ये दस बातें जो आपके जीवन को बदल देंगी...

Webdunia
FILE
हिन्दू धर्म क े दस यम और दस नियम को आचरण में शामिल किया गया है। नियम ही धर्म है। नियम का पालन नहीं करने से व्यक्ति अनुशासन खो देता है और जीवन में कई तरह के संकटों से घिर जाता है।

धर्म के नियमों का पालन करने से जीवन में हमेशा सुख और शांति बनी रहती है। इनका पालन नहीं करने से व्यक्ति चिंताग्रस्त रहकर रोग और शोक को आमंत्रित कर लेता है।

अगले पन्ने पर पढ़ें पहला नियम...


1. सत्य बोलना- हर धर्म सत्य बोलना सिखाता है लेकिन कितने लोग हैं, जो इसका पालन करते हैं? मन, वचन और कर्म से सत्यनिष्ठ रहना, दिए हुए वचनों को निभाना, प्रियजनों से कोई गुप्त बात नहीं रखना और उनके सामने झूठ नहीं बोलना ही सत्य नियम का पालन करना है।

इसका लाभ- सदा सत्य बोलने से व्यक्ति की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता कायम रहती है। सत्य बोलने से रिश्ते-नाते भी कायम रहने हैं और व्यक्ति को आत्मिक बल प्राप्त होता रहता है। आत्मिक बल से आत्मविश्वास बढ़ता है, जो हमारी सफलता का आधार है।

अगले पन्ने पर दूसरा नियम...


2. धृति- स्थिरता, चरित्र की दृढ़ता एवं ताकत ही धृति कही गई है। जीवन में जो भी क्षेत्र हम चुनते हैं, उसमें उन्नति एवं विकास के लिए यह जरूरी है कि निरंतर कोशिश करते रहें एवं स्थिर रहें। जीवन में लक्ष्य होना जरूरी है तभी स्थिरता आती है। लक्ष्यहीन व्यक्ति जीवन खो देता है।

इसका लाभ- चरित्र की दृढ़ता से शरीर और मन में स्थि‍रता आती है। सभी तरह से दृढ़ व्यक्ति लक्ष्य को भेदने में सक्षम रहता है। संकट या विपरीत परिस्थिति के समय व्यक्ति संयम से काम लेता है। इस स्थिरता से जीवन के सभी संकटों को दूर किया जा सकता है। यही सफलता का रहस्य है।

अगले पन्ने पर तीसरा नियम...


3. दया- यह क्षमा का विस्तृत रूप है। इसे करुणा भी कहा जाता है। जो लोग यह कहते हैं कि दया ही दुख का कारण है, वे दया के अर्थ और महत्व को नहीं समझते। यह हमारे आध्यात्मिक और सांसारिक विकास के लिए एक बहुत आवश्यक गुण है।

इसका लाभ- जिस व्यक्ति में सभी प्राणियों के प्रति दयाभाव है वह स्वयं के प्रति भी दया से भरा हुआ रहता है। इसी गुण से भगवान प्रसन्न होते हैं। यही गुण-चरित्र से हमारे आसपास का माहौल अच्छा बनता है। लोग आपके विषय में अच्छा सोचने लगते हैं।

अगले पन्ने पर चौथा नियम...


4. मिताहार- भोजन का संयम ही मिताहार है। यह जरूरी है कि हम जीने के लिए खाएं, न कि खाने के लिए जिएं। सभी तरह का व्यसन त्यागकर एक स्वच्छ भोजन का चयन कर नियत समय पर खाएं। स्वस्थ रहकर लंबी उम्र जीना चाहते हैं तो मिताहार को अपनाएं। होटलों एवं ऐसे स्थानों में जहां हम नहीं जानते कि खाना किसके द्वारा या कैसे बनाया गया है, वहां न खाना ही उचित है।

इसका लाभ- आज के दौर में मिताहार की बहुत जरूरत है। अच्छा आहार हमारे शरीर को स्वस्थ बनाएं रखकर ऊर्जा और स्फूति भी बरकरार रखता है। अन्न ही अमृत है और यही जहर बन सकता है। कार्यक्षमता बढ़ाकर सफल होने के लिए मिताहार अर्थात सात्विक, अच्छा और सुपाच्य आहार जरूरी है।

अगले पन्ने पर पांचवां नियम...


5. शौच- आंतरिक एवं बाहरी पवित्रता और स्वच्छता को बनाए रखना ही शौच है। इसका अर्थ है कि हम अपने शरीर एवं उसके वातावरण को पूर्ण रूप से स्वच्छ रखें। हम मौखिक और मानसिक रूप से भी स्वच्छ रहें।

इसका लाभ- वातावरण, शरीर और मन की स्वच्छता एवं व्यवस्था का हमारे अंतरमन पर सात्विक प्रभाव पड़ता है। स्वच्छता से सकारात्मक और दिव्यता बढ़ती है। यह जीवन को सुंदर बनाने के लिए बहुत जरूरी है। स्वच्छता से अच्छे भाव और सकारात्मक विचार का विकास होता है और हमें अच्छा वर्तमान और भविष्य मिलता है।

अगले पन्ने पर छठा नियम...


6. ह्री- पश्चाताप को ही ह्री कहते हैं। अपने बुरे कर्मों के प्रति पश्चाताप होना जरूरी है। यदि आप में पश्चाताप की भावना नहीं है तो आप अपनी बुराइयों को बढ़ा रहे हैं। विनम्र रहना एवं अपने द्वारा की गई भूल एवं अनुपयुक्त व्यवहार के प्रति क्षमा मांगना जरूरी है। इसका यह मतलब कतई नहीं कि हम पश्चाताप के बोझ तले दबकर फ्रेस्ट्रेशन में चले जाएं या गिल्टी फिल करें।

इसका लाभ- पश्चाताप हमें अवसाद और तनाव से बचाता है तथा हम में फिर से नैतिक होने का बल पैदा करता है। मंदिर, माता-पिता या स्वयं के समक्ष खड़े होकर भूल को स्वीकारने से मन और शरीर हल्का हो जाता है।

अगले पन्ने पर सातवां नियम...


7. आस्तिकता- वेदों में आस्था रखने वाले को आस्तिक कहते हैं। माता-पिता, गुरु और ईश्वर में निष्ठा एवं विश्वास रखना भी आस्तिकता है। आस्तिकता हमारे मानसिक द्वंद्व को रोककर शांति प्रदान करती है।

इसका लाभ- आस्तिकता से मन और मस्तिष्क में जहां सकारात्मकता बढ़ती है वहीं हमारी हर तरह की मांग की पूर्ति भी होती है। अस्तित्व या ईश्वर से जो भी मांगा जाता है वह तुरंत ही मिलता है। अस्तित्व के प्रति आस्था रखना जरूरी है। कहते हैं यदि दिल से अस्तित्व से जो मांगा जाता है वह मिलता है।

अगले पन्ने पर आठवां नियम....


8. ईश्वर प्रार्थना- बहुत से लोग पूजा-पाठ करते हैं, लेकिन सनातन हिन्दू धर्म में ईश्वर या देवी-देवता के लिए संध्यावंदन करने का निर्देश है। संध्यावंदन में प्रार्थना, स्तुति या ध्यान किया जाता है वह भी प्रात: या शाम को सूर्यास्त के बाद।

इसका लाभ- 10 या 15 मिनट आंख बंद कर ईश्वर या देवी-देवता का ध्यान करने से व्यक्ति ईथर माध्यम से जुड़कर उक्त शक्ति से जुड़ जाता है। 10 या 15 मिनट के बाद ही प्रार्थना का वक्त शुरू होता है। फिर यह आप पर निर्भर है कि कब तक आप उक्त शक्ति का ध्यान करते हैं। इस ध्यान या प्रार्थना से संसार की सभी समस्याओं का हल मिल जाता है।

अगले पन्ने पर नौवां नियम...


9. मति- बुद्धि को मति मान सकते हैं। कहते हैं कि जैसी मति वैसी गति। जैसी गति वैसी ही दुर्गति या सुगति। अच्‍छी बुद्धि या मति के लिए धर्मग्रंथ और नित्य साधना का पालन करना चाहिए। किसी प्रामाणिक गुरु के मार्गदर्शन से पुरुषार्थ करके अपनी इच्छा शक्ति एवं बुद्धि को आध्यात्मिक बनाना ही मति है।

इसका लाभ- संसार में रहें या संन्यास में निरंतर अच्छी बातों का अनुसरण करना जरूरी है तभी जीवन को सुंदर बनाकर शांति, सुख और समृद्धि से रहा जा सकता है। हमारे जीवन की सफलता में हमारी मति का योगदान रहता है। खराब मति वाले को अच्छी बातें भी खराब नजर आती हैं और उसकी ‍बुद्धि हमेशा संदेह और शंका से ही भरी रहती है।

अगले पन्ने पर दसवां नियम...


10. तप- मन का संतुलन बनाए रखना ही तप है। व्रत जब कठिन बन जाता है तो तप का रूप धारण कर लेता है। निरंतर किसी कार्य के पीछे पड़े रहना भी तप है। निरंतर अभ्यास करना भी तप है। त्याग करना भी तप है। सभी इंद्रियों को कंट्रोल में रखकर अपने अनुसार चलाना भी तप है।

उत्साह एवं प्रसन्नता से व्रत रखना, पूजा करना, पवित्र स्थलों की यात्रा करना, विलासप्रियता एवं फिजूलखर्ची न चाहकर सादगी से जीवन जीना, इंद्रियों के संतोष के लिए अपने आपको अंधाधुंध समर्पित न करना भी तप है।

इसका लाभ- जीवन में कैसी भी दुष्कर परिस्थिति आपके सामने प्रस्तुत हो, तब भी आप दिमागी संतुलन नहीं खो सकते यदि आप तप के महत्व को समझते हैं तो। अनुशासन एवं परिपक्वता से सभी तरह की परिस्थितियों पर विजय प्रा‍प्त की जा सकती है।

उपरोक्त पांच बातें यम से और पांच बातें नियम से ली गई हैं जिसका विस्तार से उल्लेख आपको योग के ग्रंथों, पुराण और मनुस्मृति में मिल जाएगा।- AJ
Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन