पैर से भी चरम सुख (Orgesom) संभव

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शीर्षक भले ही आपको मजाक लग सकता है, लेकिन यह असलियत है। नीदरलैंड्‍स में एक 55 वर्षीय महिला एक असामान्य और विचित्र शिकायत लेकर डॉक्टर से मिली। महिला ने कहा कि वह अपने पैर में होने वाली अजीब तरह की सनसनी से चरम सुख जैसा अनुभव करती है।

रिपोर्ट में कहा गया कि उसके बाएं पैर में आर्गेज्म से पहले की सनसनी पैदा हुई जो कि एकाएक पैदा हुई थी और इनका सेक्स की इच्छा या विचारों से कोई संबंध नहीं था। यह उसे दिन में पांच-छह बार होता था। यह सनसनी उसके बाएं पैर से ऊपर की ओर जाती हुई उसकी योनि तक पहुंचती। उसका दावा कि उसका यह अनुभव ठीक ऐसा ही था जैसा कि सेक्स के दौरान होता है।

इस मामले का अध्ययन करने वाले डॉ. मार्सेल डी. वालडिंगर का कहना था कि ये ऑर्गेज्म महिला के लिए बड़ी शर्मिंदगी और चिंता का विषय थे। इस महिला का इलाज करने वाले डॉ वालडिंगर नीदरलैंड्‍स की यूट्रेख्‍ट यूनिवर्सिटी में एक न्यूरोसाइकियाट्रिस्ट और सेक्सुअल साइकोफर्मेंकोलॉजी में प्रोफेसर हैं। उनका कहना था कि 'यह महिला के लिए एक भयानक बात थी'।  आगे पढ़ें... बीमारी या कुछ और...

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डॉक्टर ने महिला के दिमाग और पैरों का मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिस (एमआरआई स्कैन्स) लिए। इनमें उन्हें कोई असामान्य बात नहीं दिखी, लेकिन उन्होंने एक और टेस्ट किया जिससे पता लगा कि उसके बाएं और दाहिने पैर की नर्व्स में कुछ अंतर दिखा। उन्होंने कहा कि जैसे ही उसके बाएं पैर को एक इलेक्ट्रिक करंट से उत्तेजित किया गया तो उसके पैर में आर्गेज्म जैसी सनसनी होने लगी।

इस महिला के इलाज के तौर पर उसकी एक स्पाइनल नर्व्स में एनेस्थेटिक का इंजेक्शन लगाया गया। इस नर्व को पैर से सनसनी की सूचना मिलती थी। इंजेक्शन के बाद आर्गेज्म पूरी तरह से बंद हो गए। अब आठ महीने हो गए हैं लेकिन महिला को किसी ऑर्गेज्म का अनुभव नहीं हुआ है। डॉ. वालडिंगर का कहना है कि अगर उसे पुराने लक्षणों का अहसास होता है तो उसे फिर से एक एनेस्थेटिक इंजेक्शन लगवाना होगा।

शोधकर्ताओं का मानना था कि यह घटना दिमाग में एक गड़बड़ी का परिणाम थी। पैर से होने वाले आर्गेज्म के डेढ़ साल पहले महिला को करीब तीन सप्ताह तक इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में रहना पड़ा था। एक सेप्सिस (शरीर में पस या जहर बनाने वाले रोगाणुओं के) इन्फेक्शन के कारण कुछ समय तक कोमा में भी रहना पड़ा था। जब वह कोमा से बाहर आई तो उसके बाएं पैर में सिहरन या तपन का अहसास होता था। वालडिंगर का कहना था कि यह संभवत: इसलिए होता था क्योंकि पैर में एक छोटा-सा नर्व फाइबर्स को नुकसान पहुंचा था।

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उनका कहना है कि आश्चर्य की बात है कि जो पैर से सेंसरी सूचना को ले जाने वाली नर्व उसी जगह पर मेरूदंड (स्पाइनल कॉर्ड) में जुड़ती है, जहां से योनि को सेंसरी सूचना ले जाने वाली नर्व भी जुड़ती है। पैर में नर्व के क्षतिग्रस्त होने के कारण महिला के शरीर में उसके पैर से सेंसरी सूचना नहीं मिलती थी। वरन उसे यह सूचना उसकी योनि से मिलती थी। करीब डेढ़ वर्ष के बाद पैर की नर्व फिर से नई हो गई।

जब यह घटना हुई तो शोधकर्ताओं ने माना कि महिला का मस्तिष्क उसके पैर और योनि में कोई अंतर नहीं कर पाता था। इसलिए यह मान लिया गया कि जो भी उत्तेजना पैर से आ रही थी वह वास्तव में योनि से आ रही थी। इसलिए उसके पैर में ऑर्गेज्म जैसी अनुभूति होती थी। डॉक्टरों ने महिला की इस बीमारी को 'फुट आर्गेज्म सिंड्रोम' का नाम दिया और यह अब तक का एकमात्र ज्ञात केस है।

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