Festival Posters

केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक सरल रेखा में हैं ये सभी शिव मंदिर, चमत्कार या विज्ञान क्या है रहस्य

WD Feature Desk
सोमवार, 10 फ़रवरी 2025 (07:00 IST)
5 Shiva temples in a single row: भारत में कई प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर हैं, जो अपनी वास्तुकला, इतिहास और धार्मिक महत्व के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक अद्भुत रहस्य है केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी रेखा में बने शिव मंदिरों का। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनके निर्माण में वास्तु, विज्ञान और वेद का भी अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

सीधी रेखा में बने मंदिर
उत्तराखंड का केदारनाथ, तेलंगाना का कालेश्वरम, आंध्रप्रदेश का कालहस्ती, तमिलनाडु का एकंबरेश्वर, चिदंबरम और रामेश्वरम मंदिरों को 79° E 41’54” लॉन्गीट्यूड के भौगोलिक सीधी रेखा में बनाया गया है। यह आश्चर्य की बात है कि हजारों वर्ष पहले, जब आधुनिक तकनीक नहीं थी, इन मंदिरों को इतनी सटीकता से कैसे बनाया गया होगा।

पंच भूत का प्रतीक हैं ये 5 मंदिर
यह सभी मंदिर प्रकृति के पांच तत्वों - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन तत्वों को पंच भूत कहा जाता है। तिरुवनैकवल मंदिर में जल, तिरुवन्नमलई में अग्नि, कालाहस्ती में वायु, कांचीपुरम में पृथ्वी और चिदंबरम मंदिर में आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व किया गया है।

योग विज्ञान के अनुसार निर्माण
इन मंदिरों को योग विज्ञान के अनुसार बनाया गया है। ऐसा माना जाता है कि इन मंदिरों को एक दूसरे के साथ एक निश्चित भौगोलिक संरेखण में रखा गया है, जिसका मनुष्य के शरीर पर प्रभाव पड़ता है। इन मंदिरों का निर्माण लगभग चार हजार वर्ष पूर्व हुआ था, जब अक्षांश और देशांतर मापने के लिए कोई उपग्रह तकनीक उपलब्ध नहीं थी। फिर कैसे इतने सटीक रूप से पांच मंदिरों को स्थापित किया गया, यह आज भी एक रहस्य है।

रहस्यों से भरा निर्माण
केदारनाथ और रामेश्वरम के बीच 2383 किमी की दूरी है, लेकिन ये सभी मंदिर लगभग एक ही समानांतर रेखा में पड़ते हैं। हजारों वर्ष पूर्व किस तकनीक का उपयोग कर इन मंदिरों को समानांतर रेखा में बनाया गया, यह आज तक रहस्य ही है। श्रीकालहस्ती मंदिर में टिमटिमाते दीपक से वायु लिंग, तिरुवनिक्का मंदिर के अंदरूनी पठार में जल वसंत से जल लिंग, अन्नामलाई पहाड़ी पर विशाल दीपक से अग्नि लिंग, कांचीपुरम के रेत के स्वयंभू लिंग से पृथ्वी लिंग और चिदंबरम की निराकार अवस्था से आकाश तत्व का पता चलता है।

यह आश्चर्यजनक है कि ब्रह्मांड के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच लिंगों को एक समान रेखा में सदियों पूर्व ही स्थापित किया गया था। हमारे पूर्वजों के ज्ञान और बुद्धिमता की हमें दाद देनी होगी कि उनके पास ऐसा विज्ञान और तकनीक था, जिसे आधुनिक विज्ञान भी नहीं भेद पाया है। माना जाता है कि केवल यह पांच मंदिर ही नहीं, बल्कि इसी रेखा में अनेक मंदिर होंगे जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी रेखा में पड़ते हैं। इस रेखा को शिव शक्ति अक्ष रेखा भी कहा जाता है। बताया जाता है कि ऐसा संभव है कि यह सारे मंदिर कैलाश को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हों, जो 81.3119° ईस्‍ट में पड़ता है। 

ALSO READ: इस मंदिर में नागा साधु निकलते हैं महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की विशेष बारात, जानिए कहां है ये मंदिर
 
उज्जैन से ज्योतिर्लिंगों की दूरी के आंकड़े भी हैं आश्चर्यजनक  : 
उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विश्व में अलग ही ख्याति है। देश में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के अलावा 11 और ज्योतिर्लिंग है। इन सभी ज्योतिर्लिंग का उज्जैन महाकालेश्वर से दूरी के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये आंकड़े बड़े ही रोचक नजर आते हैं। जानिए अन्य ज्योतिर्लिंगों की महाकालेश्वर से दूरी। 

सम्बंधित जानकारी

गीता जयंती पर गीता ज्ञान प्रतियोगिता के बारे में जानें और जीते लाखों के इनाम

Lal Kitab Mesh Rashifal 2026: मेष राशि (Aries) - बृहस्पति बचाएंगे, राहु मालामाल करेंगे, शनि निपटेंगे रोग शत्रुओं से

Astrology 2026: सूर्य गोचर 2026 की मुख्य तिथियां

Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी कब है, क्यों नहीं करते हैं इस दिन विवाह?

Nag Diwali 2025: नाग दिवाली क्या है, क्यों मनाई जाती है?

22 November Birthday: आपको 22 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 22 नवंबर, 2025: शनिवार का पंचांग और शुभ समय

Mithun Rashi Varshik rashifal 2026 in hindi: मिथुन राशि 2026 राशिफल: शनि के फेर में है कर्मफल और गुरु की मुट्ठी में बंद है भाग्य

Mulank 4: मूलांक 4 के लिए कैसा रहेगा साल 2026 का भविष्य?

Mokshada Ekadashi 2025 : मार्गशीर्ष माह की मोक्षदा एकादशी कब है, कब होगा पारण

अगला लेख