंकि ये बनते और मिटते हैं। ये मिथ्या नाशवान शक्तियां हैं (गीता 7/4)। इसको पूर्ण रूप से जान लेना वाला ही अपरा शक्ति संपन्न व्यक्ति होता है।
 
अगले पन्ने पर क्या है चमत्कारिक परा विद्याएं...
 
 

परा विद्या : जिसमें जानने वाला और जाना जाने वाला अलग-अलग नहीं होता। इसमें अपना ज्ञान है, ब्रह्म-ज्ञान है। परा का अर्थ वह विद्या, जो इस नश्वर ब्रह्मांड से परे का ज्ञान दे। उपनिषद में कहा गया है कि परा विद्या वह विद्या है, जो जागृत बुद्धि है और उसी से अक्षर ब्रह्म को जाना जाता है (मुण्डक. 1/1/5)। 
 
'परा' विद्या तो ज्ञान की एक अलग प्रक्रिया का ही वर्णन है जिसमें 'क्या-क्या' जाना जाता है, यह प्रश्न ही नहीं उठता। उपनिषदें ‘अपरा विद्या’, निम्नतर ज्ञान और ‘परा विद्या’, उच्चतर ज्ञान में अंतर करते हैं। अपरा विद्या से तात्पर्य वेदों और विज्ञानों में उपलब्ध ज्ञान से है। परा विद्या अविनाशी परमेश्वर और आत्मा के दिव्य स्वरूप का ज्ञान देती है।
 
क्या है परा विद्या : परा प्राकृतिक शब्द उन व्यक्तियों, वस्तुओं या घटनाओं के लिए प्रयुक्त होता है जिसे कुछ लोग वास्तविक मानते हैं, लेकिन जो प्रकृति का भाग नहीं होते या सामान्य प्रकृति से परे होते हैं। 'अलौकिक' या 'पारलौकिक' शब्द भी इसके लिए प्रयुक्त होता है। 
 
पराशक्ति या अलौकिक शक्तिसंपन्न व्यक्ति को चमत्कारिक व्यक्ति माना जाता है, जो भूत, वर्तमान और भविष्य की घटनाओं का ज्ञान रखता है और जो कभी भी किसी भी प्रकार का चमत्कार करने की क्षमता रखता है।
Show comments

Astrology : किस राशि के लोग आसानी से जा सकते हैं आर्मी में?

Vastu Tips : वास्तु के अनुसार इन 4 जगहों पर नहीं रहना चाहिए, जिंदगी हो जाती है बर्बाद

Mangal Gochar : मंगल का मीन राशि में प्रवेश, 12 राशियों का राशिफल जानें

Shani Sade Sati: 3 राशि पर चल रही है शनिदेव की साढ़ेसाती, 2 पर ढैया और किस पर कब लगेगा शनि?

Vastu Tips : वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में 2 वास्तु यंत्र रखने से होता है वास्तु दोष दूर

बृहस्पति का वृषभ राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा नुकसान, जानें उपाय

Sabse bada ghanta: इन मंदिरों में लगा है देश का सबसे वजनी घंटा, जानें क्यों लगाते हैं घंटा

अब कब लगने वाले हैं चंद्र और सूर्य ग्रहण, जानिये डेट एवं टाइम

वर्ष 2025 में क्या होगा देश और दुनिया का भविष्य?

वैष्णव संत रामानुजाचार्य के बारे में 5 खास बातें