शनि का बुरा फल दिए हुए घरों में तभी शुभ होगा, जब वो राहु-केतु के अपने दाएं-बाएं होने के उसूल पर नेक स्वभावी हो जाए। पाप के समय शनि राहु-केतु का बहाना ढूंढता है और फिर एकदम बुरा कर देता है। सूर्य प्रकाश का मालिक है तो शनि अंधेरे का धनी है। शनि हमेशा सूर्य के विरोध में चलता है। यदि शनि शुभ फल देने लगे तो ये सूर्य और बृहस्पति आदि से भी ज्यादा अच्छे फल देता है। सबके घर का धन अपने घर में जोड़ता है। इस तरह यह दूसरों के लिए बुरा, पर स्वयं के लिए अच्छा होता है।
शनि का सांप सबको डंसता है, पर गर्भवती औरत के सामने वह अंधा हो जाता है। सांप चारपाई पर नहीं चढ़ता और कभी बच्चे को नहीं डंसता। मकान मालिक शनि है, पर पूरा त्यागी होने के कारण कभी अपना बिल नहीं बनाता है। सूर्य का प्राणी बंदर है और बंदर भी कभी अपना घोंसला नहीं बनाता। मुसीबत आने पर धरती खुद ही फटकर सांप को जगह दे देती है।
शनि के काले कीड़े लाख उपाय करने पर भी अपना घर नहीं छोड़ते, लेकिन थोड़ा सा दूध डालने पर खुद-ब-खुद चले जाते हैं। दूध यानी चन्द्र अर्थात माता, शनि ने अपनी मां को पहचान लिया है, तो उसका सम्मान करता है इसलिए शनि के काले कीड़े दूध छिड़कने पर चले जाते हैं।
कुंडली का 8वां घर शनि का हेडक्वार्टर है और मृत्यु स्थान भी है। इसके उपरांत भी 8वें घर का चन्द्र आयु बढ़ाता है। ऐसा इसलिए है कि चन्द्र अर्थात माता जब शनि के घर आ गई तो शनि ने बुराई छोड़ दी। शनि के साथ और केतु के घर मे उमर बहुत लंबी होती है। मृत्यु के समय रुला-रुलाकर मारना, मंगल का स्वभाव है। मंगल रुला-रुलाकर मारता है। शनि अगर मारेगा तो तरसाएगा नहीं, एकदम फैला कर देगा, मार देगा या छोड़ देगा।
शनि के अच्छे या बुरे फल का फैसला शनि के राहु या केतु के जैसे संबध हो, उससे होता है। शनि के दोस्त यानी शुक्र के घर मृत्यु या चन्द्र के घर कभी भूल से भी नहीं आती, क्योंकि वहां उसे शनि का डर सताता है। शनि का डर यह भी संभव है कि शनि बुरा होकर भला ही करता है। जब शनि बलवान हो तब आयु घटे या न घटे, शनि के प्रबल होने पर आंखें भूरी या गोल होगी। दूसरे की मदद करते समय सब कुछ कुर्बान कर देगा, उसका विरोध करने पर सब कुछ बर्बाद कर देगा। शनि कान से सुनने की बजाए आंख से काम लेता है।
शनि को लेकर जो कुछ भी दूसरों ने लिखा है, हम उसके गुण-दोष में नहीं जाते, पर इतना अवश्य कह सकते हैं कि झूठ, फरेब, पाखंड करने पर शनि के शुभ फल नहीं मिलते, न ही शनि महाराज किसी से रिश्वत लेते हैं और न ही उनके कोई दलाल हैं।
यदि शनि के शुभ फल प्राप्त करने हैं तो अपने कर्म को शुद्ध करो, झूठ, पाखंड और फरेब से दूर रहो, किसी भी प्रकार का नशा न करो, व्यभिचार न करो, किसी का हक मत छीनो और सदैव गिरे-पड़े की सहायता करो, सच का साथ दो, तो शनि महाराज कभी भी बुरे फल नहीं देंगे।