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क्यों जरूरी हैं सूर्यास्त से पहले भोजन?

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
आयुर्वेदानुसार सूर्यास्त से पूर्व भोजन कर लेना चाहिए। जैन धर्म में तो इस नियम का सबसे ज्यादा महत्व है। हालांकि हिन्दू और जैन धर्म में भोजन करने के कई नियम तय किए गए हैं जैसे कि भोजन के पूर्व पानी पिया तो उत्तम, बीच में पीया तो मध्यम और बाद में पिया तो निम्नतम माना गया है। पूर्व भी लगभग आधा घंटा पूर्व और भोजन पश्‍चात करीब पौन घंटा पश्‍चात ही पानी पीएं। बीच में पानी सिर्फ एक बार पी सकते हैं। इसी तरह सुबह से लेकर शाम तक के लिए तरह-तरह के नियम और सिद्धांत बनाए गए हैं। इसके ‍पीछे वैज्ञानिक कारण भी है।
 
भोजन करते वक्त इन बातों का ध्यान रखना जरूरी...
भोजन करने संबंधी कुछ जरूरी नियम...
 
दरअसल कोई पशु या पक्षी रात्रिकाल में भोजन नहीं करता। प्राकृतिक रूप में मानव भी पहले सूर्यास्त के पूर्व भोजन कर लेता था। लेकिन पहले आग का अविष्कार हुआ तो उसके भोजन करने की आदत में बदलाव होने लगा। फिर जब बिजली का अविष्कार हुआ तो यह आदत पूर्णत: बदल गई। इससे कई तरह के नुकसान भी हुए हैं लेकिन आज भी पशु और पक्षी रात्रि में भोजन नहीं करते। रात्रि में जो भोजन करते हैं उनको निशाचर कहा गया है। मनुष्य निशाचर प्राणी नहीं है।
कई लोग इस बात को अभी तक पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं कि आखिर सूर्यास्त के पहले भोजन कर लेने के पीछे क्या कारण है। दरअसल यह नियम व्यक्ति के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस नियम के पीछे चार कारण है।
 
पहला कारण : यह कि सूर्यास्त के पहले भोजन करने से पाचन तंत्र ठीक रहता है। भोजन को सुबह तक पचने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। 
 
दूसरा कारण : सूर्यास्त के पहले भोजन करने से व्यक्ति कई तरह की बीमारियों से भी बच जाता है, क्योंकि रात्रि में कई तरह के बैक्टिरिया और अन्य जीव हमारे भोजन से चिपक जाते हैं या उनमें स्वत: ही पैदा होने लगते हैं। 
 
तीसरा कारण : सूर्यास्त के बाद मौसम में नमी बढ़ जाती है और इस नमी के कारण कई तरह के सूक्ष्म जीव और बैक्टिरिया उत्पन्न हो जाते हैं। सूर्य की रोशनी में ये गरमी के कारण पनप नहीं पाते हैं और सूर्यास्त के साथ ही जैसे ही नमी बढ़ती है ये जीव सक्रिय हो जाते हैं।
 
चौथा कारण : सूर्यास्त के बाद प्रकृति सोने लगती है। वृक्ष, पशु और पक्षी सभी नींद के आगोश में जाने लगते हैं। हमारा भोजन भी प्रकृति का एक हिसा है। रात्रिकाल होते ही भोजन की भी प्रकृति बदल जाती है। प्रकृति बदलने से उसकी गुणवत्ता में भी गिरावट आ जाती है। रात्रिकाल के शुरु होते ही भोजन में बासीपन और दूषित होने की प्रक्रिया शुरु होने लगती है।
 
पांचवां कारण : हमारे शरीर की 'जैविक घड़ी' है। इसके संबंध में विस्तार से जानिए...'जैविक घड़ी' का रहस्य जानकर चौंक जाएंगे आप
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