Sai Jayanti: शिरडी के साईं बाबा का असली नाम क्या था, कहां हुआ था उनका जन्म?

Shirdi sai baba : साई बाबा का जन्म नाम, समय औरस्थान के बारे में जानिए

WD Feature Desk
शनिवार, 28 सितम्बर 2024 (11:11 IST)
Sai Janmadeen: महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गांव में सांईंबाबा का जन्म 27-28 सितंबर 1830 को हुआ था। कुछ जगह पर 1938 में जन्म होने की बात कही गई है। सांईं के जन्म स्थान पाथरी पर एक मंदिर बना है। मंदिर के अंदर सांईं की आकर्षक मूर्ति रखी हुई है। यह बाबा का निवास स्थान है, जहां पुरानी वस्तुएं जैसे बर्तन, घट्टी और देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई हैं। पुराने मकान के अवशेषों को भी अच्छे से संभालकर रखा गया है। इस मकान को सांईं बाबा के वंशज रघुनाथ भुसारी से 3 हजार रुपए में 90 रुपए के स्टैम्प पर श्री सांईं स्मारक ट्रस्ट से खरीद लिया था। सांईं बाबा परशुराम की तीसरी संतान थे जिनका नाम हरिभऊ था।
 
 
साई बाबा का असली नाम क्या था : सांईं बाबा के पिता का नाम परशुराम भुसारी और माता का नाम अनुसूया था जिन्हें गोविंद भाऊ और देवकी अम्मा भी कहा जाता था। कुछ लोग पिता को गंगाभाऊ भी कहते थे। दोनों के 5 पुत्र थे जिनके नाम इस प्रकार हैं- रघुपति, दादा, हरिभऊ, अंबादास और बलवंत। सांईं बाबा परशुराम की तीसरी संतान थे जिनका नाम हरिभऊ था।
 
चांद मिया किसका नाम : वर्तमान में साईं बाबा के विरोधी उन्हें चांद मिया मानते हैं। साईं विरोधियों अनुसार वे एक मुस्लिम थे और हिन्दुओं को किसी मुस्लिम की पूजा नहीं करनी चाहिए। साईं बाबा के माता-पिता के घर के पास ही एक मुस्लिम परिवार रहता था। उस परिवार के मुखिया का नाम चांद मिया था और उनकी पत्नी चांद बी थी। उन्हें कोई संतान नहीं थी। हरिबाबू अर्थात साईं उनके ही घर में अपना ज्यादा समय व्यतीत करते थे। चांद बी हरिबाबू को पुत्रवत ही मानती थीं।
 
सांईं बाबा के पास खुद का कुछ नहीं था
बचपन में मां-बाप मर गए तो सांईं और उनके भाई अनाथ हो गए। फिर सांईं को एक वली फकीर ले गए। बाद में वे जब अपने घर पुन: लौटे तो उनकी पड़ोसन चांद बी ने उन्हें भोजन दिया और वे उन्हें लेकर वैंकुशा के आश्रम ले गईं और वहीं छोड़ आईं। बाबा के पास उनका खुद का कुछ भी नहीं था। न सटका, न कफनी, न कुर्ता, न ईंट, न भिक्षा पात्र, न मस्जिद और न रुपए-पैसे।
 
बाबा के पास जो भी था वह सब दूसरों का दिया हुआ था। दूसरों के दिए हुए को वे वहीं दान भी कर देते थे। वे जो भिक्षा मांगकर लाते थे वह अपने कुत्ते और पक्षियों के लिए लाते थे। बाबा ने जीवनभर एक ही कुर्ता या कहें कि चोगा पहनकर रखा, जो दो जगहों से फट गया था। उसे आज भी आप शिर्डी में देख सकते हैं।
 
साई बाबा का निधन कब हुआ: सांईं बाबा ने शिर्डी में 15 अक्टूबर दशहरे के दिन 1918 में समाधि ले ली थी। 27 सितंबर 1918 को सांईं बाबा के शरीर का तापमान बढ़ने लगा। उन्होंने अन्न-जल सब कुछ त्याग दिया। बाबा के समाधिस्त होने के कुछ दिन पहले तात्या की तबीयत इतनी बिगड़ी कि जिंदा रहना मुमकिन नहीं लग रहा था। लेकिन उसकी जगह सांईं बाबा 15 अक्टूबर, 1918 को अपने नश्वर शरीर का त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए। उस दिन विजयादशमी (दशहरा) का दिन था।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Shardiya navratri 2024 date: शारदीय नवरात्रि कब से शुरू होगी, 3 या 4 अक्टूबर? तिथियों को लेकर करें कन्फ्यूजन दूर

तीन समुद्रों के संगम पर बसे शक्तिपीठ कुमारी अम्मन मंदिर के रहस्य जान कर चौक जाएंगे आप

Sarva pitru amavasya 2024 date: सर्वपितृ अमावस्या कब है 1 अक्टूबर या 2 अक्टूबर 2024?

Shradh paksha tithi 2024: पितृपक्ष : कितनी पीढ़ी तक रहता है पितृदोष, श्राद्ध पक्ष में कैसे पाएं इससे मुक्ति

Shardiya Navratri 2024 Date: शारदीय नवरात्रि 2024 की तिथियां जानें

सभी देखें

धर्म संसार

Sai Jayanti: शिरडी के साईं बाबा का असली नाम क्या था, कहां हुआ था उनका जन्म?

Aaj Ka Rashifal: 28 सितंबर का राशिफल, आज इन 4 राशियों की होगी व्यवसाय में उन्नति, पढ़ें बाकी राशियां

Ekadashi shradh 2024: पितृपक्ष का बारहवां दिन : जानिए एकादशी श्राद्ध तिथि पर क्या करें, क्या न करें

28 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

28 सितंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख