शिव जलाभिषेक से होता है कल्याण

शिवाभिषेक का है पवित्र महत्व

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Mahashivratri shiv jalabhishek| वेद मंत्रों के साथ भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से साधक का स्वयं कल्याण तो होता ही है साथ ही वह समस्त संसार के कल्याण के लिए भी महाऔषधि तैयार कर लेता है। पांच तत्व में जल तत्व बहुत महत्वपूर्ण है। पुराणों में शिवाभिषेक का बहुत पवित्र महत्व बताया गया है। 
 
जल में भगवान विष्णु का वास है, जल का एक नाम 'नार' भी है। इसीलिए भगवान विष्णु को नारायण कहते हैं। जल से ही धरती का ताप दूर होता है और जो भक्त शिव को जलधारा चढ़ाते हैं उनके ताप, संताप, रोग-शोक, दुःख दरिद्र सभी दूर हो जाते हैं।
 
भगवान शिव की आराधना वैदिक आराधना है। भारत वर्ष में जितने भी शिवधाम हैं वहां वेद मंत्रों के साथ ही पूजा की जाती है। अतः यह कहा जा सकता है शिव आराधना के माध्यम से वेद के ज्ञान का विस्तार निरंतर होता आ रहा है।
 
भगवान शिव को महादेव इसीलिए कहते हैं कि वह देव, दानव, यक्ष, किन्नर, नाग, मनुष्य, सभी द्वारा पूजित हैं। वस्तुतः भगवान शिव, कल्याण और समन्वय के देवता है, वही किसी का अहित नहीं करते लेकिन अपने द्वारा कर्मगति की चक्की में पिसता मनुष्य इसके लिए स्वयं दोषी है। इस‍लिए कहा जाता है कि जो सभी द्वारा पूजित वही महादेव है।
 
यदि मन से शिव उपासना करेंगे तो अपने शुभ-अशुभ कर्मों को शिवार्पण करने वालों का कर्मगति का चक्र छूट जाता है। भगवान शिव तो ऐसे कृपालु देवता हैं जो एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
 
हम भगवान की पूजा पाठ, व्रत, जप, तप आदि तो करते हैं, परंतु हमें उनके बारे में ठीक से ज्ञान न होने के कारण फल प्राप्त नहीं होता है। सही तरीके से व्रत पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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