श्री महाशिवरात्रि व्रत की पूजन विधि

श्रद्धा और विश्वास के फूलों से अर्चन करें

- पं. प्रेमकुमार शर्मा
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व्रत का नामः- श्री महाशिवरात्रि
व्रत की तिथिः- चतुदर्शी 14
व्रत का दिनः- बुधवार
व्रत के देवताः-भगवान शिव
व्रत का समयः-प्रातःकाल से रात्रि के चार प्रहर तक
व्रत का विधानःनित्य नैमित्यक क्रिया शौचादि से निवृत्ति के वाद व्रत का संकल्प,पूजन हवन, शिव अभिषेक नमक-चमक से, ब्रह्मचर्य का पालन, अक्रोध, श्रद्धा भक्ति।

पूजा सामग्रीः- सुगंधित पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, भाँग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, पंच फल पंच मेवा, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, शिव व माँ पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, वस्त्राभूषण रत्न, सोना, चाँदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन आदि।

व्रत व पूजा के मंत्रः- ऊँ नमः शिवाय का जाप या मनन श्रद्धा व ध्यान से।

बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्रः-

नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च
नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥

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दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌। अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌॥
अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌। कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥
गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर। सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय ।

व्रत कथा का वाचन करें। मृग व शिकारी की कथा और शिव लिंग के प्रकट होने की कथा तथा शिव पुराण में और भी कथाएँ उपलव्ध है। वेबदुनिया के धर्म संसार के व्रत-त्योहार के अंतर्गत महाशिवरात्रि तथा श्रावण मास विशेष पेज पर शिव कथाएँ पढ़ीं जा सकती है।

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